कहते हैं न, अगर सच्चे इरादें और कड़ी मेहनत के साथ किसी भी काम को किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है। आज हम 25 वर्षीय बबिता रावत (Babita Rawat) की बात करेंगे, जो उत्तराखंड (Uttarakhand)के रुद्रप्रयाग जिले के उमरेला गांव की रहने वाली हैं। वह अपनी कड़ी मेहनत और लगन के साथ खेतों में किसानी का काम किया करती हैं तथा लाखों की कमाई करती हैं। साथ हीं दूसरे किसान को भी ट्रेनिंग देती हैं।
पिता के बीमार होने के बाद उठाई घर की जिम्मेदारी
बबिता (Babita Rawat), जब 13 साल की थीं तभी उनके पिता बीमार हो गए। घर में कोई कमाने वाला नहीं था, जिस कारण घर की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। बबिता के 6 छोटे भाई-बहन भी थे। घर के खर्चे समेत सभी भाई-बहनों की पढ़ाई का खर्च उठाना मुश्किल था लेकिन बबिता ने हार नहीं माना और रिश्तेदारों और दोस्तों से पैसे इकट्ठा करके खेती और जानवरों को पालने का काम शुरू कर दिया।
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सूखे पड़े 17 एकड़ जमीन पर की खेती
पिता के बीमार पड़ने के बाद घर की सारी जिम्मेदारियों को उठाने के लिए बबिता ने रिश्तेदारों और दोस्तों से पैसे इकट्ठा करके सूखे पड़े 17 एकड़ जमीन पर खेती की शुरुआत किया और इसी कारण वे अपने इलाके में चर्चा की केंद्र बन गई।
लोगों को सिखाती हैं मशरूम और सब्जी की खेती करने के तरीके
बबिता अपने गांव और इलाकें के लोगों को मशरूम और सब्जी की खेती करने के तरीके को बताती हैं। गांव वालें इनसे खेती के तरीकों को सीख कर 5 से 8 हजार रुपये महीने के खेती से कमाते हैं।
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कैसे कटती है बबिता की दिनचर्या?
बबिता (Babita Rawat) अपने खेतों में भिंडी, टमाटर, शिमला मिर्च जैसी चीजों की खेती करती हैं। वह सुबह 4 बजे उठकर जानवरों को चारा देती हैं और फिर उनसे दूध निकालती हैं। इसके बाद वे दूध बेचने दूसरे गांव जाती हैं और फिर दिन भर खेतों में बिताती हैं। वह जहां भी जाती हैं, अपने साथ रेडियो जरूर ले जाती हैं।
उत्तराखंड सरकार से हुई सम्मानित
आज के समय में वह (Babita Rawat) उत्तराखंड में यूथ आइकॉन के तौर पर देखी जाती हैं। वह पोस्ट ग्रेजएट हैं। लोगों को खेती करने के तरीके बताने और खेती को एक नया रूप देने के वजह से वह उत्तराखंड सरकार से सम्मानित भी हो चुकी हैं।
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