Wednesday, December 13, 2023

दादा करते थे बूट पॉलिश और पोती ने डाक्टर बनकर मिशाल कायम किया: फर्श से अर्श तक

बिहार के एक गरीब किसान परिवार में जन्मी एकलौती बेटी ने अपने परिवार और जिले का सर उस वक्त़ और भी गर्व से ऊंचा कर दिया जब उसने डाक्टर की पढ़ाई पूरी की | हालांकि इनका परिवार संघर्ष और आर्थिक तंगी से हमेशा घिरा रहा। इनके दादा बूट पॉलिस करते थे और इनके पिता ने स्नातक तो कर लिया था मगर उस वक्त़ नौकरी के आभाव में शुरुआती दौर में किसान के रुप में अपने परिवार का पालन पोषण करने पर मजबूर थे।

मां का कम पढ़ा लिखा होना भी कहीं न कहीं एक चुनौती था अपनी बेटी को साक्षर बना पाना पर बेटी को एक मुकाम तक पहुँचाने कि प्रबल इच्छा ने वो कर दिखाया जो सबके लिए एक प्रेरणा हैं, पिता ने खेती करके दिन रात मेहनत करके परिवार का पालन पोषण किया और बेटी के सपनो को अंजाम दिया।

Doctor kumari Manju
Doctor kumari Manju

हालांकि बेटा नहीं होने की वजह से समाज और परिवार ने इनके पिता पर बहुत दबाव बनाया था कि वो दूसरी शादी कर लें ताकि उन्हें पुत्र की प्राप्ति हो सके. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, ना तो गांव में इनका छत का मकान था और ना ही कोई सुख सुविधा. उस जमाने में इनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था।

यह भी पढ़ें :- गांव में पली-पढ़ी, गाय के तबेले से लेकर घर के सभी कार्य को करते हुए बनी जज: महिला शक्ति

डाक्टर कुमारी मंजू (Doctor Kumari Manju) जिनका जन्म बिहार के गोपालगंज जिले के भोरे प्रखंड के एक अति पिछड़े गांव बनकटा में हुआ है। बेटी की प्रारंभिक शिक्षा को पूरी कराने के लिए किसान पिता को साइकिल से 8 किलोमीटर की दूरी तय कर के बेटी को ले जाना और ले आना पड़ता था।

Doctor kumari Manju

उस जमाने में संसाधन के नाम पर ना तो पक्की सड़क थी और ना ही बिजली की व्यवस्था, यहां तक कि उस समय उचित सवारी की भी व्यवस्था नही थी। लालटेन की रौशनी में इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी। ये वक्त इतना बुरा था कि कोई भी बाप अपनी बेटी को घर से बाहर निकलने नहीं देना चाहता था किंतु मंजू के हौसले और जज़्बे की बात ही कुछ और थी। बचपन से ही पढ़ाई में होनहार और मेधावी होने के कारण दसवीं की पढ़ाई अच्छे नंबरों से पास करने के बाद आगे की तैयारी के लिए पटना चली गई हैं!

यह भी पढ़ें :- बिहारी युवा उधमी की अनोखी शुरुआत, मात्र 20 रुपये में कहीं से भी घर बैठे डॉक्टर के पास नम्बर लगाएं: Hello Doctor

पटना के बी एन कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पूरी हुई। हालांकि लड़की होने की वज़ह से पटना में भी इन्हें काफी समस्याओं को झेलना पड़ा और इनकी जिंदगी बहुत संघर्षपूर्ण रहा। आर्थिक कमजोरी होने के कारण पटना में रोजाना अपने साइकिल चलाकर 20 किलोमीटर की दूरी तय करके अपनी मेडिकल की तैयारी करती थी।

Doctor kumari Manju

जिस गरीबी की हालातों से इनका परिवार उस समय गुजर रहा था उस समय मेडिकल की महंगी किताबें खरिदने की बजाए अपनी सहेलियों से मांग कर इन्हें काम चलाना पड़ता था! उनके पिता पर उनकी पढ़ाई का ज्यादा बोझ न पड़े जिसके लिए उन्होंने कुछ बच्चियों को पटना में ही होम ट्युशन देना शुरु कर दिया था!

जिंदगी के कई उतार चढ़ाव को देखते कुमारी मंजू ( Doctor Kumari Manju) नालंदा मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल से अपनी एम बी बी एस की पढ़ाई पूरी करने के बाद बिहार के नंबर वन मेडिकल कालेज पी एम सी एच से एम एस की भी पढ़ाई पूरी कर के आज एक सफल चिकित्सक के रुप में समाज को अपनी सेवा दे रही हैं।

Doctor kumari Manju

बचपन से ही गरीबी को महसूस करने वाली डाक्टर मंजू (Doctor Kumari Manju) आज अपने प्रैक्टिस के साथ साथ अपनी हर खुशी को गरीब बच्चों के साथ साझा करती हैं | जन्मदिन हो या फिर कोई भी उत्सव का मौका गरीब दलित समाज में मिठाईयाँ,एज्युकेशनल किट, कपड़े या फिर मुफ्त मेडिकल कैंप लगाकर लोगों के साथ हमेशा जुड़ी रहती हैं।

डाक्टर मंजू अपने माता-पिता को अपनी इस सफलता का श्रेय देती हैं। साथ ही आप एक प्रेरणा हैं उनके लिए जो अपने सपनों को साकार करना चाहते है , बस जरूरत है एक न मिटने वाले जूनून की ।

The Logically के लिए इस कहानी को रंजन श्रीवास्तव(Ranjan Srivastva) ने लिखा है, रंजन पेशे से एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव हैं,जो अपनी लेखनी द्वारा समाजिक मुद्दों पर अपना विचार रखना पसन्द करते हैं।