अक्सर हम किसानों को कई प्रकार की खेती करते हुए देखते है, गन्ने की खेती भी बङे पैमाने पर की जाती है। हम सभी को यह पता है कि गन्ने का इस्तेमाल मुख्य रूप से गुड़ अथवा चीनी बनाने के लिए किया जाता है।
अधिकतर लोग गन्ने के रस को निकालने के बाद इसके बचे हुए कचड़े को यूं ही फेंक देते हैं या फिर इसे ईंधन के रुप में इस्तेमाल करते हैं पर इसके अलावा क्या इसका कोई अन्य उपयोग किया जा सकता हैं? ऐसे में लोग सोच में पड़ जाएंगे कि इसका और क्या उपयोग किया जा सकता हैं पर आज हम आपको कुछ ऐसा बताएंगे जिसे जानकार आप भी हैरान हो जाएंगे।
अयोध्या के रहने वाले एक ऐसे शख्स जिन्होंने गन्ने के खोई का उपयोग कर के आज करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। तो आईए जानते है कि आखिर इस शख्स ने खोई का ऐसा क्या उपयोग किया है
वेद कृष्ण
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या (Ayodhya) के रहने वाले इस शख्स का नाम है वेद कृष्ण (Veda Krishna)। उन्होंने London multiplication University adventure sports management की शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में वे अपने पिता के बिजनेस को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
चीनी मिल से हुई शुरुआत?
खबरों की मानें तो वेद कृष्ण जिस कारोबार को संभाला है, उसकी शुरुआत एक चीनी मिल से हुई है। इस कारोबार को कभी इनके पिता केके झुनझुनवाला (KK Jhunjhunwala) चलाया करते थे, परंतु जब घर में बंटवारा हुआ तब उनके हिस्से में चीनी मिल मिली। आगे चलकर वेद कृष्ण ने 1981 में ‘ यश पक्का’ नाम की एक कंपनी की शुरुआत की। इनके पिता ने इस कंपनी के जरिए गन्ने की खोई से कागज और गत्ता बनाने का कार्य करते थे। वही व्यापार को बढ़ाने के लिए उन्होंने 1996 में 8.5 मेगा वाट का पावर प्लांट भी लगाया। आपको बता दें कि इस प्लान में कोयले की जगह बायोमास का उपयोग किया जाता है। -Products From Sugarcane Waste
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300 करोड़ का कारोबार
यह जानकर बहुत लोगों को हैरानी होगी कि वेद कृष्ण करने गन्ने की खोई को प्रोसेस करते हैं और उससे कई प्रकार के इको फ्रेंडली चीजे बनाने का कार्य करते हैं। वेद कृष्णा अपने व्यापार राजस्थान (Rajasthan), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और पंजाब (Punjab) से लेकर मेक्सिको (Mexico) और मिस्त्र (Egypt) तक पहुंचा चुके हैं। वेद केवल गन्ने की खोई से इको फ्रेंडली सामान बनाकर सालाना 300 करोड़ का बिजनेस करते हैं। अभी वे अपने कारोबार को पंद्रह सौ करोड़ तक लेकर जाना चाहते हैं।
तीन वर्षों तक कार्य सीखने के बाद उसे आगे बढाया
वेद कृष्ण(Veda Krishna) पहले लंदन (London) में रहते थे। वहां से आने के बाद उन्होंने अपने पिता से करीब 3 वर्षों तक कार्य करने को सीखा। इसके बाद उनके पिता का देहांत हो गया। पिता के देहांत के बाद से ही उन्होंने अपने पिता के इस कारोबार को आगे तक पहुंचाने का प्रयास करने लगे। जिस वक्त उन्होंने इस कारोबार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली उस समय इनका बिजनेस करीब 25 करोड़ का था।
ऐसे कहा जाता है कि उन्होंने अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए वे बैंकों में लोन लेते थे। तब उनकी सोंच का काफी मजाक बनाया गया, परंतु उन्होंने हौसला नहीं खोया और लगातार अपने कार्य करते रहे। धीरे-धीरे अफसरों ने उन पर भरोसा करना आरंभ किया और जल्द ही इन्होंने अपने बिजनेस को 117 करोड़ तक पहुंचा दिया जो इनकी एक बड़ी उपलब्धि थी।
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‘चक’ नाम का नया ब्रांड
वेद कृष्ण ने साल 2017 में ‘चक’ नाम का एक नया ब्रांड बनाया। जिसके तहत वे प्लास्टिक और थर्माकोल के विकल्प के रूप में गन्ने की खोई से पैकेजिंग मैटेरियल, फूड कैरी प्रोडक्ट अथवा फूड सर्विस मटेरियल बनाना आरंभ किया। इस कार्य को बेहतर तरीके से सीखने के लिए वेद कृष्ण चीन (China) और ताइवान (Taiwan) भी गए। वहां से इन्होंने 8 मशीनें मंगवाई। उसके बाद अपनी टीम को बड़ा किया और गन्ने की खोई से फाइबर निकालकर इको फ्रेंडली उत्पाद बनाने लगे।
फिलहाल वे करीब 300 टन से अधिक गन्ने की खोई को प्रोसेस करते हैं। यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस कार्य से उन्होंने पंद्रह सौ लोगों को रोजगार भी दिया है। इतना ही नहीं वे फ्रेंचाइजी मॉडल पर भी कार्य कर रहे हैं। उन्होंने हल्दीराम उन्होंने हल्दीराम, चाय प्वाइंट व मैकडॉनल्ड्स जैसी कई बड़ी कंपनियों को अपना ग्राहक भी बनाया हुआ है। -Products From Sugarcane Waste
कहते हैं कि मां बाप के धरोहर को संजोकर रखना उनके आने वाले संतान पर निर्भर करता है कि वे उस धरोहर को कैसे संभालते हैं। वेद कृष्ण ने हौसला न हारते हुए अपने पिता की बनाई गई कंपनी को एक नया मुकाम दिया, यह एक बहुत बड़ी बात है।
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