Wednesday, December 13, 2023

अपनी कला की हुनर से लगभग 500 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली लाजवंती कौर बनीं मिसाल, मिला पद्मश्री सम्मान

कहते हैं हर इंसान के अंदर कोई ना कोई गुण छिपा होता है।ज़रूरत होती है तो बस उस गुण को खोजने की। हम सबको ज़िंदगी में कभी ना कभी हमारे अंदर छुपे हुनर की पहचान करने की ज़रूरत होती है। हूनर आपके काम की ही नहीं, आपकी भी प्रतिभा और प्रभाव को प्रेरक बना देती है। कुछ लोग ज्ञान और हुनर को लेकर के हमेशा भ्रम में रहते हैं पर जरूरत है उन्हें अपने हुनर को पहचानने की। अगर जिसने अपने हुनर पहचान लिया वो सफल जरूर होता है। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला का उदाहरण देंगे जिन्होंने अपने हुनर के बदौलत सफलता पाई और आज उन्हें दुनिया जान रही है।

हम बात कर हैं पंजाब की लाजवंती कौर (Lajwanti Kaur) की जिन्होंने अपनी फुलकारी की कला से सैंकड़ों महिलाओं के जीवन में खुशियों के रंग भरे हैं एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का महान कार्य भी किया है। लाजवंती अपने कला के माध्यम से कई राज्यों की महिलाओं को यह गुण सीखा रही पजांब के साथ हरियाणा, उत्तर-प्रदेश और बिहार तक की महिलाओं को यह काम सिखा रही हैं। पर उनके लिए यह काम आसान नही था। आइए जानते हैं उनके जीवन के बारे में।

परिवार से सीखी हुनर (Lajwanti kaur)

पंजाब (Punjab) के पटियाला की रहने वाली लाजवंती कौर फुलकारी की कला में माहिर हैं। लाजवंती ने फुलकारी की कढ़ाई और कपड़े बनाने का काम अपने परिवार की बुजुर्ग महिलाओं से सीखा था। बचपन से ही वो अपने कपड़े खुद सिला करती थीं। विवाह-शादी में कढ़ाई वाले सूट समेत और कपड़े भी तैयार करती थी। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए उन्होंने फुलकारी की कला को ही अपना रोजगार बना लिया। शादी के बाद लाजंवती जी ने, फुलकारी की कढ़ाई को जीवन का आधार बना लिया और इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया।

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रोजगार का साधन बनाया (Lajwanti kaur)

लाजवंती ने अपनी फुलकारी की कला से तरह-तरह की कढ़ाई की। उन्होंने इसे अपने रोजगार का साधन बना लिया। उन्होंने फुलकारी कढ़ाई वाले कपड़े बाजार में बेचने शुरू कर दिए। देखते ही देखते उनके द्वारा बनाए गए कपड़ों की मांग बढ़ती चली गई। लाजवंती ने लोगों की मांग को पूरा करने के लिए अपने साथ और महिलाओं को जोड़ा। वह सोसायटी के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रही हैं।

मेहनत करके पहचान बनाई (padma shri award)

लाजवंती ने अपनी मेहनत से अपनी पहचान बनाई थी। परिवार की स्थिति को सही करने के लिए उन्होंने फुलकारी की कढ़ाई करनी प्रारंभ की। खुद को आत्मनिर्भर बनाते हुए उन्होंने अन्य महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ने का विचार किया। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की 500 से अधिक महिलाएं लाजवंती जी के साथ जुड़कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहीं हैं। ये महिलाएं फुलकारी का काम सीखकर आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। अब वे और महिलाओं को अपने साथ जोड़ कर उन्हें फुलकारी की कढ़ाई सिखा रही हैं।

दिलाई फुलकारी को नई पहचान
(padma shri award)

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही लाजवंती ने फुलकारी कला को भी देश ही नहीं विदेशों में भी पहचान दिलाई। उनके द्वारा बनाए गए कपड़ों की मांग विदेशों में भी होने लगी। लाजवंती जरूरतमंद महिलाओं को फुलकारी, छापे, कपड़े और रील की सामग्री मुहैया करवाती हैं। इस सामग्री के साथ फुलकारी तैयार करके इसको बेचकर कमाई होती है। महिलाओं के ग्रुप और सोसायटियों के द्वारा फुलकारी की कला को कारोबार के साथ जोड़कर इसे आय का साधन बना लिया है। साथ ही इस कला से विदेशी भी मंत्रमुग्ध हो रहे हैं।

पद्मश्री से सम्मानित हुईं (padma shri award)

फुलकारी की कढ़ाई को नई पहचान दिलाने एवं महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर लाजवंती को सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री सम्मान (padma shri award) से सम्मानित किया है। यही नहीं वर्ष 1992 में उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ सम्मानित किया गया था। इसके बाद उन्होंने दिन-रात एक करके फुलकारी को विशेष मुकाम तो दिलाया ही, साथ ही सैकड़ों महिलाओं के लिए रोजगार के रास्ते भी खोल दिए। पद्मश्री सम्मान पाने पर लाजवंती जी का कहना था कि उनके साथ जुड़ी मंहिलाएं अपने परिवारों का गुजारा चलाने के लिए उनके साथ जुड़ी हुई हैं। उक्त राज्यों की बड़ी संख्या में औरतें फुलकारी का काम सीख चुकी हैं। अब वह नई महिलाओं को अपने साथ जोड़कर उनसे फुलकारी की कढ़ाई का काम लेंगी। आज लाजवंती लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अपने हुनर के बदौलत दुनिया में एक खास पहचान बनाई जा सकती है।

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