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इन गांवों को लोग विधवाओं का गांव कहते हैं, इन गांव में अब कोई पुरुष नही बचा

पुरूष घर की शान होता है। किसी घर में पुरुष ना हो वह घर महिलाएं किस तरह चलाती हैं यह अंदाजा लगाने की जरूरत नहीं है। महिलाएं अपने घर सम्भालती हैं और पुरुष उन्हें इस कार्य के लिए अपनी मेहनत से पैसे कमाकर मदद करते हैं। लेकिन एक गांव ऐसा भी है जिसे बिधवाओं का गांव कहा जाता क्योंकि इस गांव के घर मे पुरूष नहीं बचे हैं।

पंजाब का गांव

जी मीडिया की टीम के अनुसार जब ये पंजाब (Punjab) के मानसा (Mansa) के कोर्ट धर्मु गांव के निवासी किसान नजर सिंह का घर तो है लेकिन वह जीवित नहीं हैं। वह अपने बेटे को खेती कैसे करनी है एक पेड़ के नीचे बैठकर बताया करते थे। लेकिन दुःखद बात यह है कि उन्होंने आत्महत्या इसी पेड़ पर लटक कर कर ली थी और अब उनके बेटे भी जीवित नहीं वह भी मर चुके हैं। इन सब का कारण सिर्फ एक हीं है कि उन लोगों ने खेती के लिए जो कर्ज लिए थे वह चुका नहीं पाए तो उन्होंने आत्महत्या कर ली।

 Widows women of mansa village

गांव के सभी घरों में है यह दिक्कत

रंजीत सिंह का घर भी ऐसा ही है। मतलब उन्होंने खेती के लिए जो पैसे कर्ज लिए थे वह 11 लाख हो गई और वह अपनी खेती से उतने पैसे नहीं कमाते कि उसे चुका दें। यह परेशानी कम नहीं थी तब तक उनका बेटा भी रोग ग्रसित हो गया। तब उन्होंने आत्महत्या अपने खेत में फांसी लगाकर की।

भम्मा गांव की कहानी

यहां से आगे बढ़कर जब इनकी टीम भम्मा पँहुची तब वह किसान गुरप्यार सिंह के घर गए। जहां उन्होंने पाया कि घर में कोई भी पुरुष नहीं है। वहां उनकी दो बेटी के साथ उनकी पत्नी हैं। उनके पति ने यानी कि गुरपयार सिंह ने पैसे कर्ज पर लिए थे लेकिन वह उसे चुका नहीं पाए इस कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली। उनके घर का एकमात्र सहारा उनका 15 साल का बेटा था। लेकिन वह भी एक रोड एक्सीडेंट में मारा गया और उनके घर का आखरी वंश भी खत्म हुआ। अब उनके घर में कोई पुरुष नहीं है।

राजविंदर कौर का परिवार

गांव में राजविंदर सिंह के परिवार से मिले। राजविंदर सिंह के बेटे जसवीर सिंह एक युवा किसान थे। वह अपने परिवार के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे लेकिन कर्ज का बोझ इस कदर बढ़ा कि एक-एक सांसें बोझिल हो गईं। जब उनके पिता अपने बेटे की इस खबर को सुने और वह इस गम को भूल नहीं पाए और उनकी भी मृत्यु हो गई।

आत्महत्या को रोके गवर्मेंट

वैसे तो उनकी मृत्यु के लिए मुआवजा देने की बात कही गई है। लेकिन यह सारे कार्य सिर्फ कागजों तले दबे ही रह जातें हैं। मतलब तो यही है कि यहां सिर्फ नेताओं को वोट चाहिए आगे यह किसानों की कोई मदद नहीं करते।

The Logically सरकार से अपील करता है कि उनलोगों की मदद की जाए ताकि पुरूष जीवित रह अपना घर परिवार को खुशियां दे पाएं।

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