लोग कहते हैं न कि कभी भी किसी इंसान को उसकी हालिया स्थिति से उसके भविष्य को नहीं आंकना चाहिए। क्योंकि वक्त का पहिया कब और किस ओर मुड़ता जाता है ये किसी को पता नहीं होता। इसलिए इंसानों को कभी भी उसके वर्तमान से उसके भविष्य को नहीं आंकना चाहिए।
दरअसल, हम अपनी ज़िंदगी में उन सभी छोटी-छोटी चीजों का इस्तेमाल करते हैं। जो हमारे लिए उन सभी चीजों की कीमत मात्र कुछ रुपए होती है लेकिन उन्हीं छोटी-छोटी चीजों से कोई बहुत बड़ा मुनाफा कमा रहा होता है।
कई बार हम एक काम इसलिए करते रह जाते हैं क्योंकि आगे एक बहुत बड़ी उम्मीद का किरण दिखाई देता रहता है, जिसकी वजह से हम उसे जारी रखते हैं। उसी क्रम में आज बात एक ऐसे शख्स की जो एक समय में इडली-डोसा बेचा करते थे। लेकिन आज वे करोड़ों की कंपनी के मालिक बन चुके हैं। तो आईए विस्तार से जानते हैं उस शख्स के बारे में ।
दरअसल, इस शख्स का नाम पीसी मुस्तफा (P C Mustafa) है। ये जब इडली-डोसा बेच रहे थे तो किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी की ये आगे चलकर करोड़ों के कंपनी के मालिक बना जाएंगे। वैसे तो व्यापार करना उतनी बड़ी बात नहीं है लेकिन जिन हालातों में मुस्तफा पले-बढ़े, वहां से व्यापार करना शुरू किया और इसमें उन्होंने जो कामयाबी हासिल की है। ये वाकई बहुत बड़ी बात है।
मुस्तफा (Mustafa) के पिता एक कूली थे। ऐसे में उनके पास हमेशा से संसाधनों की कमी रही है। लेकिन मुस्तफा के लिए सबसे अच्छी बात ये रही कि ज़िंदगी की तमाम कठिनाइयां उनके आगे घुटने टेक दी। और इन्होंने कभी भी इन कठिनाइयों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उन तमाम परिस्थिति को इन्होंने सहनशीलता के साथ सामना किया है।
मुस्तफा का जन्म केरल (Kerala) के वायनाड (Waynad) के चेन्नालोडे (Chennalode) में हुआ। अब मुस्तफा 48 वर्ष के हो गए हैं। इन्होंने पैदा होने के बाद से अगर कुछ देखा और कुछ महसूस किया तो वह गरीबी था। इनके पिता एक कॉफी बागान में कूली का काम करते थे। हालांकि मुस्तफा के लिए सबसे अच्छी बात ये थी की वे पढ़ाई में काफी होनहार थे लेकिन इनके घर की परिस्थितियां कभी पढ़ने का समय ही नहीं देती थीं। जिसको लेकर मुस्तफा पढ़ाई पर पूरी तरह समय नहीं दे पाते थे। मुस्तफा जब स्कूल से आते थे उसके बाद वे पिता के काम में हाथ बंटाने चले जाते थे। हालांकि दुनिया का कोई पिता ये नहीं चाहेगा कि उसका बच्चा पढ़ाई छोड़ कर काम करे लेकिन यहां बातें परिवार की थी, परिवार के गुजर बसर की थी जिसके चलते माता-पिता भी मजबूर थे। क्योंकि इसके अलावा इनके पास कोई दूसरा काम नहीं था।
ये काम मुस्तफा के पढ़ाई को लगातार बाधित करता रहा। जिसके वजह से वे छठी क्लास में फेल हो गए। लेकिन मुस्तफा को ये असफलता उन्हें और मजबूत कर दिया। इसके बाद इन्होंने मेहनत करना शुरू कर दिया तथा 10वीं की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया। 10वीं में मिली शानदार सफलता के बाद मुस्तफा को ये बात समझ आ गया कि यदि हमें जिंदगी में कुछ करना है तो इसके लिए सबसे जरूरी शिक्षा हीं है और यहीं हमें जिंदगी के मंजिल को हासिल करवा सकता है।
इसके बाद मुस्तफा (Mustafa) ने अपने मंजिल को तराशना शुरू कर दिया। इन्होंने अपनी मेहनत के दम पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर साइंस में दाखिला ले लिया और अपना मेहनत जारी रखा। ये तो सच है कि यदि आप सच्ची भावना से, ईमानदारी से मेहनत करते हैं तो एक न एक दिन सफलता जरूर मिलती है। मुस्तफा का मेहनत भी एक दिन रंग ले आया और इन्हें अमेरिका के एक भारतीय स्टार्टअप मैनहैट्टन एसोसिएट्स में नौकरी मिल गई। इसके बाद मुस्तफा का हौसला और उमंग बढ़ता चला गया।
मुस्तफा की ज़िंदगी अब ट्रैक पर आने लगी थी लेकिन इससे वे संतुष्ट नहीं थे। क्योंकि उन्हें कुछ बड़ा करना था जिसको लेकर इन्होंने एक के बाद एक कई क्षेत्र में काम किए। लेकिन कहीं भी इन्हे मन लायक काम ना मिला। जिसके बाद मुस्तफा साल 2003 में भारत लौट आए। हालांकि उस वक्त कई लोगों को इनका ये फैसला गलत भी लगा होगा। लेकिन मुस्तफा को खुद पर इतना विश्वास था कि वे इसे घबराए नहीं बल्कि भारत लौटने के बाद उन्हें अब कुछ नया शुरू करना था।
इसी सिलसिले में मुस्तफा कुछ नया शुरू करने की सोच रहे थे उसी वक्त उनके दिमाग में आईडी फ्रेश के आइडिया को जन्म लिया। वह साल 2005 था जब मुस्तफा ने मात्र 25,000 रुपए के निवेश के साथ अपनी इस सोंच को धरातल पर उतारने का दांव खेल दिया। हालांकि इसकी औपचारिक शुरुआत साल 2010 से मानी जाती है। मुस्तफा की इस कंपनी में इडली डोसा बनाने के लिए जरूरी मिश्रण को बेचा जाता है। मुस्तफा के अपने इस नए काम में उनके अपने चेचेरे भाईयों का भी बहुत साथ मिला।
मुस्तफा (Mustafa) के लिए एक समय वो भी था जब उन्होंने अपनी कंपनी में एक दिन में अपने प्रोडक्ट के मात्र 100 पैकेट बेच पाते थे। लेकिन आज वही कंपनी एक दिन में 50,000 पैकेट की रोजाना सेल करती है। इस कंपनी ने कुल 650 लोगों को रोजगार दिया है। ये कंपनी लगातार अपना व्यापार में बढ़ोतरी का रही है। अब भारत में अपना व्यापार बढ़ाने के बाद दुबई में भी पैर जमाने की कोशिश शुरू कर दी है।
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यूं तो मुस्तफा के जीवन से सैकड़ों चीज सीखने को मिलती हैं, लेकिन इनके जीवन के वो सारे पल लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है। एक समय जब मुस्तफा ने अपनी कंपनी की शुरुआत की थी तब पहले दिन 5,000 किलो चावल से 15,000 किलोग्राम इडली का मिश्रण तैयार किया था। इसके बाद वह इस मिश्रण को स्कूटर पर लादकर बेचने निकल गए थे। आज यही कंपनी देश के कई स्टार्स और कई शहरों में अपना पांव जमा चुकी है। इसके साथ हीं मुस्तफा खुद के बढ़ने के साथ साथ ग्रामीणों को भी बढ़ने का अवसर प्रदान किया है। आज के समय में इनकी कंपनी काफी संख्या में ग्रामीणों को रोजगार दे रही है।