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नई पद्धति से खेती कर किये कमाल, 100 बीघा में खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं

खेती करना भी एक कला है। इस कला में भी हर कोई निपुण नहीं होता। इसके लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता हैं, उसकी पुरी जानकारी हासिल करनी होती है। पिछले कुछ दिनों से जहाँ एक ओर कुछ किसान कृषि बिल के विरोध में जुटे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के कुछ किसान खेती में सफलता के शिखर पर पहुंच चुके हैं।

दोस्तों ने मिल कर शुरू किया किसानी

पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली के कुछ किसानों नई तकनीक का प्रयोग कर कृषि को एक ऊंचाई तक ले के जा रहे हैं। इससे उनका मुनाफा भी कई गुणा बढ़ा है। जयंत सिंह (Jayant Singh) तथा राहुल मिश्रा ( Rahul Mishra) अपने तीन साथियों के साथ वह पिछले 3 सालों से वैज्ञानिक विधि का प्रयोग कर कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं।

Organic farming by two friends in utter Pradesh

इन दोस्तों के ग्रुप ने उगाई बहुत सी सब्जियां

पांच दोस्तों के इस ग्रुप ने चंदौली में नई तकनीक का प्रयोग कर 100 बीघे में टमाटर, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, गोभी और बीन्स के साथ-साथ फलों में केला, पपीता, स्ट्राबेरी और ड्रेगन फ़्रूट की खेती कर रहे हैं। इससे इनकी आमदनी भी कई गुना बढ़ गई हैं।

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शुरूआत के समय में गांव के लोगों ने मजाक भी उड़ाया

राहुल मिश्रा चन्दौली जिले के चहनिया ब्लॉक के देवड़ा गांव के रहने वाले हैं। उनके दोस्त जयंत सिंह जुड़ा हरधन गांव के रहने वाले हैं। उनके मित्रों का नाम रवि सिंह, सोनू सिंह और अनूप है। जब इन लोगों ने एक साथ मिलकर आधुनिक खेती करने का फैसला किया तो गांव के कुछ लोगों ने उनका मजाक भी उड़ाया।

पहले ही वर्ष में हुआ अच्छा मुनाफा

बिना लोगों के बातों की परवाह किए वह अपने फैसले पर डटे रहें। पहले साल इन लोगों ने पपीता और केले की खेती की थी। इसमें अच्छा मुनाफा होने पर उनका मनोबल और भी बढ़ गया। उन्हें अपने फैसले पर विश्वास हो गया कि वे जो कर रहें सही है। इन लोगों ने अब अपनी खेती को बढ़ा लिया है। वे अब 100 बीघे में इस तरह की खेती कर रहे हैं।

वाराणसी की मंडी में बेचते हैं फसल

ज्यादा मुनाफा के लिए वे फसल तैयार हो जाने के बाद फलों और सब्जियों को वाराणसी की मंडी में ले जाकर बेचते हैं। इससे उन्हें ज्यादा लाभ होता है। जयंत कहते हैं कि इससे उनके लाइफ स्टाइल में काफी बदलाव आया है और उनका मुनाफा भी बढ़ा है।

आधुनिक तरीके से खेती करने से हुआ ज्यादा मुनाफा

अनूप मिश्रा ने बताया कि पहले वहां सिर्फ़ गेहूं और बाजरा की फसल होती थी परंतु अब इन सभी ने गमले में फसल रोपेने की भी प्रक्रिया शुरू की है। इसके बाद ये आधुनिक तरीके से खेती शुरू किए। रवि सिंह का भी आधुनिक खेती के बारे में यही विचार है। उन्हें भी इससे बहुत मुनाफा हुआ।

कृषि बिल से हैं सहमत

किसानों का यह ग्रुप किसान कृषि बिल को लेकर अपनी सहमति जताते हैं। इनका कहना है कि यह कृषि बिल किसानों के हित के लिए है। इसका विरोध करना ठीक नहीं है। जयंत बताते हैं कि इस बिल से उन्हें कोई नुकसान नहीं लगता। आगे वह कहते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पहले भी होती थी। ये सभी दोस्त सरकार के इस फैसले में उनके साथ हैं।

The Logically जयंत सिंह तथा उनके चारों दोस्तों के द्वारा की गई पहल की तारीफ करता है और उन्हें उनके कामयाबी के लिए बधाई देता है।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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