लद्दाख का जिक्र सुनते ही हमारे मन में एक ही ख्याल आता है। लद्दाख में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड का। ठंड के मौसम में यहां का तापमान -30 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है, जिस कारण पानी को लेकर दिक्कत आती है।
पानी जमने की परेशानी हुई दूर
पहले पानी के जम जाने के कारण यहां पीने के पानी में दिक्कत होती थी, लेकिन हमारे देश के इंजीनियर ने ऐसी तरकीब ढूंढ निकली है, जिससे पाइप से पेयजल की पूर्ति हो सकती है।
लेह में अधिकतर घरों के इर्द-गिर्द खेती करने योग्य भूमि और पशुधन रखने के कारण पानी का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है। बात अगर सर्दियों के मौसम की हो, तब पेयजल की किल्लत होती है। स्टोक में करीब 38 चपाकल अर्थ हैंडपंप हैं, परंतु सर्दियों में अधिक ठंड के कारण नलकूपों के पाइप जम जाते हैं, जिससे जल की आपूर्ति नहीं हो पाती।
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कर्मचारियों से मिली जानकारी
जल जीवन मिशन के कर्मचारियों ने यह जानकारी दिया कि जब हमने स्टोक के ग्रामवासियों से बातचीत के दौरान, हम वहां की नदी नालों से जल की आपूर्ति समेत, गांव की भौगोलिक स्थिति के साथ बहुत से बिंदुओं पर ध्यान दिया और उन पर वार्तालाप भी किया। उसके बाद ही हमने यह निर्णय लिया कि यहां अगर जल की आपूर्ति करनी है, तो इसके लिए इंफिल्ट्रेशन गैलरी तकनीक का ही उपयोग उचित रहेगा।
निम्न बिंदु अपनाए गए
- पानी पाईप में ना जमे इसलिए उसे जमीन से बहुत नीचे दबा दिया गया।
- जब पानी जमा गया तब उसे ओवरहेड टैंक में एकत्रित किया गया।
- अब पानी बर्फ में तब्दील ना हो इसके लिए सौर ऊर्जा द्वारा उसे गर्म रखा गया।
- एक समय निर्धारित हुआ, जिसके द्वारा ओवरहेड टैंक का जल जल्द निकासी हो ताकि जले जमे नहीं।
इंफिल्ट्रेशन गैलरी तकनीक द्वारा सब-सरफेस वाटर को एक उचित स्थान पर लाया गया फिर उसे फिल्टर किया जाने लगा। फिल्टर के लिए जलाशयों या नदी के सबसे निचले भाग में पाइप को इंक्लूड कर दिया जाता है, जो पानी को फिल्टर कर उसे टैंक में पंहुचाता है।
अब इस तकनीक द्वारा स्टोक, फ्यांग और नंग गांव में जल की आपूर्ति हो रही है। लद्याख में जल जीवन मिशन की परियोजना लगभग 362 करोड़ है। इंजीनियरों का उद्देश्य सभी गांवों में जल की आपूर्ति करना है।