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अपने फसल को म्यूजिक थेरेपी दे रहा है यह किसान, पेड़ पौधों के साथ ही जानवरों को भी म्यूजिक सुनाता है

हमारे यहां अधिकतर व्यक्ति कार्य करने के दौरान गाना सुनना या गाना पसंद करते हैं। जिससे उन्हें लगता है कि उनका कार्य जल्दी हो रहा है और उनके मन को शांति भी मिल रही है। पहले हमारे घर की औरतें भी कोई कार्य करते वक्त आम तौर पर लोक गीत गाया करती थी। आज लोक गीत तो नहीं पर फिल्मी गीत ज़रूर गुनगुनाए जाते हैं।

आज की हमारी कहानी एक ऐसे किसान की है जो म्यूजिक सिस्टम लगा कर खेती करते हैं और इनका मानना है कि इससे उन्हें अधिक लाभ मिल रहा है। इनके खेतों में पैदावार अच्छी होती है और साथ ही इन्होंने जो गाय पाल रखी है, वह अधिक दूध भी देती है। आइए जानते हैं, इनके बारे में।

Farmer Akash chaurasiya

यह किसान हैं आकाश चौरसिया

आकाश चौरसिया (Akash Chaurasia) तिली निवासी हैं और यह जैविक उर्वरक के माध्यम से कपुरिया गांव में खेती कर रहे हैं। यह अपने पेड़-पौधों और पशुओं के साथ म्यूजिक के माध्यम से कार्य करते हैं। इनका मानना है कि जिस तरह इंसान तनावग्रस्त रहता है वैसे ही हमारे पेड़-पौधे और जीव-जंतु भी तनाव में होते हैं। यह अपने पशुओं और पौधों को तनाव से दूर रखने के लिए उन्हें गाना सुनाया करते हैं। गायत्री मंत्र हो और भंवरे की ध्वनि इन्हें सुनाते है ताकि ये पूरी तरह तरोताजा रहें।

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होता है हर कार्य जल्दी

यह समयानुसार पौधों को अलग-अलग प्रकार की ध्वनि सुनाते हैं। ध्वनियों के माध्यम से ये सारे कार्य करते हैं। अगर यह बीज का उपचार कर रहें हैं तो इस दौरान इन्हें गायत्री मंत्र का उच्चारण सुनाया जाता है। वही अगर फसल बुवाई के बाद जब वह युवा अवस्था का रूप ले लेता है तो गायत्री मन्त्र की थेरेपी दी जाती है। इस म्यूजिक थेरेपी के माध्यम से उनके उत्पादों में लगभग 30% से अधिक मात्रा में पैदावार होती है। इन्होंने यह जानकारी दी है कि जैविक उर्वरक का निर्माण करते हैं तो जो केंचुए उर्वरक के लिए 90 दिन का वक्त लगाते हैं वही म्यूजिक थेरेपी के माध्यम से मात्र 60 दिनों में ही खाद का निर्माण हो जाता है।

गाय को भी देते हैं म्यूजिक थेरिपी

ऐसा नहीं की यह सिर्फ पौधों के लिए ही म्यूजिक थेरिपी देतें हैं। जब गाय गर्भावस्था में रहती है तो उन्हें भी गायत्री मंत्र के उच्चारण का थेरेपी दिया जाता है। इस कारण अगर वह दूध देगी तो अधिक ही देगी। अगर गाय देसी भी है तो वह अन्य गायों के अपेक्षा लगभग 2 लीटर के करीब दूध देती है। डॉक्टर अजय शंकर मिश्रा (Dr. Ajay Sankar Mishra) जो कि सागर केंद्रीय यूनिवर्सिटी के पूर्व वनस्पति शास्त्री है इन्होंने यह जानकारी दी कि हमारे पौधों और जंतुओं में हर चीज़ को महसूस करने की क्षमता होती है। यह 120 वर्ष के शोध में पता चला है।

आकाश देतें हैं अन्य किसानों को म्यूजिक थेरिपी की ट्रेनिंग

आकाश बताते हैं कि यह जो कार्य कर रहे हैं वह पेड़-पौधों और पशुओं सभी के लिए बहुत सही है। जब हमारे पेड़-पौधे या जंतु क्लासिकल म्यूजिक सुनते हैं तो उनमें बहुत ही ज्यादा इंप्रूवमेंट आता है। अब इनके पास किसान म्यूजिक थेरिपी को सीखने के लिए प्रशिक्षण लेने आते हैं और आज इनका म्यूजिक थेरेपी इनके क्षेत्र में मशहूर हो चुका है। यहां अधिकतर किसान इस तकनीक को अपना भी रहें हैं।

म्यूजिक थेरिपी के माध्यम से पेड़-पौधों से अधिक उत्पादन करने और अन्य किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए The Logically आकाश की सराहना करता है।

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