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बिना मिट्टी के छत पर उगाती हैं आर्गेनिक फल और सब्जियां ,पिछले 10 वर्षों से बाजार से नही खरीदी सब्जी

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के किसान खेती के लिए तरह-तरह के कंपोस्ट तैयार कर फसल उपजाते हैं। कभी भारी बारिश के कारण फसलें बर्बाद हो जाती है तो कभी सूखा पड़ने के कारण। फिर भी किसान हार नहीं मानते और खेती करते रहते हैं। आज की हमारी यह कहानी “मैराथन धावक” नीला रेनाविकर पंचपोर की है। जो जगह की कमी के कारण शहर में रहते हुए अपने घर की छत पर अनेक प्रकार की सब्जियां उगा रहीं है।

आजकल ज़्यादातर किसान जैविक खेती कर रहें हैं। इनमें से एक हैं पुणे की रहने वाली नीला जो बिना मिट्टी के सब्जियां अपने छत पर उगाती हैं। इन्होंने अपने 450 स्क्वायर फ़ीट टेरेस गार्डन में कई तरह के सब्जियों और फलों के पौधें लगाई हैं जो देखने मे बहुत ही मनमोहक लगते हैं।

सूखे पतों और गोबर से बनाती है उर्वरक

Nila अपने पेड़-पौधों के लिए खुद से उर्वरक बनाती हैं। यह उर्वरक वह सूखे पत्तों, गोबर और किचन वेस्ट जैसी चीजों से बनाती है। पत्तों से बने खाद मे ज़्यादा मात्रा में नमी मौजूद रहती है जिससे पौधों की सेहत बनी रहती है, और पौधे सुखते नहीं है। साथ ही उपज भी बहुत अच्छी होती है।

खेती करनी शुरू की तो उन्हें पता नहीं था कि कैसे खेती करें। फिर वह इंटरनेट की मदद से काफी सारी तकनीक सीखी और कुछ दिनों बाद उन्होंने अपने घर पर ही एक डिब्बे में कुछ सूखी पत्तियां, गोबर और किचन वेस्ट जैसी सामग्रियों को मिलाकर खाद बनाना सीख गईं। फिर शुरू हुआ नीला के ऑर्गेनिक खेती करने का सफ़र या यूं कहें तो खेती करने का सफ़र।

बाल्टी में बीज लगाकर की शुरुआत

शुरुआती दौर में उन्होंने एक बाल्टी में कंपोस्ट डाला और उसमें खीरा का बीज लगाया। फिर उसे नियमित तौर पर पानी देने लगी। लगभग 30 दिनों बाद उस बाल्टी में दो खीरे उगे इस छोटी सी जीत से उन्हें बहुत खुशी हुई और वह आगे की तैयारी शुरू कर दी। कुछ दिनों बाद ही वह मिर्च, टमाटर के साथ ही आलू भी ज़्यादा मात्रा में उगाने लगी।

Nila के द्वारा किये गये खेती के फ़ायदें

नीला बिना मिट्टी के खेती की बहुत सारी फ़ायदें बताती हैं जिसमें से एक है- उस बीज मे कीड़े नहीं लगते, मिट्टी वाली खेतों में पोषण के लिए पानी की भी आवश्यकता होती है जबकि इसमें नहीं होती। सबसे खास बात तो यह है कि इस तरीक़े से की गई खेती में घास-पतवार नहीं उगते हैं क्योंकि इनमें मिट्टी की मात्रा नहीं होती है।

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प्लास्टिक के डब्बे में लगाती हैं पौधें

पर्यावरण संरक्षण के लिए नीला प्लास्टिक के बर्तनों तथा पुराने डिब्बों में पौधों को लगाती हैं। उन्होंने अपने टेरेस पर कम-से -कम 100 से अधिक डिब्बों में पौधे लगाए हैं। अपने छत के बगीचे में उगाए हुए फल को नीला जरूरतमंद लोगों में वितरित कर देती हैं।

अपना खेती करने का तरीक़ा सबके साथ साझा किया

नीला ने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है जिसमें वह खेती-बाड़ी से जुड़े तरिक़ों को सबको बताती हैं कि कैसे बिना मिट्टी के पौधों को बचाया जा सकता है और उर्वरक को ख़ुद से कैसे बनाया जा सकता है। उनके बनाए इस ग्रुप में लगभग 30,000 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। वह सारी जानकारी फेसबुक पर भी दोस्तों के साथ साझा करती हैं। The Logically नीला के द्वारा किये गए पर्यावरण संरक्षण के प्रयास को सलाम करता है।

Khushboo loves to read and write on different issues. She hails from rural Bihar and interacting with different girls on their basic problems. In pursuit of learning stories of mankind , she talks to different people and bring their stories to mainstream.

16 COMMENTS

  1. Kindly provide Mila’s what’s app group no to join.
    The knowledge provided by u is good nd inspiring, thanks

  2. Very good and I appreciate your work mam I m also a Nature lover and I also growing plant at my roof I m beginner please give some tips for organic gardening.

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