लगभग पिछले दो दशकों से लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर विशेष जागरुक हो रहे हैं। ऐसे में उन्होने अपनी डायट(Diet) को और ज़्यादा हेल्थी बनाने के लिए उसमें जानवरों के मांस से मिलने वाले प्रोटीन के कारण नॉन-वेज(Non-Veg) को भी अपनाना शुरु कर दिया है। हालांकि आरंभ से ही कुछ धर्म विशेषों में मांसाहारी भोजन का उपयोग निषेध भी रहा है। जिसका मुख्य कारण यह समझा जाता है कि अपने शौक या सेहत के नाम पर किसी अन्य प्राणी या जानवर का कत्ल करना उचित नही है। इन परिस्थितियों में हेल्थ-कॉन्शियस व मीट खाने के शौकीन लोग भला किया करें?
लेकिन, अब आपको नॉन वेज खाने के लिए किसी जानवर का कत्ल करने की बिल्कुल भी ज़रुरत नही है क्योंकि अब प्रयोगशालाओं में मीट तैयार किये जाने का विकल्प आ गया है। जिसमें किसी जानवर की हत्या किये बिना ही टेस्टी व हेल्दी मीट तैयार किया जा रहा है। जिसे ‘लैब मीट’ (Lab Meat) का नाम दिया गया है।
वर्तमान में नेचुरल मीट के एक बेहतरीन विकल्प के रुप में धीरे-धीरे काफी देशों ने इस लैब मीट को अपनाना शुरु कर दिया है। जहां सिगांपुर लैब मीट प्रोडेक्शन को मंज़ूरी देने वाला पहला देश बन गया है वहीं इजरायल की एक कंपनी Super Meat.Com भी लोगों को फ्री में क्रिस्पी कल्चर्ड मीट परोस रही है। भारत में भी 2019 से इस दिशा में प्रयास होने शुरु हो गये हैं।
क्या है लैब मीट(Lab Meat)
लैब मीट जिसे ‘क्लीन-मीट’ भी कहा जाता है एक ऐसा मीट होगा जिसे बिना किसी जानवर को काटे या खून-खराबा किये उसके शरीर से केवल कुछ कोशिकाएं एवं तंतु Cells) लेकर पूरी तरह से प्रयोगशालाओं में कृत्रिम (Artificial) तरीके से उगाया या तैयार किया जाएगा। लैब में तैयार किये जाने की वजह से इस मीट को कल्चर्ड मीट(Cultured Meat), सेल बेस्ड मीट(Cell Based Meat), इन विट्रो मीट(In Vitro meat जैसे नाम भी दिये जा रहे हैं।
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लैब मीट में फैट की मात्रा होगी बेहद कम
अगर जानवरों के cells लेकर लैब में उगाये गये कल्चर्ड मीट के फायदों के बारे में बात करें तो न केवल लैब मीट के ज़रिये लोगों में रोगों के जोखिम को कम किया जा सकेगा। इसके अलावा पहला फायदा, इस मीट में लोगों की सेहत व पोषण को ध्यान में रखते हुए भविष्य में बदलाव की पूरी संभावनाएं होगीं। दूसरा फायदा, प्योर मीट में सैच्यूरेटेड मीट की मात्रा बेहद अधिक होती है जो लोगों में हाई ब्लड प्रेशर या हार्ट अटैक का मेन कारण बनती है, इन हालातों में इस लैब मीट में ओमेगा-3 फैटी एसिड और हेल्दी फैट शामिल किये जाएंगे। तीसरा फायदा, इस मांस से ऐसे मिनरल्स और विटामिन पाये जा सकेंगे जो नेचुरल मीट में नही मिलते।
जानवरों की हत्या से पर्यावरण होता है प्रदूषित
ये बात सही है कि भोजन में मांसाहार का प्रयोग आपको सेहदमंद बनाता है। लेकिन आप इस बात को भी अनदेखा नही कर सकते कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए की गई जानवरों की हत्या जलवायु और पर्यावरण को बेहद नुकसन पहुंचाती है। जानवरों की हत्या से खून, हड्डियों व वसा के तौर पर निकलने वाले वेस्ट को धरती अपने भीतर समाहित नही कर पाती और ये जलवायु और पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनते हैं।
जानवरों की हत्या धरती पर जैव संतुलन को बिगाड़ रही है
धरती पर कुल स्तनधारी जीवों में 60 प्रतिशत ऐसे पशुओं का है जिनकी हत्या कर आप आपने क्यूज़ीन का हिस्सा बना लेते हैं। आज 36% इंसान और सिर्फ 4% जंगली जानवर हैं। वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 13 करोड़ मुर्गों और 40 लाख सुअरों को मार दिया जाता है। जिनमें मटन की प्राप्ति के लिए लगभग 14 से 20 लाख गायों व भैंसों को काट दिया जाता है सो अलग। संक्षिप्त में समझें तो मांस की इस भारी खपत के चलते धरती पर जैव संतुलन बिगड़ने लगा है जिससे भविष्य में कई जानवरों की प्रजाति खत्म होने का डर भी हो सकता है।
ग्रीन हाउस इफेक्ट को भी कम करेगा कल्चर्ड मीट
ये एक कड़वा सच है कि मीट कारखानों से ग्रीन हाउस गैस रिलीज़ होती हैं। ऐसे में लैब मीट को इसके एक बेहतरीन विकल्प के रुप में देखा जा रहा है। जिससे न केवल ग्रीन हाउस गैस रिलीज़न पर रोक लगेगी साथ ही, ग्लोबल वार्मिंग भी कम होगी।
सबसे पहले सिंगापुर में लैब प्रोड्यूस मीट को मिली मंजूरी
वर्तमान में विश्व में सिंगापुर (Singapore)लैब प्रोड्यूस मीट को मंज़ूरी देने वाला पहला देश बन गया है। हाल ही में सिंगापुर के एक रेस्टोरेंट ‘1880’ (Restaurant- 1880) ने नेचुरल मीट के विकल्प के तौर पर लैब में उगाये गये मुर्गे को ग्राहक के आगे सर्व करके एक नया इतिहास रच डाला। यूएस(US) की एक स्टार्टअप कंपनी जस्ट- ईट(Just Eat) ने Restaurant- 1880 में इस मीट को पेश किया था। कंपनी का दावा है कि इस मीट में नेचुरल मीट के बराबर ही पोषक तत्व व स्वाद होगा। सरकार से मंजूरी के बाद Just Eat कंपनी कई दर्ज़न कल्टीवेटिड चिकन, बीफ और पोर्क तैयार कर रही है।
भारत में भी लैब मीट पर रिसर्च और प्रोडेक्शन के लिए सेंटर खुलने की संभावना
साल 2019 में महाराष्ट्र गवर्मेंट और इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टैक्नोलॉजी ने अमेरिका के एक एनजीओ ‘गुड फूड इंस्टिट्यूट’ के साथ मिलकर एक करार किया है जिसमें भारत में सेल बेस्ड मीट रिसर्च और प्रोडेक्शन को बढ़ावा देने के लिए एक सेंटर खोला जाएगा।
भविष्य में संभावित मांस की आपूर्ति को पूरा करने में कल्चर्ड मीट निभा सकता है खास भूमिका
शोधकर्ताओं के मुताबिक साल 2050 तक मांस की कुल संभावित खपत 70% से भी ज़्यादा बढ़ने की उम्मीद है ऐसे में प्रयोगशालाओं में जानवरों की कोशिकाओं से तैयार किया जा रहा ये कल्चर्ड मीट खाध आपूर्ति को पूरा करने में बेशक ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।