उत्तर प्रदेश के वाराणसी मे युवायों की एक समिति चिमनियों और भट्ठों पर काम कर रहे बच्चों के जिंदगी को बेहतर भाविष्य देने की कोशिश कर रही है। इस संगठन का नाम “महिला विकास एवं मानव संगठन” है। इसकी शुरूआत प्रोफेशर राजा राम शास्त्री ने की,जिसे अब डॉ. भानुजा शरण लाल संभाल रहे हैं।
अब इनका सहयोग लगभग 200 से भी ज्यादा युवा कर रहें हैं, ये युवा इन मजदूर के बच्चों को प्रतिदिन शाम को 3-4 घण्टे पढ़ाते हैं। इन बच्चों का दाखिला स्कूल में भी करवाया जाता है, इस संगठन के तहत लगभग 3000 से भी ज्यादा बच्चे शिक्षित हो चुके हैं। इन बच्चों के लिए किताब कॉपी और अन्य चीजों की व्यवस्था संगठन करती है, बनारस में लगभग 35 जगह पर बच्चों के लिए ऐसी कक्षाएं चलाई जा रही है।
कैसे हुई संगठन की शुरुआत
जब डॉ. भानुजा वाराणसी के बड़ागांव गए तब उन्होंने वहां चिमनयों के आसपास छोटे बच्चों को मजदूरी करते देखा, उन्होंने सोंचा ये उम्र इन बच्चों के पढ़ने लिखने और खेलने का है। देश में शिक्षा का अधिकार सबको प्राप्त है, लेकिन ये बच्चे शिक्षा से वंचित है इसलिए भानुजा ने उन मजदूर बच्चों के माता पिता को जागरूक कर उन बच्चों को चिमनियों पर ही शिक्षा देनी शुरू कर दी।
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जब बच्चे शिक्षा की ओर ध्यान देने लगे और पढ़ाई करने लगे तब चिमनियों के मालिक के काम में थोड़ी रुकावट आई। उसने बच्चों के पढ़ाई का विरोध किया, डॉ भानुजा ने उन्हें समझाया की शिक्षा का अधिकार सबको प्राप्त है, ये बच्चें हमारे देश के भविष्य हैं।
धीरे-धीरे काशी विद्यापीठ के कई प्रोफेसर डॉ.भानुजा के साथ जुड़ गये, इसके अलावा इस संगठन में यूनिवर्सिटी में नौकरी करने वाले और कई छात्र छात्राएं भी शामिल हुए। जब इस संगठन को साथ देने वालों की संख्या बढ़ने लगी तब भानुजा ने महिला विकास एवं मानव संसाधन नाम की संस्था बनाई।
इस संगठन के तहत बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ इनकी जरूरतें भी पूरी की जाती है , अपनी दैनिक दिनचर्या के लिए काम कर रही महिलायों को कला का काम सिखाया जाता है। जिसमें रोजगार के लिए बकरी और बतख पालन, डिटर्जेंट बनाना और कालीन की बुनाई सिखाई जाती है।
डॉक्टर भानुजा द्वारा किये जा रहा कार्य से अनेकों मजदूरों के बच्चों को बेहतर भविष्य मिल रही है । इनके कार्य को Logically नमन करता है।