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‘काला जीरा’ की खेती से बदल रही है किसानों की ज़िंदगी, धान के इस फसल से हो रहा है दुगना मुनाफ़ा: तरीका जानिए

जैविक खाद से उपजाए गए फल और सब्जियां हमारे लिए कितने लाभदायक हैं इस बात से हम सभी भलि-भांति परिचित हैं। जैविक खेती से ना हीं शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि हमारे मिट्टी का स्वास्थ्य भी बना रहता है। आजकल अधिक व्यक्ति जैविक खेती को हीं अपना रहे हैं ताकि स्वास्थ्य भी ठीक रहे साथ हीं मुनाफा भी अच्छा खासा हो।

आज हम आपको जैविक उर्वरक के माध्यम से हो रहे काले जीरे की खेती के बारे में बताएंगे, इस खेती से क्षेत्र के किसानों की जिंदगी में भी खुशबू फैल रही है। आईए जानते हैं कि किस तरह किसान जैविक उर्वरक के माध्यम से काले जीरे की खेती कर अधिक लाभ कमा रहे हैं…

Black rice farming

काले जीरे की खेती

गुमला (Gumla) का बनालात (Banalat) जो कि नक्सल प्रभावी क्षेत्र माना जाता है इस क्षेत्र में बासमती धान के किस्मों को उगाया जा रहा है। इस खेती को अपनाने से वहां के अन्य किसानों को भी अपनी ज़िंदगी खुशियों से जीने का अलग अंदाज मिल रहा है। “विकास भारती” संस्था का प्रयास सफल होते दिख रहा है। उनके माध्यम से एक “कृषि विज्ञान केंद्र” भी संचालित होता है जिसके विज्ञानी संजय पांडेय जी ने प्रयास कर सामूहिक खेती शुरू कराई जो अब अपने सफलता के रफ्तार पर है।

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होती है जैविक खेती

यहां के किसान बासमती धान की किस्म “काला जीरा” जैविक उर्वरक के माध्यम से उगा रहे हैं। एक या दो किसान नहीं बल्कि दर्जनों किसान की जिंदगी इस खेती से महक रही है। वहां पर किसान पिछले वर्ष सामूहिक खेती प्रारंभ किए और आज उन्होंने इस खेती में सफलता पाई है।

किसानों को हो रहा है अधिक लाभ

पहले वहां पर किसान गेंहू और मोटा धान की खेती करते थे जिससे वे अधिक मुनाफा नहीं कमा पाते थे। हालांकि उस क्षेत्र में पहले काला जीरा और जीरा फूल धान को उगाया जाता था लेकिन वह विलुप्त होने लगा। इसके बाद किसान ने इस खेती को अपनाया और सफलता भी हासिल की। लहां के किसानों को इस खेती से जोड़ने का उद्देश्य यह है कि वह रोजगार के लिए कहीं बाहर ना जाएं। आज वह अब इस खेती को कर फसल निर्यात करने को भी तैयार हैं। वहां के किसानों को ऐसा बाजार उपलब्ध कराया गया है जिससे धान से
चावल को अलग किया जाता है।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस चावल को 3500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा जा रहा है। अगर इसे मंडी में ले जाया जाए तो 2 हजार से 25 सौ रुपये प्रति क्विंटल पर मिलेंगे। जो इस खेती से जुड़ें हैं उनका कहना है कि हम इस खेती से बहुत प्रसन्न हैं और अधिक मुनाफा के कारण हमारी आर्थिक स्थिति भी बेहतर हो रही है।

नक्सल प्रभावी क्षेत्र में काले जीरे की खेती से जिस तरह किसान लाभ कमा रहे हैं वह सराहनीय है। The Logically गुमला के किसानों की भूरि-भूरि प्रशंसा करता है।

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