हमारा देश भारत (Bharat) हमेशा से कृषि प्रधान देश रहा है। यहाँ 70% लोग कृषि पर आधारित हैं। इसके बावजूद भी भारतीय लोगों के बीच आज भी अवधारणा है कि, खेती किसानी तो सिर्फ़ अनपढ़ और गरीब लोगों का पेशा है। ये जानते हुए कि किसान के खेत में बहाए गए पसीने से ही उनके घर की थाली में रोटी आती है। लेकिन खेती अनपढ़ लोगों का पेशा है, ये बात पूरी तरह सच नहीं है। काेरोना महामारी के बाद से देश में खेती की ओर पढ़े लिखे युवाओं का रुझान बढ़ा है। खासकर सब्जियों की खेती की ओर, आज देश में ऐसे भी लोग हैं, जो बहुत पढ़े लिखे होने के बावजूद खेती कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें आधुनिक खेती के फायदे भली-भांति पता हैं। आज हम एक ऐसे ही छोटे किसान एकलव्य कौशिक (Eklavya kaushik) की बात करेंगे, जिसने यूट्यूब से देखकर स्ट्रॉबेरी की खेती की और आज के समय में वह लाखों की कमाई कर रहे हैं।
कौन है एकलव्य कौशिक :-
एकलव्य कौशिक (Eklavya kaushik) बिहार (Bihar) के बेगूसराय (Begusarai) के रहने वाले हैं। उनका जन्म वर्ष 2006 में हुआ। एकलव्य बताते हैं कि, उनके घर में अभी तक पुराने ढंग से केवल धान गेहूँ और कुछ दालें बोते थे। ये ऐसी फ़सल थी जो मौसम और बारिश सही होने पर तो फायदा देती थी, लेकिन यदि मौसम ने साथ नहीं दिया तो कई बार घाटे की खेती भी बन जाती थी। ऐसे में एकलव्य हमेशा से इसका कोई विकल्प तलाशना चाहते थे। उसके बाद उन्होंने यूट्यूब (You Tube) पर स्ट्रॉबेरी की खेती देखी और उसके बाद उनके मन मे इसकी खेती करने की चाहत जागृत हुई।
क्या है स्ट्रॉबेरी (Strawberry) ? :-
स्ट्रॉबेरी (Strawberry) एक बहुत ही नाज़ुक फल होता है, जो की स्वाद में हल्का खट्टा और हल्का मीठा होता है। दिखने में दिल के आकर का होता है। और इसका रंग चटक लाल होता है। ये मात्र एक ऐसा फल है। जिसके बीज बाहर की और होते है। आपको जानकर आश्चर्य होगा की स्ट्रॉबेरी की 600 किस्में इस संसार में मौजूद है। ये सभी अपने स्वाद रंग रूप में एक दूसरे से भिन्न होती है। स्ट्रॉबेरी में अपनी एक अलग ही खुशबू के लिए पहचानी जाती है। जिसका फ्लेवर कई सारी आइसक्रीम आदि में किया जाता है। स्ट्रॉबेरी में कई सारे विटामिन और लवण होते है जो स्वास्थ के लिए काफी लाभदायक होते है। इसमें काफी मात्रा में विटामिन C एवं विटामिन A और K पाया जाता है। जो रूप निखारने और चेहरे में कील मुँहासे, आँखो की रौशनी चमक के साथ दाँतों की चमक बढ़ाने का काम आते है इनके आलवा इसमें केल्सियम मैग्नीशियम फोलिक एसिड फास्फोरस पोटेशियम होता है।
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यूट्यूब (You Tube) पर देखी स्ट्रॉबेरी की खेती, देखकर मन में आयी चाहत :-
एकलव्य (Eklavya kaushik) दसवीं कक्षा के छात्र हैं। आजकल के समय में दसवीं का छात्र स्मार्टफोन क प्रयोग करना अच्छे से जानते हैं। एक दिन उन्होंने यूट्यूब पर स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry farming) का वीडियो देखा। वीडियो में उन्होंने देखा कि, स्ट्रॉबेरी की खेती करके अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है। साथ ही उनके गाँव का मौसम और मिट्टी भी इसके अनुकूल हैं। इन सब बातों को देखते हुए उन्हें स्ट्रॉबेरी की खेती अच्छी लगी तथा उन्होंने मन ही मन स्ट्रॉबेरी की खेती करने को ठानी।
सबसे पहले 1 हज़ार पेड़ों से शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती :-
एकलव्य बताते हैं कि, जब उन्होंने सबको बताया कि अब वह धान गेहूँ की बजाय स्ट्रॉबेरी की खेती करने जा रहे हैं। शुरुआत में गाँव के लोगों ने उनका खूब मजाक बनाया। लेकिन वह किसी की बात से हिम्मत नहीं हारे। उन्होंने 2700 रुपए में हिमाचल प्रदेश से 1 हज़ार पौधे मंगाए जो कि ऑस्ट्रेलियन प्रजाति के थे। इस काम में उनके फूफा जी (शैलैंन्द्र प्रियदर्शी) ने बहुत साथ दिया था। उनके फूफा जी (शैलैंन्द्र प्रियदर्शी) जियोलाॅजी के प्रोफेसर हैं। उनके खेत की मिट्टी को देखा और कहा कि ये मिट्टी स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry farming) के लिए अनुकूल है। एकलव्य का कहना है कि, उन्होंने स्ट्रॉबेरी की बुआई का काम कोरोना महामारी के दौरान साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान किया। उस समय वे घर में फुर्सत में बैठे थे। Youtube पर ही उन्होंने देखा कि पहले खेत की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना दिया जाता है। जिसके बाद स्ट्रॉबेरी की बुआई की जाती है। नमी को ध्यान में रखकर सिंचाई की जाती है। परिणाम यह हुआ है कि, आज उनके खेत में स्ट्रॉबेरी के फल भी आने शुरू हो गए हैं।
बचपन से ही थी नई फसल की खेती करने की चाहत :-
एकलव्य का कहना है कि, वह किसान परिवार से आते हैं। बचपन से ही वह गाँव में रहे हैं तथा हमेशा से देखते आए हैं कि कैसे बाढ़ आ जाने पर सूखा पड़ जाने पर सारी खेती नष्ट हो जाती थी। कई बार तो घर में खाने लायक अनाज भी नहीं बचता था। ऐसे में बचपन से ही उनका सपना था कि वह खेती में कोई बदलाव ज़रूर करेंगे, आख़िर इस तरह तो कभी खेती में फायदा होगा ही नहीं। इसी सोच और प्रेरणा को लेकर वह बदलाव को अपने जीवन में उतार चुके हैं। उनकी यह कामयाबी लोगों को इस बदलाव से जुड़ने के लिए प्रेरित बन चुकी हैं।
कम लागत में है ज्यादा फायदा :-
एकलव्य का कहना है कि, स्ट्रॉबेरी की खेती में बाकी दुसरे खेती के अपेक्षा कम लागत है, जिससे स्ट्रॉबेरी की खेती में ज्यादा बचत होता है। देहात के बाजार में स्ट्रॉबेरी की कीमत 50 से 80 रूपये किलो है लेकिन बड़े बाजारो में इसकी कीमत 600 रूपये किलो तक है। एकलव्य की स्ट्रॉबेरी की फ़सल अब तैयार हो चुकी है और आसपास के व्यापारी अब उनसे संपर्क भी करने लगे हैं।
माता पिता ने किया सहयोग : –
एकलव्य बताते हैं कि, जब उनके मन में स्ट्रॉबेरी की खेती करने का ख्याल आया तो उन्होंने सबसे पहले अपने माता-पिता से इस विषय पर चर्चा की, जिसमें उनके माता-पिता राजी हो गए। उनके पिता ने ट्रांसपोर्ट ड्राइवर होते हुए भी उनको आर्थिक सहयोग किया था। उन्हें स्टोबेरी की खेती करने के लिए प्रेरित भी किया और हिम्मत बढ़ाई। आज एकलव्य सभी किसानों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।
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