हमारे समाज में अभी भी कई जगह बेटियों को शिक्षा नहीं दी जाती है। अभी भी समाज में बेटियों की शादी बहुत छोटी उम्र में ही कर दी जाती है। बच्चियों की शादी छोटी उम्र में कर उनके जीवन को खतरे में डाल दिया जाता है। समाज को इस बारें में सोचने की जरुरत है, आखिर क्यों बेटियों को पढ़ाने के बजाय उनकी शादी कम उम्र में ही कर दी जाती हैं। यदि बेटियां शिक्षित होगी तो आनेवाला भविष्य भी शिक्षित होगा। लडकियों को शिक्षित करने के लिये सभी अपने-अपने स्तर पर कोशिश करते हैं। जैसे सरकार भी लड़कियो को पोशाक, राशि, साइकिल जैसी चीजें मुहैया कराती है। लेकिन कुछ लोग अपने स्तर पर अलग शुरुआत करतें है।
आपने शिक्षा के प्रति कई कहानियां सुनी होगी या पढें होंगें। आज आपको एक ऐसे अनोखे स्कूल के बारें में जानने को मिलेगा जहां बेटियों को फ्री में भोजन और मुफ्त शिक्षा प्रदान किये जातें हैं। इसके अलावा प्रतिदिन आनेवाली बच्चियों को 10 रुपये भी इनाम के तौर पर दिये जातें है, ताकी बच्चियाँ अपनी पढ़ाई कर सके।
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स्कूल का नाम है ‘परदादा-परदादी‘। इस स्कूल की शुरुआत वीरेंद्र सिंह (Virendra Singh) ने की है। इनकी उम्र 60 वर्ष है। वीरेंद्र सिंह अमेरिका (America) में नौकरी करतें थे, जब वह रिटायर्ड हुए तो वापस अपने देश आ गयें। वीरेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर लिया था। अमेरिका में कई विदेशी दोस्त हमेशा कहा करते थे कि इंडिया में तुम्हारे जैसे लोगों की बहुत जरुरत है। ऐसे में तुम्हें वापस अपने देश जाना चाहिए और वहां के लोगों के लिये कुछ नेक कार्य करना चाहिए। उसके बाद वीरेंद्र सिंह वापस अपने घर अनुपशहर आ गयें। यह उत्तर प्रदेश में है। अपने शहर आये तो उन्हें अनुभव हुआ कि यहां सच में बहुत कुछ करने की जरुरत है और करना बेहद जरुरी है।
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वीरेंद्र सिंह बताते है कि उनके जीवन में एक घटना ने उन्हें पूरी तरह से अन्दर तक झकझोर के रख दिया था। उन्होंने देखा कि एक लड़की जिसकी उम्र लगभग 12 से 13 वर्ष होगी, उसके सलवार में कुछ खून के बूंद लगे हुए थे। उस बच्ची के सलवार को देखकर उसकी चाची ने उसकी मां से कहा, “बेटी बड़ी हो गई है। इसकी शादी की उम्र हो गईं है। यही सही समय होता है बच्चियों की शादी करने का।” यह सब देखकर वीरेंद्र सिंह ने निश्चय किया कि वह गांव की बच्चियों के लिये कुछ करेंगे।
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वीरेंद्र सिंह (Virendra Singh) ने ‘परदादा-परदादी’ के नाम से एक स्कूल खोला। यह स्कूल UP के बुलंदशहर के अनूपशहर में स्थित है। इस स्कूल में 12वीं तक की शिक्षा के लिये सब कुछ बिल्कुल फ्री है। ‘परदादा-परदादी’ स्कूल में 65 गांवों से लगभग 1600 लड़कियां शिक्षा ग्रहण करने के लिये आती हैं। लडकियों को आने-जाने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिये स्कूल की तरफ से 17 बसें चलाई जाती हैं जो बच्चियों को गांव से स्कूल तक पहुंचाते हैं। इसके अलावा प्रतिदिन आनेवाले छात्रों को 10 रुपये का इनाम भी दिया जाता है।
स्कूल के बारें में वीरेंद्र सिंह ने बताया कि आरंभ के दिनों में कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। वहां के लोगों को इसके लिये समझा पाना बहुत कठिन कार्य था। लोगों को उन पर ऊपर शंका होती थी। उन्हें लगता था कि कोई विदेश से पैसे वाला आया है, दो-चार दिन के लिये वादे करेगा और फिर वापस चला जायेगा। लेकिन वीरेंद्र सिंह ने वहां के बच्चियों के लिये ठोस कदम उठाने के लिये सोच लिया था। इसलिये उन्होंने लोगों को बहुत सारे तरीकों से समझाया। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि आप अपने बच्चों को 1-2 महीने के लिये स्कूल भेजे, उसके बाद यदि आपको बढ़िया लगेगा तो भेजे अन्यथा नहीं। आप सभी से किसी भी प्रकार की कोई शुल्क की मांग नहीं की जा रही है।
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जोश के अनुसार, “स्कूल के प्रत्येक बच्चे पर औसतन 39 हजार रुपये सालाना खर्च होते हैं। यह पैसा अधिकतर अप्रवासी इंडियन के द्वारा दिया जाता है जिन्होनें इन बच्चियों के लिये शिक्षा की जिम्मेदारी उठाई है। 12वीं तक की शिक्षा के लिये कोई भी शुल्क नहीं लगता हैं, लेकिन 12वीं से आगे की शिक्षा के लिये बच्चों को स्वयं भी कुछ जिम्मेदारी लेनी होती है। शिक्षा के लिये इस स्कूल ने अच्छा कदम उठाया है और बहुत सराहनीय कार्य भी कर रहा है। इस स्कूल को राज_नीतिक नेता (Political Leader) भी पूरा सहयोग दे रहें हैं। यह मुहीम एक ख्वाब की तरफ शुरु हुई थी लेकिन अब यह हकीकत बन गई हैं।
The Logically बच्चियों के लिये उठाये गये कदम के लिये वीरेंद्र सिंह को शुक्रिया करता है और साथ ही उन्हें इस कार्य के लिये हृदय से नमन करता है।
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