खेती में अच्छा मुनाफे कमाने के लिए किसान नए-नए प्रयोग कर रहें हैं और परिणामस्वरूप इससे उनको अधिक फायदा भी हो रहा है। एक ऐसे ही किसान सीवी प्रकाश है जिन्होंने हाइड्रोपोनिक तरीके (Hydroponic Method) से खेती करके लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।
नेवी से रिटायर ऑफिसर सीवी प्रकाश (CV Prakash) वर्ष 2008 से लेकर अब तक 12 हजार से अधिक लोगों को बिना मिट्टी के अर्थात हाइड्रोपोनिक खेती (Hydroponic Farming Method) के गुण सीखा चुके हैं। बेंगलुरु के चिक्कासान्द्रा में उनका अपना सीवी हाइड्रो सेंटर भी है। वहां उन्होंने बिना मिट्टी के हल्दी के सेलम किस्म उगाई। मई 2020 से जनवरी 2021 तक चले इस शोध में उन्होंने अनुभव किया कि इस तरीके से खेती करने के अधिक फायदे हैं।
सीवी प्रकाश (CV Prakash) ग्रो बैग में हल्दी की खेती (Turmeric Farming) कर रहे थे जिससे उन्हें लगभग 8.17 किलोग्राम हल्दी की उपज हुई। इस हल्दी में करक्युमिन की मात्रा भी अधिक थी।
प्रकाश कहते हैं कि साधारणतः मिट्टी मे उगाई जानेवाली हल्दी के सेलम किस्म में 3% ही करक्यूमिन पाया जाता है। लेकिन प्रकाश के मुख्य बागबानी संस्थान अग्रगण्य स्किल्स के तहत सीवी हाइर्डो प्रशिक्षण केंद्र में उगाई गई फसल में करक्युमिन की मात्रा 5.91 पाई गई। यह चमकीला पीला फेनोलिक, कैंसर से लड़ने में मददगार होता है और दवा कम्पनियों में अधिक करक्युमिन वाली हल्दी की मांग अधिक है।
वे कहते हैं कि उन्होंने अपनी फसल का छह महीने बाद रूट विशलेशण किया। उन्होंने पाया कि फसल की जड़ें स्वस्थ्य हैं और करक्युमिन की मात्रा की अधिक है।
किसान प्रकाश का कहना है कि यदि कोई किसान बिल्कुल अच्छी तरीके से खेती करें तो हल्दी की एक पौधे से उसे अधिक से अधिक 1 किलोग्राम तक हल्दी का उत्पादन हो सकता है।”
प्रकाश खेती में किसी भी प्रकार का रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करते हैं यही कारण है कि गुरु बैग में उपज हुई हल्दी का प्रशिक्षण बेंगलूरु के युरोफिन्स लैब्स में हुई तो उसमें किसी भी तरह का रासायनिक तत्व मिला और ना ही माइक्रोबायोलॉजिकल कॉन्टामिनेशन मिला। इससे उनकी फसल की बिक्री योग्य बन गई। प्रकाश मिट्टी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ग्रो बैग में कोकोपीट भरा जाता है। हल्दी छाया में उगने वाला पौधा है इसलिए इसके लिए नेट हाउस की जरूरत होती है।
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अग्रगण्य स्किल्स ने बताया कि हल्दी छाया में उगने वाला पौधा है इसके बेहतर उत्पादन के लिए ह्यूमिडिटी और गर्मी का होना आवश्यक है। हालांकि प्रशिक्षण बेंगलुरु मे किया गया था जहां हल्दी उगाने के लिए परिस्थिति और तापमान सही नहीं था।
सीवी प्रकाश कहते हैं कि उन्होंने राइजोस्फीयर/रूट जोन की लगातार देखभाल की जिसकी वजह से उनकी फसल अच्छी हुई। इसके साथ ही वह कहते हैं कि, पारंपरिक तरीके से उगाई गई हल्दी की फसल का 40 से 50% कीट या फंगस खराब कर देते हैं। लेकिन हमने जो हल्दी उगाई उसमें कुछ भी खराब नहीं हुआ और हल्दी की 100% फसल बेचने योग्य रहे इसलिए ऐसा यह तरीका किसानों के लिए बेहतर है।
फसल से प्राप्त परिणामों से प्रसन्न होकर प्रकाश ने जनवरी 2021 के अन्तिम सप्ताह में “मिशन हल्दी 2021” की शुरुआत की और इससे “ऑरेंज रिवॉल्यूशन” का नाम दिया। इसके तहत वे लोगों को ग्रो बैग में हल्दी की खेती करने के तरीके सीखा रहे हैं।
इस मिशन का लक्ष्य लोगों को विश्व स्तर पर हल्दी उगाने के लिए प्रशिक्षित करना है, ताकि इसका निर्यात किया जा सके। इस मिशन के तहत 21 लोग जुड़े हैं जिन्हें वे सॉफ्टवेयर मॉनिटरिंग और मूल्यांकन प्लेटफार्म का इस्तेमाल करके प्रशिक्षित करते हैं।
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12 लोग ऐसे हैं जो देरी होने की वजह से नहीं जुड़े, उन्हें प्रकाश देखो और सीखो प्रोग्राम से जोड़ रखे हैं। इन सभी को प्रतिदिन खेती से जुड़ी जानकारियां दी जाती है ताकि यह 2022 में होने वाले कमर्शियल पायलट से जुड़ सकें। इसके अलावा 18 लोग 500 से 1000 वर्ग फुट में हाइड्रोपोनिक तरीके से प्रायोगिक आधार पर हल्दी उगा रहे हैं। इसी के साथ उनके तीन पुराने छात्र व्यवसायिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए 1 एकड़ जमीन पर हाइड्रोपोनिक तरीके से हल्दी की खेती (Turmeric Farming) कर रहे हैं।
इस मिशन के तहत जुड़े 21 उत्पादकों को पूरे फसल चक्र में पत्ती की लम्बाई और चौड़ाई, तने की मोटाई और पौधें की उंचाई समेत 65 मापदंडो पर नज़र रखने का काम सौंपा गया है। हालांकि इन सबके माध्यम से प्रकाश उत्पादकों को यह समझाना चाहते हैं कि खेती करना एक साइंस है।
प्रकाश ने इस सीजन में हल्दी की आथ किस्में उगा कर रिसर्च की जिसका परिणाम बेहतर रहा।
प्रकाश कहते हैं कि, हम इस क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति से एक ग्रो बैग से 3 और 3.5 किलोग्राम उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं। एक एकर खेत के लिए 35 से ₹36 लाख रुपये इन्वेस्ट करने की जरूरत पड़ेगी। इतना ही निवेश से किसान अधिक और अच्छा उपज प्राप्त कर सकता है। वे कहते हैं कि शुरुआती अनुमानों के मुताबिक, 6 से 9 महीने के फसल चक्र से औसतन 80 टन से 120 टन फसल की उम्मीद है।
इसके अलावा किसान अगली फसल के लिए बीज खरीदने के पैसे भी बचा सकते हैं। इसके साथ ही 5 वर्षों तक इसी कोकोपीट का पुन: इस्तेमाल भी कर सकते हैं और उन्हीं ग्रो बैग से दो-तीन फसल के लिए काम चल जाता है। इस मिशन का लक्ष्य भी दिखाना है कि किसान उन जगहों पर भी हल्दी खेती कर सकते हैं जहां इसकी खेती नहीं होती है। -Grow Turmeric in growbags by hydroponic farming method
किसान सीवी प्रकाश कहते हैं कि किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है अपनी फसल को बेचने के लिए खरीददार ढूंढना। इसका एक कारण बाजारो से कनेक्टिविटी न होना है। प्रकाश कहते हैं कि उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाली हल्दी वितरित करने वाली पुणे की कम्पनी AMI सीड ट्रेडर्स नामक कम्पनी से सम्पर्क किया, जो हमारी प्रोक्ड्ट खरीदने के इच्छुक है।
प्रकाश सम्भावित खरीददारो के अलावा हाइड्रो उत्पादकों को ऐसे खरीददारों को खोजने में सहायता कर रहे हैं जो बिचौलियों की तुलना में उन्हें हल्दी के लिए बेहतर मूल्य दे। इन उत्पादकों को फिंगर वेट राइजोम के लिए 18 रुपये प्रति किलो और ड्राई पॉलिश्ड मदर राइजोम के लिए ₹100 प्रति किलो तारीख की पेशकश की जाती है।
नेवी से रिटायर ऑफिसर सीवी प्रकाश अपने आप को “मारुति-800” किसान समझते हैं। वह कहते हैं कि, “मैं एक ऐसा इंसान हूं जो अपने ग्रीन हाउस में कहीं भी 11 घंटे समय व्यतीत करना चाहता है पौधों में भी जीवन होता है जिन्हें अधिक देखभाल और प्यार की जरूरत पड़ती है।यही भावना मन में लेकर हाइड्रोपोनिक खेती करने के लिए उतरना चाहिए, क्योंकि यह कोई मजाक नहीं है।” -Retired Navy Officer CV Prakash Grow Turmeric in growbags by hydroponic farming method