Sunday, December 10, 2023

अद्भुत अविष्कार: यह इको फ्रेंडली ट्रेक्टर डीजल से नहीं बल्कि गोबर से चलती है

डीजल-पेट्रोल के बढ़ते डिमांड को देखते हुए हमारे देश में ऐसे कई काम हो रहे हैं जिससे लोगों को परेशानियां ना हो। इसी बीच हमारे वैज्ञानिकों ने खेत की जुताई के लिए ऐसे ट्रैक्टर का निर्माण किया है जो गोबर द्वारा चलेगी। इसका उद्देश्य पोल्यूशन को खत्म करना तथा कृषि लागत को कम करना है।

हुआ गोबर से चलने वाली ट्रैक्टर का निर्माण

गोबर द्वारा चलने वाले गोबर इंधन ट्रैक्टर का निर्माण हमारे देश के वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन की कम्पनी के सहयोग से किया गया। यह ट्रैक्टर गोबर से निर्मित इंधन द्वारा चलेगी। यानी इसके लिए आपको कोई डीजल, पेट्रोल या बिजली की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यह खेती के लिए बहुत बड़ी रिनोवेशन है। गोबर द्वारा पूरा किया जाएगा वो लोग वैसे तो कंपोस्ट का निर्माण करते हैं लेकिन आज ये काफी लाभकारी सिद्ध होने वाला है।

यह भी पढ़ें:-ये हैं विश्व के सबसे महंगे फुटवियर, कीमत जानकार होश उड़ जाएंगे

होगा जलवायु परिवर्तन पर अच्छा प्रभाव

वैसे तो हम सभी ये जानते हैं क्लाइमेट में बदलाव के अनेकों कारण हैं, जिसमें प्रदूषण का जिक्र होना निश्चित होगा। वैसे तो हमें यह जानकारी है कि किस तरह डीजल, पेट्रोल के कारण निकलने वाले धुएं से हमारा पर्यावरण दूषित हो रहा है। ऐसे में गोबर द्वारा निर्मित ट्रॅक्टर द्वारा प्रदूषण को काफी लाभ मिलेगा एवं खेती में भी कम लागत आएगी।

क्या है चलाने का तरीका

अब आपके मन में यह ख्याल आ रहा होगा कि आखिरी ट्रैक्टर चलता कैसे हैं तो इसका जवाब बेहद ही आसान है। जैसे हम डीजल और पेट्रोल वाले ट्रैक्टर को चलाते हैं वैसे ही साधारणतः यह भी ट्रैक्टर परफॉर्म करता है। इस आधुनिक ट्रैक्टर का नाम T7 रखा गया है यह लगभग 100 गायों के गोबर को एकत्रित करके फिर उसे बायोमिथेन में परिवर्तित किया जाता है तब ट्रैक्टर चलता है। ट्रैक्टर में एक क्रायोजेनिक टैंक भी है जहां गोबर से निर्मित ईंधन का उपयोग होता है।

यह भी पढ़ें:-ये 10 तस्वीरें साबित करती हैं कि महेन्द्र सिंह धोनी करोड़ों के मालिक होते हुए आम इंसान की जिंदगी जीते हैं

बना है इको फ्रेंडली लिस्ट में जगह

हम आपको यह बता दें कि इस ट्रैक्टर का निर्माण कोर्निश कंपनी बेनमन ने किया है। आगे प्री प्रोडक्शन मॉडल का ट्राइल भी हो चुका है, जो ट्रायल साउथ वेस्ट इंग्लैंड के कॉर्नरवॉल काउंटी में हुआ है। इस ट्रायल से यह जानकारी मिली कि लगभग 1 वर्ष में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन ट्रैक्टर द्वारा 2500 से 500 मेट्रिक टन कम होगा। जिस कारण इसे इको फ्रेंडली के लिस्ट में जगह मिल चुका है।