Saturday, December 9, 2023

पेश कर रहे हैं पर्यावरण प्रेम का मिशाल, पिछले 14 वर्षों से साफ कर रहे हैं उदयपुर शहर की झील

कचरे की समस्या आय दिन बढ़ती ही जा रही है। देश में प्रतिदिन हजारों-लाखों टन कचरा काराखनों से निकलता है। इस बढ़ते कचरे को नदियों और झीलों में डाल दिया जाता है। यही वजह है कि नदियों और झीलों का पानी दिन-प्रतिदिन गन्दा होते जा रहा और जल प्रदूषण तेजी से फैल रहा है।

जैसा कि हम सब जानते हैं उदयपुर को “झीलों की नगरी” कहा जाता हैं। यह शहर गीर्वा पहाड़ी पर बसा हुआ है। यह बहुत ही लुभावना और शोभनीय शहर है। यह चारों ओर से पानी, पहाड़ और घने जंगलों से घिरा हुआ है। जिसे देखने के लिये दुनियाभर के लोग आते हैं। यहां लोग खुब मौज-मस्ती करतें हैं। अपने परिवार के साथ घुमते-फिरते हैं और प्रकृति का आनन्द लेते हैं। लेकिन वहां के स्थानीय लोगों के द्वारा डाला गया कचरा और झीलों की खूबसूरती को ख़राब करता हैं। उसे देख मन निराश होना लाजमी हैं। ऐसे में कोई 73 वर्ष की उम्र के ऐसे पड़ाव पर भी झीलों की सफाई करता हैं। यह उनलोगों के लिये शर्मिन्दगी की बात हैं जो गन्दगी फैला रहें हैं।

यह घटना आज से लगभग 14 वर्ष पहले की है। उदयपुर के रहने वाले हाजी मोहम्मद (Haji Mohammed) वहां के झीलों को गन्दा होते देखे तो उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने झीलों की सफाई का बीड़ा उठाया।

अगस्त 2005 की बात है। उस समय उदयपुर (Udaipur) के मेवाड़ (Mewar) में अधिक वर्षा हुईं थी। सारी झीलों में पानी उबाल मार रहा था। सब कुछ अच्छा लग रहा था, सिवाय झीलों में फैले हुए गन्दगी और कचरे के। हाजी मोहम्मद का घर झीलों के पास ही था। इसलिए झीलों की यह हालत उनसे देखी नहीं गईं। उन्होनें इसकी सफाई करने का विचार किया। लेकिन इस काम को अकेले करना बहुत ही मुश्किल था। उन्होनें झीलों की गन्दगी के बारें में अपने दोस्त जमनाशंकर दशोरा को बताया और कहा कि यदि वक्त रहतें हुए झीलों की सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया तो इस शहर की शान इन झीलों का अस्तित्त्व समाप्त हो जायेगा।

जमनाशंकर दशोरा (Jamanashankar Dashora) भी हाजी मोहम्मद के बातों से सहमत हुयें और इस नेक काम के लिये अपनी सहमती दे दिए। इस काम को करने के लिये उनके सामने एक समस्या यह थी कि झीलों में पानी पूरा लबालब भरा हुआ था। ऐसे में झील में उतरने के लिए नाव की जरुरत थी। उन्होंने इस समस्या का समाधान निकाला। ख़ुद ही 10 ट्यूब का एक नाव बनाएं। उन्होंने पहली बार पानी से जल्कुम्भी निकालने का कार्य आरंभ किया। झीलों की सफाई के काम में हाजी मोहम्मद और दशोरा 2 लोग ही थे। झीलों की सफाई में लोगों की भागीदारी के लिये उन्होंने एक मंच बनाने का विचार किया और जो भी झीलों के हित में काम करेगा, वह इस मंच का मेम्बर होगा।

उन्होंने 24 August, 2005 को मंच का निर्माण किया। इस मंच का नाम झील हितैषी नागरिक मंच रखा गया। मंच का निर्माण करने के बाद हाजी मोहम्मद और जमनाशंकर ने अपने मंच के सदस्यों को झीलों की स्थिति से अवगत कराया और श्रमदान करने के लिये उनसे निवेदन किया। इस मंच में श्रमदान करने आने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी। इस मंच में शामिल होने के लिये किसी भी प्रकार के शुल्क या दान देने की ज़रुरत नहीं थी। अगर कोई नगद दान देता भी है तो मंच के द्वारा उसे अस्वीकार कर दिया जाता हैं। उनसे कहा जाता है कि अगर कुछ दान देना है तो मंच के साथ मिलकर श्रमदान करो।

यह भी पढ़े :-

चेन्नई के मछुआरों ने स्वक्षता का दिया अनोखा सन्देश, झील से साफ किये 700 किलो प्लास्टिक का कचड़ा

इस मंच के द्वारा प्रत्येक सप्ताह में रविवार (Sunday) के दिन उदयपुर (Udaipur) के झीलों से कचरा और जलकुम्भी निकालने का काम किया जाता है। झील हितैषी नागरिक मंच के द्वारा बीते 15 वर्षो में हजारों क्विंटल कचरे को बाहर निकालने का कार्य किया जा चुका है। लेकिन अभी भी अधिकतर लोगों की झीलों में कूड़ा डालने की आदत में सुधार नहीं हुआ है।

हाजी सरदार मोहम्मद (Haji Saradar Mohammad) कहते हैं कि प्रशासन के भरोसे बैठने से काम नहीं चलेगा। लोगों को इसके लियें जागरुक होने की ज़रुरत हैं। लोग जब तक झीलों में कचरा डालने का काम बंद नहीं करेंगे तब तक वह झीलों की सफाई में इसी तरफ जुटे रहेंगे। झील हितैषी नागरिक मंच को उदयपुर में काफी लोग जानने लगे हैं। इस काम के लिये “भारत विकास परिषद् उदय” के तरफ से अच्छी नाव की सुविधा उप्लब्ध भी कराई गईं हैं। इस मंच में लोग झीलों की सफाई के लिये उपकरण और श्रमदान देते हैं।

झीलों की सफाई करने के दौरान कितनी बार उनको लोगों की बातों को भी सुनना पड़ता हैं। एक बार की बात है जब हाजी मोहम्मद ने एक आदमी को कचरे से भरा थैला झील में फेंकने से रोका तो वह आदमी बोला, “यह फूल की मालाएं हैं, इससे आपको क्या मतलब हैं?” उस थैले में फूल की मालाएं हैं या नहीं यह जानने के लिये हाजी मोहम्मद झील में उतर कर देखे तो उस थैले में शराब की बोतल, एक फूल की माला तथा सिगरेट के पैकेट्स थे।

उम्र की समय सीमा कुछ भी हो, अगर मन में कुछ करने का हौसला हो तो उम्र की समय सीमा महसुस नहीं होती हैं। इस बात को सही साबित कर के दिखाया है, हाजी मोहम्मद ने। हाजी मोहम्मद की उम्र 73 वर्ष से अधिक है। उम्र के इस पड़ाव पर भी झीलों की सफाई करने के लिये उनका जोश और जज्बा कम नहीं हुआ है। झीलों में लोग कचरा ना डालें। झील स्वच्छ व साफ रहे। वह प्रशासन से नहीं आश लगाएं बैठें हैं कि वह इसके लिये कोई कड़े कानून बनाएं। मोहम्मद हाजी लोगों से झीलों में कचरा ना डालें इसके लिये अपील करतें हैं। झीलों की सफाई की शुरुआत सबसे पहले हाजी मोहम्मद अकेले ही कियें थे लेकिन आज उनके साथ 10 लोग इस मुहीम में भागीदार हैं।

हाजी मोहम्मद से सम्पर्क करने के लिये आप दिये गये नंबर पर कॉल कर बात कर सकतें हैं। 9660567568

हाजी मोहम्मद द्वारा किये कार्यों के लिए The Logically उन्हें नमन करता हैं और लोगों से अपील करता हैं कि नदियों में कचरा फेंक कर प्राकृतिक धरोहर को नुक्सान न पहुंचाए।