हमारे देश के किसान अपनी मेहनत से लोगों को जैविक खाद से निर्मित उत्पाद का सेवन करा रहे हैं ताकि सभी स्वस्थ रहें। जैविक उर्वरक के माध्यम से उगाए गए सब्जियां केमिकल युक्त नहीं होती जो हमारे शरीर को रोग से मुक्त कराते हैं। आज की यह कहानी ऐसे किसान की है जिन्होंने जैविक उर्वरक के माध्यम से गन्ना की खेती की और फिर इससे गुड़ बनाना शुरू किया। इनके गुड़ लोगों को बहुत ही पसंद आए और वह इस गुड़ से अधिक से अधिक लाभ कमा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) बिजनौर गांव में किसान जैविक खाद से गन्ने की खेती किए। यहां के किसानों द्वारा इसी जैविक खाद से उत्पादित गन्ने से वे गुड़ भी बना रहे हैं। यहां जो केमिकल युक्त गन्ने से गुड़ बनाए जाते थे वह 26 रुपये बिकते थे लेकिन जैविक खाद से निर्मित गन्ने 65 रूपये बिक रहे हैं।
लगभग 46 गंगा किनारे बसे हैं जहां के किसानों को पहली बार इस जैविक खेती का शुभारंभ कराया गया। यहां पर लगभग 13 सौ हेक्टेयर भूमि में किसानों ने ऑर्गेनिक खेती किया। यहां 9 सौ हेक्टेयर में मात्र गन्ना उगाया। यहां की सरकार भी इन्हें खेती के बहुत सारे तकनीक उपलब्ध करा रहा है ताकि वह जैविक खेती करें। यहां के किसान अपने गन्ने को कोल्हू की मदद से गुड़ का निर्माण कर रहें हैं।
जैविक गन्ने में लगभग 50 क्विंटल से अधिक गुड़ की प्राप्ति हो रही है जिसका 1 क्विंटल का मूल्य 65 हजार हो रहा है। जिस कारण किसानों को इस खेती से बहुत हीं ज्यादा लाभ मिल रहा है। इनको अपनी खेती में जो लागत लग रहा है उससे अधिक मिल जा रहा है। अगर ये किसान 3 वर्षों तक यही पद्धति अपनाकर खेती करें तो इन्हें जैविक खेती के सर्टिफिकेट प्राप्त हो जाएगा। जिस कारण इन्हें 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से इसकी बिक्री होगी।
किसानों को केंचुए और हरी खाद किस तरह निर्मित करें ये सब बताया जाता है। आपको किस तरह केंचुए से अधिक लाभ होगा ये सब बताया जाता है। इस जैविक खेती से जुड़ने वाले सुरजीत सिंह नजीबाबाद के निवासी हैं। यह लगभग 2 वर्ष से जैविक खेती कर रहे हैं। इनके खेतों में सिर्फ अनाज हीं नहीं बल्कि पशुओं के लिए चारा भी जैविक खाद से उत्पादित है। इनका कथन ये है कि हम जैविक खेती में कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं।
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एक और किसान हैं विनोद कुमार जो मकिमपुर के निवासी हैं। यह भी कुछ वर्षों से जैविक खेती में हल्दी और गन्ना उगा रहे हैं। यह गन्ने का शिरा बनाते हैं। यह लगभग 1 क्विंटल में 50 लीटर शीरा का निर्माण कर लेते हैं। वही इनकी हल्दी 500 रुपये 1 किलो के हिसाब से बिकती है।
करुण अग्रवाल जो कि अफजलगढ़ के निवासी हैं यह भी जैविक खेती करते हैं। इनका मानना है कि अब अगर रसायनिक खादों का उपयोग कर खेती कर रहे हैं तो यह हमारे भूमि को क्षति पहुंचाते हैं इसीलिए हम जैविक खेती करें ताकि हमारा उत्पादन भी अधिक मात्रा में हो और भूमि को भी नुकसान ना पहुंचे।
सरदार अमरीक सिंह प्रेमपुरी के निवासी है। जो जैविक खेती कर उसमें काला गेहूं, धान, गन्ना, गेंहू हल्दी। सब्जियों में प्याज, लहसुन, आलू, गोभी आदि उगा रहे हैं और इनका भी मानना है कि हम इस खेती से अधिक लाभ कमा सकते हैं और हमारे स्वास्थ्य के लिए भी यह लाभदायक है।
जैविक खाद का उपयोग कर यह किसान जिस तरह खेती कर रहे हैं वह सराहनीय है। The Logically इन किसानों की भूरि-भूरि प्रशंसा करता है।
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