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पिता किसान और माँ ट्रेलर, एक शानदार आईडिया से बेटे ने आज खड़ी कर दी 25 करोड़ की कम्पनी

हमारे मन में अक्सर यह बात जानने की जिज्ञासा रहती है कि आखिर कोई इंसान मजदूरी कर बड़ी उपलब्धि कैसे हासिल कर लेता है जिससे वह सभी के लिए उदाहरण बन जाता है। लोग अपने जीवन-यापन के लिए हर वह कार्य करते हैं जिससे उनका परिवार खुश रहे। लेकिन जो व्यक्ति तमाम विषम परिस्थितियों से संघर्ष कर सफलता का इतिहास रचते हैं जिससे कि उनका उदाहरण हर व्यक्ति देता है कि बनना है तो उसकी तरह बनो। आज हम आपको 500 रुपये से मजदूरी कर जीवन-यापन करने वाले इंसान के विषय मे बताएंगे जो अब 25 करोड़ का मालिक बने हैं।

बी.एम. बालकृष्णा

बी.एम. बालकृष्णा आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव से संबंध रखते हैं। उनके पिता खेतों में खेती करते और मां जीवन-यापन के लिए आंगनबाड़ी में पढ़ाती और सिलाई भी किया करती थी। वह लगभग 6 बार गणित विषय में असफल रहे। लेकिन जैसे-तैसे करके उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा संपन्न की। वह जब पढ़ाई करते थे उसी वक्त से वह अपने घर के लिए कुछ ना कुछ करना चाहते थे। ताकि वह कुछ पैसे जुटाकर अपने घर वालों की थोड़ी परेशानी दूर कर सकें।

Equapot founder BM Balakrishna


 
किया ऑटोमोबाइल से डिप्लोमा

वह आगे पढ़ना तो चाहते थे लेकिन पैसे की तंगी से थोड़ी मुश्किल हुई। फिर भी उनके माता-पिता ने उन्हें नेल्लोर जिले में डिप्लोमा के लिए भेजा। उन्होंने ऑटोमोबाइल से डिप्लोमा की डिग्री हासिल की। वह पैसे और वक्त की अहमियत समझते थे जिस कारण वह सिर्फ इस सोंच में रहते कि मैं किसी भी तरह एक सफल इंसान बन जाऊं। उनके माता-पिता जो पैसे भेजा करते थे वह बहुत मुश्किल से इकट्ठे हो पाते थे। वह लगभग साढे 3 सौ लीटर दूध बेचते थे और तब अपने बेटे को 1000 रुपये पढ़ाई के लिए भेजते थे।

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उन्होंने जमकर मेहनत की और अपने कॉलेज में 74 फीसदी अंक लेकर वह टॉपर की श्रेणी में रहे। उनकी इस सफलता से सिर्फ वही खुश नहीं हुए बल्कि उनके माता-पिता को भी बहुत खुशी मिली। आगे उन्होंने बालकृष्णा को सलाह दिया कि तुम आगे की पढ़ाई करो। लेकिन वह कुछ कार्य कर अपने घर की परेशानी को दूर करना चाहते थे। इसीलिए वह नौकरी की तलाश में लग गए। उनकी मां ने उन्हें कुछ रुपए दिए और वह नौकरी की तलाश में बैंगलोर गए।

500 रुपये तनख्वाह की नौकरी की शुरुआत

जब वह बेंगलुरु गए तब उन्होंने ऑटोमोबाइल कंपनी में जॉब के लिए अप्लाई किया। लेकिन उन्हें कहीं भी नौकरी नहीं मिली। इस दौरान वह थोड़े हताश हुए फिर भी वह हार नहीं माने। अब उन्होंने मन में यह निश्चय कर लिया कि मैं बिना नौकरी के यहां से जाऊंगा नहीं। तब उन्हें 500 रुपये की नौकरी मिली जो कि कार धोने की थी। आगे उनके सामने पंप व्यापार का ऑफर आया। वह इस क्षेत्र में कार्य करना नहीं चाहते थे लेकिन तनख्वाह अधिक थी तो उन्हें लगा कि वह अधिक पैसे से अपने घर में अधिक सहायता करेंगे। इस कार्य में उन्हें 2 हजार रुपये मिल रहे थे। उन्होंने 14 वर्षों तक वह सेवा दिया।

हुए एक कार्य मे असफल

वर्ष 2010 में इज 1.27 लाख रुपये प्रोविडेंट फण्ड में लगाकर ब्रांड एक्वापॉट का शुभारंभ किया। वह वक्त उनकी जिंदगी का बहुत ही खराब वक्त था। शुरुआती दौर में उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। तब उन्हें कुछ लोगों ने यह सलाह दिया कि तुम इसे छोड़ दो। आगे उन्होंने अपना होलसेल व्यापार शुरू किया। अब इस कार्य में वह सफल रहे और उसमें खूब मेहनत की। अब इनका एक्वापॉट-20 पानी के शुद्धिकरण के श्रेणी में आ गया। उनकी कम्पनी आज हैदराबाद, विजयवाड़ा, बैंगलोर और तिरुपति में है। आज वह 25 करोड़ रुपये हर वर्ष कमाते हैं।

500 रुपये से मजदूरी कर जिस तरह बालकृष्णा ने खुद का विशाल साम्राज्य स्थापित किया उसके लिए The Logically उन्हें शुभकामनाएं देता है।

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