कहते हैं अगर हौसला बुलंद हो, तो हम जरूर कामयाब हो सकते हैं। कुछ ऐसा ही सिंध प्रांत के शिकारपुर जिले की रहने वाली डॉक्टर सना ने कर दिखाया है। डॉक्टर सना राम चंद पहली हिंदू लड़की हैं, जिन्होंने सेंट्रल सुपीरियर सर्विस (CSS) परीक्षा पास किया है। जिसके बाद उन्हें पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा (पूर्व जिला प्रबंधन समूह, डीएमजी) के लिए चयनित किया गया है। शुरुआत में यह संभावना है कि उन्हें असिस्टेंट कमिश्नर के रूप में नियुक्त की जाएंगी।
सना ने बताया कि उन्होंने अपनी तैयारी शुरू करने से पहले सभी सोशल मीडिया ऐप्स को डिलीट कर दिया था और सामाजिक रिश्तों से भी दूरी बना ली थी। इसके बाद उन्होंने अपनी पूरी मेहनत और लगन से पूरे 8 महीने CSS की तैयारी की और अंत में कामयाबी भी हासिल की।
सिंध में हिंदू आबादी लगभग 20 लाख है। पहले इस समुदाय की ज्यादातर लड़कियों ने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े रोजगार को महत्व दिया परंतु पिछले कुछ सालों में इनकी सोच में बदलाव आया और वह पुलिस और न्यायपालिका से जुड़े क्षेत्र में रोजगार के लिए अग्रसर हुई।
साल 2020 में CSC की वार्षिक परीक्षा में पूरे 18,553 उम्मीदवार शामिल हुए थे, जिनमें टेस्ट और इंटरव्यू के बाद मात्र 221 लोगों को ही चुना गया था। इस परीक्षा में 2 प्रतिशत से कम लोग ही सफल हो पाए और इन्हीं में से पाकिस्तान की सेवा करने के लिए जिन 79 महिलाओं को चुना गया उनमें से एक डॉक्टर सना राम चंद भी शामिल थी।
ग्रामीण क्षेत्र से की शिक्षा की शुरुआत
सिंध प्रांत के शिकारपुर जिले में स्थित कस्बा चक की रहने वाली डॉक्टर सना, जिन्हें पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा (पूर्व जिला प्रबंधन समूह, डीएमजी) के लिए चयनित किया गया है। उन्होंने अपनी प्राइमरी से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई सिंध से ही पूरी की है। इनके पिता स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंध रखते है।12वीं में अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद सना ने सिंध के चांडका मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस (MBBS) किया और सिविल अस्पताल कराची में हाउस जॉब भी किया।
सना सिंध इंस्टिट्यूट ऑफ़ यूरोलॉजी एंड ट्रांसप्लांट से यूरोलॉजी में एफसीपीएस कर रही हैं और कुछ ही महीनों में वे सर्जन भी बन जाएंगी।
डॉ. सना ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि कॉलेज तक उनका यही लक्ष्य था कि उन्हें डॉक्टर बनना है। वे बहुत तेज छात्रा थी और उन्हें शैक्षणिक उपलब्धि के लिए पदक भी मिला था। उनका एमबीबीएस (MBBS) के बाद एफसीएस (FCS) ठीक चल रहा था और इस बारे में उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि उन्हें सीएसएस करना है।
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‘टर्निंग प्वाइंट’ बना अस्पतालों में मरीजों की हालात
सिंध में सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेहद ही बुरी थी और वहां के मरीजों की परिस्थिति को देखकर डॉक्टर सना राम चंद को देखा नहीं गया। इसके बाद उन्होंने सीएसएस करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि मैंने पहले यह निश्चय किया कि एक सर्जन और यूरोलॉजिस्ट बनना है पर इस क्षेत्र में बहुत कम लड़कियां हैं। चांडका हॉस्पिटल या जो दूसरे सरकारी हॉस्पिटल है, जब उन्होंने देखा कि ना यहां मरीजों की कोई देखभाल है और ना ही कोई संसाधन वहां उपलब्ध है। उन्होंने कहा की वहा काम करने लायक माहौल ही नहीं था।
सना ने आगे बताया कि इसके विपरीत ब्यूरोक्रेसी एक ऐसा प्लेटफार्म देती है, जहां आप कुछ हद तक बदलाव ला सकते हैं। मैं एक डॉक्टर के रूप में मरीजों के इलाज के लिए प्रतिबद्ध हूं परन्तु इससे अवसर सीमित हो जाता है। ब्यूरोक्रेसी में ज्यादा और अवसर उपलब्ध है, जिससे हम समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और यही मेरा टर्निंग प्वाइंट रहा। उनके मुताबिक उन्हें सीएसएस का विचार साल 2019 में आया और उन्होंने तैयारी शुरू कर दी। साल 2020 में उन्होंने परीक्षा दीया और पास भी हुई, परंतु फिर भी उन्होंने एफसीपीएस को जारी रखा और चिकित्सा अधिकारी की नौकरी नहीं छोड़ी। सना कोविड वार्ड की ड्यूटी के साथ इंटरव्यू की तैयारी करती थी।
सामाजिक संपर्क से बनाई दूरी
डॉक्टर सना ने बताया कि अक्सर लोग सफल लोगों की सफलता ही देखते हैं परंतु इसके पीछे उनके संघर्ष को कोई नहीं समझ पाता है। मैं सुबह 8:00 बजे से लेकर रात के 8:00 बजे तक कोविड वार्ड में ड्यूटी करती थी और इसके बाद लाइब्रेरी जाती थी। – girl who cleared CSS
उन्होंने अपने मोबाइल से सभी सोशल मीडिया अकाउंट को डिलीट कर दिया था और सामाजिक जीवन से भी दूरी बना ली थी। यहां तक कि अपने चचेरे भाई की शादी में भी नहीं जा पाई। इतना ही वह मुश्किल से 6 से 7 घंटे तक ही सो पाती थी। – girl who cleared CSS
सना ने बताया कि वह नौकरी भी नहीं छोड़ सकती थी और अपनी पढ़ाई वह छोड़ना नहीं चाहती थी। वह कहती हैं कि अगर आपको अपनी मेहनत पर विश्वास है, तो आप नौकरी करते हुए भी अपनी पढ़ाई कर सकते हैं। वह मानती हैं कि अगर आपको यह करना है तो करना है फिर आप कोई बहाना नहीं बना सकते कि मेरी तो नौकरी बहुत कठिन है। वह कहती हैं कि अगर आपको पहली कोशिश में सफल होना है, तो आपको खुद पर विश्वास रखना बहुत जरूरी होता है । – girl who cleared CSS
सना के माता-पिता इनके सीएसएस (CSS) से खुश नहीं थे पर सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया ने उन्हें बदल दिया और उनके सफलता के पश्चात उन्होंने भी प्रोत्साहित किया। उनके मुताबिक जिस तरह दूसरों के माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे ब्यूरोक्रेसी में अपना कैरियर बनाएं, वैसे उनके माता-पिता नहीं चाहते थे। उन्होंने अपनी मां को समझाया और कहा कि वह उन्हें एक मौका दे अगर वह पास हो गई तो ठीक है वरना वह चिकित्सा के फील्ड को जारी रखेंगी। – girl who cleared CSS
सना की परीक्षा का रिजल्ट आया, जिसके बाद उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई और लोगों ने उनकी काफी तारीफ की। सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इनके माता-पिता ने भी इन्हे प्रोत्साहित किया और कहां की अपने सपनों को पूरा करो। सना के लिए यह बहुत बड़ी बात थी क्योंकि अब इनके साथ इनके माता-पिता का भी साथ मिल गया था। – girl who clears CSS
सना का कोई भाई नहीं है वह चार बहने हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने कभी भी यह महसूस नहीं किया कि वह किसी पुरुष से कम हैं। वह बताती हैं कि ब्यूरोक्रेसी में कई महिलाएं ऐसी हैं, जिनसे प्रेरणा मिलती है।
सना ने अपनी मेहनत और लगन से अपने देश ही बल्कि दूसरे देश में अपनी सफलता का परचम लहराया है,जो बहुत सराहनीय है। – first girl who cleared CSS