खेती करना और उसके गुण सीखना भी एक ऐसी कला है जो हमारे देश के युवा, अच्छी खासी नौकरी करने वाले व्यक्ति, महिलाएं, बच्चे सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वैसे तो पढ़ाई हर कोई अधिक पैसे कमाने और एक कामयाब इंसान बनने के लिए करता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अपनी नौकरी छोड़ खेती की तरफ रुख मोड़े तो लोग उसे बहुत भला बुरा कहते हैं। फिर भी अपनी मिट्टी को महत्व देना और खेती करना जिससे वह सभी के लिए प्रेरणा बन सके, बहुत बड़ी बात होती है। आज की यह कहानी एक ऐसे इंसान की जिन्होंने अपनी मोटी रकम वाली नौकरी को छोड़ खेती का शुभारंभ किया और सफलता का परचम लहराया।
आलोक कुमार
बिहार (Bihar) के नालन्दा (Nalanda) के निवासी आलोक कुमार (Alok Kumar) हैं। उन्होंने एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी अपनी शिक्षा हासिल की। वर्ष 2016 में उनको जॉब मिला। उस जॉब से इनका पेमेंट 30,000 था। आलोक को यह महसूस हुआ कि वह जितना कार्य कर रहे हैं उससे उन्हें उसके अनुसार पैसे नहीं मिल रहा। तब उन्होंने निश्चय किया कि वह अपने गांव लौट मेहनत करेंगे और उन्हें अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होगी। तब वह गांव लौट आए।
शुरू की खेती
वह अपने गांव तो लौट आई लेकिन उन्होंने यह मन बना लिया कि वहां ट्रेडिशनल खेती नहीं करेंगे और ना ही उसमें अपना पूंजी फसाएंगे। तब उन्होंने जबेरा की फूल की खेती का शुभारंभ किया। अधिकतर जबेरा की फूल का प्रयोग घर के डेकोरेशन और बागानों में किया जाता है साथ ही उन्होंने पिसी शिमला मिर्च को भी अपने खेतों में उगाया। इतना ही नहीं उन्होंने अपने खेतों में पपीते के साथ अन्य पौधों को भी लगाया और उसमें उन्होंने अपनी मेहनत से सोना ऊपजाया।
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20 लाख का आमदनी
आलोक ने जिस तरह मेहनत किया उस तरह उन्हें फल भी मिला। वह अपने खेतों में लगभग 10-12 लाख रुपये लगाते हैं और इसके बदले 20 लाख से अधिक वह हर सालों में अपनी इस खेती से कमा रहे हैं। मतलब कि वह मिट्टी से सोना उगाने का कार्य कर रहे हैं।
अच्छी नौकरी छोड़ गांव अपनाकर आलोक जी ने खेती में जिस तरह सफलता हासिल की वह अन्य लोगों के लिए प्रेरणाप्रद है। The Logically आलोक जी और उनके प्रयास को सलाम करता है।