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यूपी की धरती पर हरीश चंद्र ने उगाई विदेशी चिया सीड्स, पीएम मोदी ने भी की तारीफ

यह जरूरी नहीं कि अपनी पहचान बनाने के लिए आपको कुछ अलग ही करना होगा। आज हम एक साधारण खेती करने वाले किसान की बात करेंगे, जिन्होंने मेंथा और केला जैसी फसलों की खेती कर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। पिछले रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बाराबंकी के एक किसान का जिक्र किया है।

कर्नल हरीश चंद्र कर रहे हैं खेती

कर्नल हरीश चंद्र सिंह (Harish Chandra Singh) लखनऊ (Lucknow) के पास बाराबंकी ज़िले में चिया सीड्स की खेती कर रहे हैं। हरीश चंद्र अपने दो हेक्टेयर के फॉर्म में ड्रैगन फ्रूट, रेड और ग्रीन एप्पल बेर की दो किस्में लगाई हैं। वह बताते हैं कि उनकी फौज की नौकरी थी इसलिए वह जम्मू कश्मीर वगैरह में सेब की खेती बहुत करीब से देखे थे, इसलिए उन्होंने सेब की तीन किस्में अन्ना, डोसेट गोल्डन, हरीमन 99 भी लगाई हैं। इसके अलावा आलू बुखारा, काले गेहूं के साथ ही चिया सीड्स की भी खेती कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में हरीश चंद्र की खेती की खूब तारीफ की है।

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हरीश चंद्र का हौसला और बढ़ा

हरीश चंद्र बताते हैं कि जब से प्रधानमंत्री ने उनकी तारीफ की है, तब से उनका हौसला और बढ़ गया है और साथ ही जिम्मेदारी भी। हरीश चंद्र अब इस क्षेत्र में और बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। हरीश चंद्र अंबेडकर नगर के रहने वाले हैं। वह साल 2015 में कर्नल पद से सेवानिवृत्त हुए हैं और उस समय वह सुल्तानपुर के ज़िला सैनिक कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात हैं। साथ ही हरीश चंद्र समय बचा कर बाराबंकी ज़िले के सिद्धौर ब्लॉक अंतर्गत अमसेरूवा गांव में करीब 2 हेक्टेयर फार्म पर खेती कर रहे हैं।

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चिया सीड्स की बाज़ार में है अच्छी कीमत

हरीश चंद्र बताते हैं कि विदेशी बाजारों में यह फसल सुपर फ़ूड (Super Food) के नाम से प्रसिद्ध है। इस फसल की एक एकड़ की खेती में कुल लागत 20 से 30 हज़ार रुपए की होती है। एक एकड़ ज़मीन की खेती करने में मात्र एक किलो बीज की बुवाई की जाती है। अगर अच्छी देखरेख और अच्छी पैदावार हो, तो एक कविंटल तक का उत्पादन एक एकड़ जमीन में हो जाता है। हरीश चंद्र बताते हैं कि ऑनलाइन मार्केट में एक किलो की कीमत करीब 1500 से 2000 रुपए तक होती है।

चिया सीड्स की खेती करने का सही समय

हरीश चंद्र बताते हैं कि चिया सीड्स की बुवाई अक्टूबर में गेहूं के समय की जाती हैं परंतु गेहूं की फसल से एक महीना पहले ही चिया सीड की फसल तैयार हो जाती है। इसे तैयार होने में लगभग चार महीने का समय लगता है। प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान हरीश चन्द्र द्वारा की जा रही चिया सीड्स की खेती के प्रयोग की बात कही और कहा कि इस खेती के जरिए उनकी आय भी बढ़ेगी। साथ ही इससे आत्मनिर्भर भारत अभियान में मदद होगी।

हरिशचंद देते हैं चिया सीड्स की जानकारी

हरिशचंद बताते हैं कि मुझे बचपन से ही पेड़-पौधों और खेती से लगाव था परंतु वह फौज में ऊंचे पद पर कार्यरत थे। जिसके वजह से उन्हें खेतों से दूर होना पड़ा। जब हरिशचंद को ऐसा करने का मौका मिला तो वह बिना देर किए अपनी शौक को पूरा करने में जुट गए। हरिश चंद्र बताते है कि इंटरनेट के जरिए उन्होंने चिया सीड्स की खेती की जानकारी प्राप्त की जैसे की इसके गुण और उपयोगिता के बारे में। उसके बाद हरिश चंद्र ने ऑनलाइन के माध्यम से इसके बीज मंगवए और करीब आधा एकड़ रकबे में इसकी बुवाई की। अब तक हरिश चंद्र चिया सीड की बिक्री ऑनलाइन ही करते हैं परंतु वह कहते हैं कि अगर बाज़ार मिल जाए तो यह आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बहुत बड़ी कामयाबी होगी।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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