Monday, December 11, 2023

इंग्लैंड से पढाई करने के बाद अब भारत मे 45 तरह के औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं: आय है 20 लाख रुपये प्रति वर्ष

कुछ तो खास बात है हमारे देश की मिट्टी में” जो हर व्यक्ति इस मिट्टी में मिलकर कुछ ना कुछ करना चाहता है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी नौकरी छोड़ खेती कर रहे हैं। इससे पहले आपको विदेश में रहने वाले दम्पति की कहानी भी बताई गई है कि किस तरह वह भारत वापस आकर खेती कर रहें है। ऐसे ही एक पुरुष और हैं। ये विदेश से चले आएं और यहां आकर अपने देश में मिट्टी को अहमियत देते हुए खेती कर रहे हैं।

यह व्यक्ति हैं, अक्षय राडिया

अक्षय राडिया (Akshay Radiya) का जन्म England में हुआ। यह वहां अपनी शिक्षा पूरी किए। फिर व्यपार करने लगें। कहतें हैं ना अगर आपको अपनी मिट्टी से प्रेम हो तो उसके पास आने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसा ही अक्षय के साथ भी हुआ। मिट्टी से प्रेम उन्हें इंडिया ले लाया और यह कुछ जमीन लीज पर लियें और खेती करने लगे। अक्षय जब घर आये तब इन्होंने अपने दोस्त के सहयोग से जैविक खेती के लिए भूमि ली। यह जैविक खेती के माध्यम से धान, मक्का, विभिन्न प्रकार की औषधि हल्दी, तुलसी, शतावर, अश्वगंधा और सब्जियों को उगा रहें हैं। इन्होंने लीज पर 50 एकड़ की जमीन लिया और फिर खेती करने लगें और दूसरों व्यक्तियों को भी इससे जोड़ा।

जैविक खेती और ड्रिप सिंचाई, खेतों में नर्सरी की तैयारी

शुरुआत में अक्षय ने फिल्टर प्लांट लगाया ताकि यह खेत की सिंचाई कर सकें। फिर इन्होंने आगे चलकर ड्रिप सिस्टम को अपनाया ताकि सिंचाई भी खेतों में अच्छी तरह से हो और पानी की भी बचत हो सके और उत्पादन भी बेहतर हो। ये सब करने के अलावा इन्होंने नर्सरी भी तैयारी किया। इस नर्सरी में इन्होंने फल और फूल लगाया। इन्होंने लगभग 2-3 नर्सरी का निर्माण किया जिसमें कुछ में फल, फूल और कुछ में सब्जियां थी। इनके इस कार्य से उनके अगल-बगल के किसान बहुत प्रेरित हुए और नर्सरी से पौधों को खरीदकर ले गए और अपने खेतों में लगाएं।


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इनके उत्पाद भेजे जाते हैं अलग राज्यों में

यह अपने खेतों में औषधी के तौर पर एलोवेरा, तोसे हल्दी, तुलसी, अकर्करा, अश्वगंधा शतवार जैसे पौधों को लगाए हैं। इन्होंने अपने खेतों में उगाए गए फसलों को उत्पाद में परिवर्तित करने के लिए छोटा प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण भी किया है। इसमें यह लगभग 45 तरह के उत्पाद का निर्माण करते हैं जो अन्य राज्यों में भेजे जातें हैं। यह मथुरा में तो खेती कर हीं रहें हैं, साथ ही उत्तराखंड में भी। यह मौसम अनुसार खेती करते हैं। मथुरा में अगर खेती करते हैं तो गर्मी के अनुसार फसलों को उगाते हैं और उत्तराखंड में खेती कर रहे हैं तो सर्दी के अनुसार फसलों को उगाते हैं। जिस मौसम में जो फसल की उपज अच्छी होगी, उन्हीं फसलों को खेतों में लगातें हैं।

औषधीय पौधे से सालाना कमाई 20 लाख, अन्य फसलों से 15 लाख, करतें हैं मधुमक्खी पालन भी

इन्होंने अपनी मेहनत से वर्तमान में 100 एकड़ भूमि पर खेती कर रहे हैं। इन्होंने बताया कि मथुरा के औषधि की खेती से प्रत्येक वर्ष 20 लाख की कमाई हो रही है और वही अन्य फसलों से 15 लाख रुपए की। इतना ही नहीं यह मधुमक्खी पालन भी कर रहे हैं। यह 108 बॉक्स से इस कार्य को करतें हैं जिससे शहद तो मिलता ही है, साथ ही खेती के लिए भी यह बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। इनकी खेती और उनके तरीकों को देखने के लिए “कृषि अधिकारी और अन्य किसान” भी यहां आते हैं और इसे देख इनकी बहुत ही प्रशंसा करते हैं। यह अपने इंग्लैंड के दोस्तों अपने खेती के बारे में गर्व से बताते हैं।

इंग्लैंड की नौकरी और ऐश-ओ-आराम की नौकरी छोड़ खेती और मधुमक्खी पालन करने के लिए The Logically अक्षय को सलाम करता है।