कामयाबी (Success) पाना हर इंसान की इच्छा होती है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि कामयाबी सभी को नहीं मिलती है। आखिर ऐसा क्यूँ होता है? इसका मुख्य कारण है कि ‘अपने लक्ष्य के प्रति दिलचस्पी न लेना, अपने सोच और काम में तालमेल न बना पाना। जो इंसान अपने लक्ष्य को निशाना बना कर काम करता है वह ज़िन्दगी में जरूर सफल होता है। हमें अपने जीवन में सफल होने के लिए सभी चुनौतियों का सामना करने और इन चुनौतियों से पार पाने के लिए हमेशा तैयार रहना ही होगा। (success Story of lijjat papad)
आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी के बारे में बताएंगे जिसमें गुजरात की सात महिलाएं (Seven women) अपने दम पर करोड़ों का बिजनेस खड़ा कर दिया। 90 के दशक में लिज्जत पापड़ का स्वाद लोगों के घरों तक ऐसा पहुंचा की आज तक लोगों की जुबान पर वो छाया हुआ है। आज विज्ञापनों में भी लिज्जत पापड़ को खूब देखा जाता है। स्वाद और खुशबू में लाजबाब लिज्जत पापड़ के संघर्ष की कहानी आप शायद नही जानते होंगे। आइये जानते है इस पापड़ के शुरुआत के बारे में।
गुजराती महिलाओं के द्वारा शुरुआत (Story of lijjat papad)
90 के दशक में सात गुजराती महिलाओं ने पापड़ बनाने का काम शुरू किया था। 1959 में मुंबई की रहने वाली जसवंती जमनादास पोपट ने अपना परिवार चलाने के लिए पापड़ बेलने का काम शुरू किया। उन्होंने इस काम में अपने साथ और छह गरीब बेरोजगार महिलाओं को जोड़ा और पापड़ बेलने का काम शुरु किया। यह सभी महिलाएं गुजराती परिवार से थीं। इनका नाम जसवंती बेन, पार्वतीबेन रामदास ठोदानी,उजमबेन नरानदास कुण्डलिया, बानुबेन तन्ना,लागुबेन अमृतलाल गोकानी और जयाबेन विठलानी ने मिलकर घर पर ही पापड़ बनाने की शुरूआत की थी। पापड़ का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि इन महिलाओं के पास बस यही एक हुनर था।
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पैसे न होने के बावजूद शुरुआत (Story of lijjat papad)
उन सभी महिलाओं के पास बिजनेस को चलाने के लिए पैसे नहीं थे। इस स्थिति में उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता छगनलाल कमरसी पारेख से 80 रुपये उधार लिए। उधार लिए पैसों से पापड़ को एक उद्योग में बदलने के लिए जरुरी सामग्री खरीदी गई। हुनर और मेहनत केदम पर काम चल निकला और कंपनी खड़ी हो गई। ये महिलाएं उस समय दो ब्रांड के पापड़ बनाती थीं जिनमें एक सस्ता होता था तो एक मंहगा। छगनलाल पारेख उर्फ छगनबप्पा ने इन महिलाओं को सलाह दी कि वो अपनी गुणवत्ता वाले पापड़ ही बनाएं। तब से यह महिलाएं गुणवत्ता को ध्यान में रखकर पापड़ बनाने लगीं। उन्होंने कभी हिम्मत नही हारी और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहीं। अपने लक्ष्य को देखते हुए सभी ने पापड़ बनाने के काम की शुरुआत की।
बिजनेस में तरक्की (Story of lijjat papad)
देखते देखते इस बिजनेस में 25 लड़किया काम करने लगीं। अब क्या था इन महिलाओं की मेहनत रंग लाई और इनकी बिक्री दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही चली गई। महिलों की मेहनत रंग लाने लगी। अपने पहले ही साल में कंपनी ने 6196 रुपये का बिजनेस किया। धीरे-धीरे इस कंपनी में 300 महिलाएं काम करने लगीं। साल 1962 में पापड़ का नाम लिज्जत रखा साथ ही इस संगठन का नाम श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ रखा गया था।
करोड़ो में टर्न ओवर (Story of lijjat papad)
वर्तमान में बाजार में इस ब्रांड के पापड़ समेत अन्य उत्पाद भी उपलब्ध हैं। वर्तमान में इस पापड़ के अलावा भी और भी कई तरह के पापड़ मौजूद हैं। लिज्जत पापड़ का टर्न ओवर आज करोड़ों में पहुंच गया है। लिज्जत पापड़ ने लगभग 43 हजार महिलाओं को रोज़गार दिया। लिज्जत पापड़ देश-विदेश में अपनी गुणवत्ता के कारण फेमस हैं। यहां अभी भी पापड़ों को मशीन से नहीं बल्कि हाथों से बनाया जाता है। लिज्जत पापड़ का बिज़नेस आज 1600 करोड़ से भी ज्यादा का है।
आज यह सभी महिलाओं ने यह साबित कर दिया है की अगर आगे बढ़ने की चाह हो तो कोई भी परेशानी चुटकी में दूर हो जाती है। आगे बढ़ने का रास्ता ढूंढने पर मिल ही जाता है। जो लोग कठिनाई से हार जाते हैं वो कभी सफल नही हो पाते हैं। जीवन में आई कठिनाइयों को हमेशा दूर करके आगे बढ़ने की चाह रखनी चाहिए
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