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बच्चे को अकेला देखकर लोगों का पसीजा दिल, भालू के बच्चे को अब गांव वाले पाल रहे हैं

बहुत सारे लोगों को जानवरों से प्यार नहीं होता है जिसकी वजह से मनुष्य और जानवर के बीच रिश्ता नहीं बन पाता है। लेकिन वहीं कई लोगों को पशु-पक्षी से बेहद प्यार होता है। कभी-कभी लोग पशुओं के साथ अपने बच्चों के जैसा हीं व्यवहार करतें है और उन्हें खूब प्यार और स्नेह देते हैं। आज की यह कहानी मानव और पशु के बीच के प्रेम की पराकाष्ठा करने वाली है।

हाल हीं में एक खबर सामने आई है जिसमें एक गांव के लोग भालू के बच्चे को अपने हाथ से दूध पिलाते नजर आ रहे हैं। उनका यह मनोहर दृश्य सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आइये जानते हैं पूरी कहानी…

न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर जिले में पिछ्ले कुछ दिनों से एक मादा भालू प्रतिदिन अपने बच्चों को गांव वालों के पास छोड़ जाती है और हर दिन शाम को देर से उनके पास लौटती है।

Villagers care and love with bear child

रिपोर्ट के मुताबिक, अंबिकापुर के खरसुरा गांव में एक कृषि इलाके के पास भालू ने दो बच्चे को जन्म दिया। ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों को आगाह किया और आगे का फैसला लेने के लिए पशु चिकित्सकों और वन्यजीव विशेषज्ञों के साथ मिले।

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गांव के लोगों का मनाना है कि मां की कथित भावना ने उन्हें जंगल का चयन न कर गांव के पास जन्म स्थान का चयन करने के लिए प्रेरित किया। मादा भालू सूर्य उदय होने से पहले अपने बच्चे को छोड़कर एक तय समय पर उनके पास वापस लौट आती है।

वन अधिकारियों की देखभाल में गांव के एक बुजुर्ग मनुष्य को भालू के बच्चों को दो बार दुध पिलाने का कार्य सौंपा है। वन्यजीव विशेषज्ञ प्रभात दूबे के कहा, “भालू को उसके शावकों के लिए सुरक्षित जगह लगी होगी। शायद कुछ सप्ताह के बाद या शक्ति प्राप्त करने के बाद दोनों शावक प्राकृतिक वन निवास के लिए जा सकते हैं।”

पशु चिकित्सक डॉ. सी के मिश्रा ने दोनो शावकों को स्वस्थ्य होने की बात कही है। उन्होंने बताया, “सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोगों को उस जगह पर भीड़ लगाने से बचना चाहिए। क्योंकि यह न सिर्फ शावकों को हानि पंहुचा सकता है बल्कि संभवतः किसी भी प्रकार की अनहोनी हो जन्म दे सकता है, मां भालू आक्रामक हो जाए और हमला कर दे।”

वन्यजीव विशेषज्ञों और वन्य कर्मचारियों की सुझाव को अनदेखा करते हुए वहां के निवासी इस दुलर्भ दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं।

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