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नौकड़ी छोड़ी और पिता के किराने की दुकान सम्भाली, अपने आईडिया से आज बना चुके हैं 5 करोड़ का टर्नओवर

कहते हैं न, अगर किसी भी काम को पूरे मेहनत, लगन और शिद्दत के साथ किया जाए तो उसमे सफलता जरूर मिलती है। आज हम बात करेंगे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सहारनपुर में रहने वाले वैभव अग्रवाल (Vaibhav Agrawal) की, जिन्होंने अपने पिता की किराने की दुकान को संभालने के लिए MNC की नौकरी छोड़ दी और आज के समय में उन्होंने ‘The Kiryana Store कंपनी’ के नाम से अपनी स्टार्टअप शुरू कर न केवल 5 करोड़ का रेवेन्यू हासिल किया है बल्कि देश के दर्जनों शहरों में 100 से अधिक किराना दुकानों को भी मदद पहुंचाई है।

पिता की मदद करने के लिए छोड़ी अपनी जॉब

वर्ष 2006 में वैभव अग्रवाल (Vaibhav Agrawal) के पिता संजय अग्रवाल ने अपने 200 वर्ग फीट की किराने की दुकान को 1500 वर्ग फीट बड़ा किया लेकिन इसके बावजूद भी उस दुकान से उनको फायदा नहीं मिल पा रहा था। जब वैभव ने देखा कि इनके पिता इतने मेहनत कर रहे हैं, इसके बाद भी दुकान से कोई फायदा नहीं हो रहा और बिजनेस आगे नहीं बढ़ पा रहा तब उन्होंने अपने पिता की मदद करने को ठानी और अपनी नौकरी छोड़ बिजनेस को नया मोड़ दिया और आज उनका 5 करोड़ का बिज़नेस है।

वैभव बताते हैं कि, जब मैं छोटा था तो मेरे पिता सहारनपुर में ही ‘कमला स्टोर’ (Kamla Store) नाम से एक किराना दुकान चलाकर घर की खर्च को पूरा करते थे। फिर जब मैं बड़ा हो गया तो दुकान में पिता की मदद करने लगा और बहुत करीब से मैंने अपने पिता को कठिनाइयों से लड़ते देखा है।

Vaibhav agrawal startup the kiryana store
Vaibhav Agrawal

धीरे-धीरे बिजनेस का हुआ अनुभव

वे (Vaibhav Agrawal) आगे बताते हैं, वर्ष 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर मेरी कैम्पस प्लेसमेंट हो गई और मैं मैसूर स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। यहां मैने देखा कि, यहां का खुदरा बाजार बिल्कुल अलग था और स्मार्ट दुकान तथा खुदरा बाजार के लिए ‘प्रोडक्ट मिक्स’ और सप्लाई चेन सिस्टम को मैने बहुत करीब से देखा और जाना। इस तरह मुझे अनुभव हुआ कि यहां का खुदरा बाजार उनके अपने शहर की दुकान बिल्कुल अलग था।

नौकरी छोड़ पिता के दुकान को बेहतर बनाने का किया फैसला

वैभव (Vaibhav Agrawal) बताते हैं कि, जब मैं इन दुकानों पर रोज आने लगा तो मुझे ज्यादा अनुभव होने लगा और मैंने विचार किया कि मैं अपने पिता के दुकान को भी इसीप्रकार बेहतर बना सकता हूं। ज्यादा सोचने समझने के बाद मैने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला लिया और अपने गांव जाकर पिता के दुकान को आगे बढ़ाने को ठानी।

घर लौटने के बाद वर्ष 2014 में वे (Vaibhav Agrawal) एक स्थानीय कंपनी में 10 हजार की सैलरी पर सेल्स मैनेजर के रूप में काम करना शुरू दिए।

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स्थानीय कंपनी में जॉब करने से मिला बहुत सारा बिजनेस आइडिया

वैभव (Vaibhav Agrawal) जब स्थानीय कंपनी में काम करने लगे तो उन्होंने खुदरा बाजार के लॉजिस्टिक्स (कर्मचारियों और माल की व्यवस्था) से लेकर इस बिन्दु को भी समझा कि ‘प्रोडक्ट मिक्स’ जगह और दूरी के हिसाब से कैसे बदलते हैं।

यहां पर जॉब करने के दौरान उन्होंने देखा कि, यहाँ हर एक किलोमीटर की दूरी पर प्रोडक्ट मिक्स बदल जाते हैं। यहाँ तक कि प्रेजेन्टेश और पैकेजिंग तक में फर्क होता है। यह सब देखने के बाद उनको कई तरह के बिजनेस आइडिया मिला और फिर उन्होंने दिल्ली स्थित एक संस्थान से ‘बिजनेस मैनेजमेंट’ में मास्टर्स करने का फैसला किया।

फिर उन्होने (Vaibhav Agrawal) वर्ष 2017 में अपनी पढ़ाई को पूरी करने के बाद दिल्ली में ही एक एफएमसीजी कंपनी में काम हीं करना शुरू किया और इस दौरान उन्हें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड जैसे छह राज्यों के खुदरा बाजार का अंदाजा मिला। इसके एक साल बाद उन्होंने इस नौकरी को भी छोड़ दिया और अपने पिता के बिजनेस को ही आगे बढ़ाने का फैसला किया।

Vaibhav Agrawal store

अपने दुकान में किया पूरा बदलाव

वर्ष 2018 में उन्होंने (Vaibhav Agrawal) अपनी दुकान की कई चीजों में बदलाव किया। जैसे उन्होंने अपने यहाँ उत्पादों को रखने के तरीके में बदलाव करने से लेकर उनकी बिक्री के बारे में जानकारी जुटाने और उनके इनवेन्टरी मैनेजमेंट के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया और अपने दुकान से वैसे उत्पाद हटा दिए जिनकी कम बिक्री हो रही थी और उन्हें घाटा हो रहा था। दुकान में सभी उत्पादों को ऐसे सजाया, जिससे ग्राहकों का ध्यान आसानी से उन पर चला जाए। इससे उनकी दुकान में ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी।

अन्य दुकानदारों का भी किया मदद

इनकी दुकान को इतने अच्छे रूप में व्यवस्थित देख और भी दुकानदार अपनी दुकान का नवीकरण करने के लिए इनसे जुड़ने लगे और इसी प्रकार इन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत की और जनवरी 2021 तक, उन्होंने देश के 12 शहरों की 100 से अधिक दुकानों को शुरू किया तथा उनका नवीकरण किया। 2019-20 वित्तीय वर्ष में वैभव ने, एक करोड़ रुपये का टर्न ओवर हासिल किया। उन्हें आगे उम्मीद है कि इस साल यह आँकड़ा करीब पांच करोड़ रुपये होगा।

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निधि बिहार की रहने वाली हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभी बतौर शिक्षिका काम करती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही निधि को लिखने का शौक है, और वह समाजिक मुद्दों पर अपनी विचार लिखती हैं।

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