Home Farming

कभी एक छोटी सी स्टेशनरी दुकान से हुई थी शुरूआत, आज आंवले का सफल व्यापार स्थापित कर चुके हैं

अक्सर ऐसा होता है कि हमारी पढ़ाई पूरी होने के पहले से घरवाले यह तय कर लेते हैं कि हमें आगे क्या करना हैं। कुछ ऐसा ही हुआ उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले चंद्र प्रकाश शुक्ला (Chandra Prakash Shukla) के साथ। चंद्र प्रकाश जब कॉलेज से ग्रेजुएट हुए, तो उन्हे अपने भविष्य के बारे में कुछ भी नहीं पता था, लेकिन उनके परिवार के ज्यादातर सदस्य यह तय कर चुके थे कि वह सरकारी नौकरी ही करेंगे। – Chandra Prakash Shukla, who runs a stationery shop but now makes many types of product from Amla.

सफलता ना मिलने पर खोली स्टेशनरी की दुकान

चंद्र प्रकाश के परिवार में कोई गजट अधिकारी नहीं था, तो कुछ रिश्तेदार डाकघर में काम करते थे और कुछ परिवार के सदस्य क्लर्क की नौकरी में थे। चंद्र प्रकाश पढ़ाई में अच्छे नहीं थे, जिससे वह प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल नहीं हो पाए। ऐसे में अपनी आजीविका चलाने के लिए उन्होंने एक छोटी सी स्टेशनरी की दुकान खोल ली। तीस साल पहले चंद्र प्रकाश प्रयागराज की यात्रा पर गए थे और आपको बता दें कि इस यात्रा के दौरान उन्हें एक नई यात्रा शुरू करने की प्रेरणा मिली।

A journey from Stationery shopkeeper to Amla Business Man

प्रोफेसर आरपी शुक्ला से हुई मुलाकात

चंद्र प्रकाश बताते हैं कि जब तीन साल पहले वह प्रयागराज गए थे, तो उनकी मुलाकात विश्वविद्यालय में खाद्य प्रौद्योगिकी केंद्र के तत्कालीन डीन प्रोफेसर आरपी शुक्ला से हुई थी।अपनी बातचीत के दौरान प्रोफेसर ने बताया कि प्रतापगढ़ जिले में बहुत सारे आंवले का उत्पादन किया जाता था और अधिकांश उपज देश के अन्य हिस्सों में निर्यात की जाती थी। दरअसल आंवला की खेती उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़, रायबरेली, सुल्तानपुर और जौनपुर जिलों में बड़ी मात्रा में की जाती है।

आंवला से संबंधित कुछ करने का सुझाव मिला

आंकड़ों की मानें तो प्रतापगढ़ जिले में हर साल 8 लाख क्विंटल आंवला का उत्पादन होता है, जो कि राज्य के कुल आंवला उत्पादन का 80 प्रतिशत है। प्रोफेसर शुक्ल ने चंद्र प्रकाश को आंवला से संबंधित कुछ करने का सुझाव दिया। प्रोफेसर की मदद से चंद्र प्रकाश ने फल और इससे बनने वाले संभावित खाद्य पदार्थों पर शोध शुरू कर दिए। इस दौरान चंद्र प्रकाश के भतीजे ने प्रोफेसर के मार्गदर्शन से खाद्य प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा पूरा कर लिया। साल 1993 में चंद्र प्रकाश ने खादी ग्रामोद्योग से अपना कारखाना बनाने के लिए 10 लाख रुपये का लोन लिया।

चंद्र प्रकाश प्रोफेसर आरपी शुक्ला को देते हैं सफलता का श्रेय

चंद्र प्रकाश द्वारा बनाया गया पुष्पांजलि ब्रांड, जैम, लड्डू, चटनी, बर्फी, जूस, आचार (अचार), और बहुत कुछ बनाती है। यह सभी प्रोडक्ट आंवला से बनता है, जो कि पोषक तत्वों से भरपूर और विटामिन सी का सबसे समृद्ध स्रोत है। आपको बता दें कि आंवला प्रतिरक्षा प्रणाली और रोगों से लड़ने में मदद करता है। चंद्र प्रकाश प्रोफेसर आरपी शुक्ला को उनकी सफलता और पुष्पांजलि द्वारा निर्मित नवीन उत्पादों की श्रृंखला का श्रेय देते हैं। जब भी चंद्र प्रकाश को किसी तरह की समस्या हुई उन्होंने प्रोफेसर आरपी से मदद मांगी। – Chandra Prakash Shukla, who runs a stationery shop but now makes many types of product from Amla.

यह भी पढ़ें :- 12वी में फेल हुए तो शुरू कर दी मशरूम की खेती, आज कमाई में सरकारी नौकरी वालों को टक्कर दे रहे हैं

चंद्र प्रकाश के पिता ने दिया उनका साथ

आपको बता दें कि प्रोफेसर शुक्ल ने पुष्पांजलि के सलाहकार के रूप में काम किए हैं। चंद्र प्रकाश की इस सफलता पर किसी को यकीन नहीं हुआ। दरअसल उनके परिवार से किसी ने भी पहले व्यवसाय में उद्यम नहीं किया था। शुरुआती दिनों में कई लोगों ने चंद्र प्रकाश से कहा कि जैम और अचार बनाने का महिलाएं करती हैं, लेकिन वह अपने फैसले पर अटल रहे। ऐसे में उनके पिता ने उनका खूब साथ दिया। चंद्र प्रकाश के पिता समाज सेवा में थे, उनका कहना था कि कुछ ऐसा करो जिससे आपको और दूसरों को भी फायदा हो। स्टेशनरी से केवल तुमको फायदा होगा, लेकिन एक उत्पादन इकाई से स्थानीय लोगों को भी लाभ मिलेगा।

कई लोगों को मिला रोजगार

साल 2019 में चंद्र प्रकाश एक जिला उत्पाद योजना के तहत 25 लाख रुपये का लोन लिया और बड़ी मशीन खरीदीं। अब चंद्र प्रकाश के दो कारखाने हैं, जिसमें लगभग 60 लोग कार्यरत हैं। अब उनका बेटा व्यवसाय चलाने में उनकी मदद करता है। चंद्र प्रकाश बताते है कि मेरा बेटा पुष्पांजलि उत्पादों की मार्केटिंग में मदद करता है। अब वह अपने उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। उनका उत्पाद प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी और दिल्ली तक जाता हैं। कारखानों में पुरुष मशीन का संचालन करते हैं, तो वहीं महिलाएं उत्पादों के मिश्रण जैसे मैनुअल काम करती हैं। मांग के अनुसार एक महीने में उनकी फैक्ट्रियां 5 से 10 टन आंवला का प्रसंस्करण कर सकती हैं।

आवंला इम्युनिटी बढ़ाने में करती हैं मदद

चंद्र प्रकाश को देखते हुए क्षेत्र के अन्य लोग भी व्यवसाय शुरू कर रहे हैं। वह अपना अनुभव दूसरों के साथ भी साझा किया करते हैं। वर्तमान में प्रतापगढ़ में सैकड़ों प्रसंस्करण इकाइयां अचार, मुरब्बा, कैंडी आदि बनाती हैं और यहां से बनाई गई आंवला उत्पाद पूरे देश में बेची जाते हैं। आवंला हमारी इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करती है इसलिए महामारी के दौरान आंवला उत्पादों की मांग और बढ़ गई है। भारतीय आंवला विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई एंटीऑक्सिडेंट, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होता है, जिससे मधुमेह नियंत्रण में रहता है, आंखों के स्वास्थ्य, पाचन, स्मृति और मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार करता है।

अब मसाले बनाने का हैं लक्ष्य

चंद्र प्रकाश बताते हैं कि कोविड-19 और लॉकडाउन के दौरान बिक्री पर काफी असर पड़ा। अपने उत्पादों को बेचने के लिए देशभर में स्टॉल लगाने वाली पुष्पांजलि को भी झटका लगा है, हालांकि अब स्थिति बेहतर है। चंद्र प्रकाश के अनुसार आंवला उत्पादों का सेवन ज्यादातर 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए करते हैं। साथ ही पुष्पांजलि युवा पीढ़ी को बेरी बेचने के लिए टैंगी आंवला कैंडीज बना रही है। अब उनका लक्ष्य पारंपरिक भारतीय खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न प्रकार के मसाले बनाने का हैं। – Chandra Prakash Shukla, who runs a stationery shop but now makes many types of product from Amla.

सकारात्मक कहानियों को Youtube पर देखने के लिए हमारे चैनल को यहाँ सब्सक्राइब करें।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

Exit mobile version