Monday, December 11, 2023

MNC की नौकरी छोड़ करने लगे किराने की दुकान पर काम, आज “The Kiryana Store” कम्पनी से करोड़ों की कमाई कर रहें हैं

कहते हैं न, कठिन मेहनत कर किसी भी चीज को हासिल किया जा सकता है। आज हम उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सहारनपुर में रहने वाले वैभव अग्रवाल (Vaibhav Agarwal) की कहानी आपको बताने वालें हैं जिन्होंने अपनी MNC की नौकरी छोड़ दी ताकि अपने पिता की किराने की दुकान को अच्छे से संभाल सके और आज उन्होंने ‘The Kiryana Store कंपनी’ के नाम से अपनी स्टार्टअप शुरू कर 5 करोड़ का रेवेन्यू हासिल किया है और साथ हीं देश के कई शहरों में 100 से अधिक किराना दुकानों को भी मदद पहुंचाने का काम किया है।

अपनी जॉब छोड़ की पिता की मदद

वैभव अग्रवाल (Vaibhav Agarwal) के पिता संजय अग्रवाल ने वर्ष 2006 मे अपने 200 वर्ग फीट की किराने की दुकान को 1500 वर्ग फीट बड़ा किया लेकिन इसके बावजूद भी उस दुकान से ज्यादा फायदा नहीं मिल पा रहा था। लेकिन जब वैभव ने देखा कि पिता के इतने मेहनत करने के बावजूद भी दुकान से कोई फायदा नहीं हो रहा और बिजनेस आगे नहीं बढ़ पा रहा तब उन्होंने अपने पिता की मदद करने को ठानी और अपनी नौकरी छोड़ बिजनेस को नया रूप दिया और आज उनका 5 करोड़ का बिज़नेस है।

vaibhav agrawal earns crores from startup of the kiryana store business

कम उम्र से हीं की पिता की मदद

वैभव (Vaibhav Agarwal) बताते हैं कि, जब वे छोटे थे तो तो उनके पिता सहारनपुर में ही ‘कमला स्टोर’ नाम से एक किराना दुकान चलाकर घर की खर्च उठाया करते थे। लेकिन जैसे जैसे वे बड़े हुए तो दुकान में पिता की मदद करने लगे।

बिजनेस को खुद से संभाला

वैभव की वर्ष 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद कैम्पस प्लेसमेंट हो गई औरवे मैसूर स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। वे बताते हैं कि, “मैने देखा कि, यहां का खुदरा बाजार बिल्कुल अलग था और स्मार्ट दुकान तथा खुदरा बाजार के लिए ‘प्रोडक्ट मिक्स’ और सप्लाई चेन सिस्टम को मैने बहुत करीब से देखा और जाना। इस तरह मुझे अनुभव हुआ कि यहां का खुदरा बाजार उनके अपने शहर की दुकान बिल्कुल अलग था।”

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नौकरी छोड़ पिता के दुकान को बेहतर बनाने का किया फैसला

वैभव (Vaibhav Agarwal) बताते हैं कि, जब मैं इन दुकानों पर रोज आने लगा तो मुझे ज्यादा अनुभव होने लगा और मैंने विचार किया कि मैं अपने पिता के दुकान को भी इसीप्रकार बेहतर बना सकता हूं। ज्यादा सोचने समझने के बाद मैने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला लिया और अपने गांव जाकर पिता के दुकान को आगे बढ़ाने को ठानी।

घर लौटने के बाद वर्ष 2014 में वे (Vaibhav Agarwal) एक स्थानीय कंपनी में 10 हजार की सैलरी पर सेल्स मैनेजर के रूप में काम करना शुरू दिए।

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अपने दुकान में किया पूरा बदलाव

वैभव ने वर्ष 2018 में अपनी दुकान की कई चीजों जैसे रख रखाव आदि में बदलाव किया। यहां तक कि उन्होंने अपने यहाँ उत्पादों को रखने के तरीके में बदलाव करने से लेकर उनकी बिक्री के बारे में जानकारी जुटाने और उनके इनवेन्टरी मैनेजमेंट के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया और अपने दुकान से वैसे उत्पाद हटा दिए जिनकी कम बिक्री हो रही थी और उन्हें घाटा हो रहा था। उन्होंने दुकान में सभी उत्पादों को इसप्रकार सजाया, जिससे ग्राहकों का ध्यान आसानी से उन पर चला जाए और इसी कारण उनकी दुकान में ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी।

अन्य दुकानदारों का भी किया मदद

दुकान को इतने अच्छे रूप में सेट करने के बाद लोगों की नजर देख और भी दुकानदार अपनी दुकान का नवीकरण करने के लिए इनसे जुड़ने लगे और इसी प्रकार इन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत की और जनवरी 2021 तक, उन्होंने देश के 12 शहरों की 100 से अधिक दुकानों को शुरू किया तथा उनका नवीकरण किया। 2019-20 वित्तीय वर्ष में वैभव ने, एक करोड़ रुपये का टर्न ओवर हासिल किया। उन्हें आगे उम्मीद है कि इस साल यह आँकड़ा करीब पांच करोड़ रुपये होगा।