Sunday, December 10, 2023

झारखंड की दो बहनों ने पढ़ाई करते हुए खेती में किया कमाल, जरबेरा की खेती से लिख डाली सफलता की कहानी

21वीं सदी की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी कला का प्रदर्शन कर अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रही हैैं। वे घर संभालने के साथ-साथ देश की सेवा भी कर रही हैं एवं एक बेहतर कृषक बनकर खेती भी कर रही हैं।

आज की हमारी यह कहानी झारखंड के दो बहनों की है जो फूलों की खेती से सफलता की ऐसी इबारत लिख रही है जिससे वह अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी है। वैसे तो ये दोनों बहनें अभी पढ़ाई कर रही हैं लेकिन फिर भी उन्होंने अपने बेहतर प्रयास से खेती में सफलता हासिल की है

लॉकडाउन में स्कूल बंद होने पर खेती करने का निश्चय

आज से कुछ वक्त पूर्व झारखंड में जरबेरा का फूल नहीं मिलता था और ना हीं इसकी खेती की जाती थी, जिसके लिए लोगों को जरबेरा को बेंगलुरु से मंगवाना पड़ता था। परंतु जब लॉकडाउन लगा और स्कूल बंद हो गया तब यहां की दो बहनों ने वो कर दिखाया जिससे लोगों की परेशानी खत्म हो गई। यह दोनों जब मोबाइल से पढ़ाई कर रही थी तो उन्होंने पाया कि झारखंड में जरबेरा की फूल की डिमांड बहुत ही ज्यादा है। ऐसे में उन्होंने निश्चय किया कि क्यों ना हम जरबेरा की खेती करें।
Transvaal Daisy farming in Jharkhand by Prity Bhagat and Priyanka Bhagat

Two sisters of Jharkhand getting more profit from Jarbera Farming

पिता के साथ मिलकर की खेती

अब उन्होंने गूगल की मदद से जरबेरा की खेती के बारे में सारी जानकारी एकत्रित की एवं खेती के लिए शेड का निर्माण भी करवाया। दोनों ने अपने पिता के साथ मिलकर पहली बार खेती की शुरुआत की जिसमें वे सफल हुईं। आज वे तीन-चार दिनों के अंतराल में अपने खेतों से फूलों को तोड़कर बेचने के लिए बाजार लेकर जा रही हैं। अपने फूलों की खेती से उन्हें लाखों का मुनाफा मिल रहा है। – Transvaal Daisy farming in Jharkhand by Prity Bhagat and Priyanka Bhagat

Two sisters of Jharkhand getting more profit from Jarbera Farming

प्रीति और प्रियंका

दरअसल उन दोनों बहनों का नाम प्रीति (Prity) और प्रियंका (Priyanka) है। वे दोनों कालपाथर गांव की निवासी है। यह स्थान जमशेदपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर जादूगोड़ा के पास स्थित है। यहां पर अधिकतर मात्रा में भगत जाति के व्यक्ति निवास करते हैं। प्रीति और प्रियंका दोनों यहीं पढ़ाई करते थे। जब लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हो गया, तब उन्होंने मोबाइल के जरिए शिक्षा प्रारंभ की। उस दौरान यह जानकारी मिली कि राज्य में जरबेरा की फूलों की डिमांड बहुत ही अधिक है और इसका उपयोग शादी फंक्शन में बहुत ज्यादा किया जाता है। वे दोनों यह जानती थी कि झारखंड में जरबेरा का फूल की खेती नहीं होती और इसे लोगों को बेंगलुरु से मंगाना पड़ता है। तब उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों से कहा कि जरबेरा की खेती करेंगे परिवार के सदस्य उनका सहयोग किया एवं इसकी खेती इन दोनों ने प्रारंभ कर दी।
-Transvaal Daisy farming in Jharkhand by Prity Bhagat and Priyanka Bhagat

Two sisters of Jharkhand getting more profit from Jarbera Farming

यह भी पढ़ें :- इस बेहतरीन कृषि तकनीक से यह महिला किसान प्रतिवर्ष कमा रही 30 लाख रूपए, आप भी जान‌ लें

पिता ने लाया बेंगलुरु से बीज

वे दोनों बहुत अच्छी तरह जानती थी कि हमारे क्षेत्र में जिस चीज की कमी है अगर हम उसकी खेती करें तो इससे हमें अधिक मात्रा में लाभ मिलेगा। उन्होंने अपने पिता से कहा और वह बेंगलुरु से जाकर जरबेरा के बीज लाए, फिर उन दोनों ने खेती प्रारंभ की एवं उसमें मन लगाकर मेहनत किया। आज उसकी बदौलत वे अपने क्षेत्र में जरबेरा के फूलों को बेचकर अधिक से अधिक लाभ कमा रही हैं। -Transvaal Daisy farming in Jharkhand by Prity Bhagat and Priyanka Bhagat

Two sisters of Jharkhand getting more profit from Jarbera Farming

अन्य लोग भी करना चाहते हैं जरबेरा की खेती

उन्होंने अपनी एक एकड़ जमीन में जरबेरा के बीज को बोया जिसने उन्हें 3 माह के उपरांत फूल प्राप्त होने लगे। उन्होंने बताया कि आप एक पेड़ से लगभग 4 से 3 दिनों के बाद फूल को तोड़ सकते हैं इस फूल का डिमांड अधिक है जिस कारण यह 50 से 60 में एक बिकता है। उन्होंने बताया कि हमने पहली बार खेती की और हमें सफलता हासिल हुई जिससे हम बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी पढ़ाई के बीच एक बेहतर रोजगार ढूंढ लिया है जिससे वह अन्य लोगों के लिए उदाहरण भी बनी है। उनके गांव के अन्य व्यक्ति भी इस खेती में अपना लक आजमाना चाहते हैं और वे इस की तरफ ज्यादा रूख मोड़ रहे हैं। -Transvaal Daisy farming in Jharkhand by Prity Bhagat and Priyanka Bhagat

Two sisters of Jharkhand getting more profit from Jarbera Farming

उनके पिता का नाम नव किशोर भगत है उन्होंने बताया कि हमें अत्यधिक खुशी है कि हमारे बच्चियों ने फूलों की खेती में सफलता हासिल की। हम अपने 1 एकड़ में जरबेरा के पौधे को उगाकर अत्यधिक लाभ कमा रहे हैं । हमें इस बात की खुशी है कि बाजार में जिस चीज का डिमांड है हम उसकी खेती कर रहे हैं। आज हम जिस तरह खेती में सफल हो गए हैं इससे अन्य लोगों का ध्यान भी इसकी तरफ खींचा चला आ रहा है और लोग इससे जुड़ना चाहते हैं। -Transvaal Daisy farming in Jharkhand by Prity Bhagat and Priyanka Bhagat