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पढ़ाई के लिए डांट पड़ी तो घर छोड़ दिया, सालों बाद अमीर बनकर आया तो देखते रह गए लोग

बचपन में मां बाप की डांट सुनकर गुस्से में घर से भागा हुआ बेटा सालों बाद नौजवान और आर्थिक तौर पर मजबूत होकर वापस लौटे? तो ऐसा केवल हमने बॉलीवुड की फिल्मों में ही देखा है। रियल और रील लाइफ में काफी फर्क होता है। लेकिन ऐसी एक घटना वास्तविक जीवन में भी देखने को मिली है।

12 साल की उम्र में छोड़ दिया था घर

ये कहानी हरदोई के रहने वाले रिंकू उर्फ गुरप्रीत सिंह (Gurpreet Singh) की है, जो 12 साल की उम्र में पिता की डांट सुनकर 2007 में घर छोड़कर (Rinku left home at 12) चला गया था। अब सालों बाद रिंकू घर वापस लौटा है वो भी हट्टा खट्टा सरदार बनकर। रिंकू अब आर्थिक तौर पर इतना मजबूत बन गया है कि उसके माता पिता ने भी नहीं सोचा होगा।

Hardoi boy Rinku

माता पिता के लाख ढूंढने के बाद भी पता न लगा

पिता के डांटने के बाद रिंकू बाहर पुराने कपड़े और अन्दर नए कपड़े पहनकर चुपचाप घर छोड़कर निकल गया। बेटे के लापता हो जाने के बाद पिता ने हर जगह ढूंढा पर वह कहीं नहीं मिला। अंत में हिम्मत टूट गई तो शांत बैठ गए। 14 साल तक बेटे के बिना हर लम्हा गुजरना मुश्किल था।

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रिंकू से सरदार गुरप्रीत सिंह कैसे बना ?

दरअसल,12 साल की उम्र में घर से निकलने के बाद रिंकू किसी ट्रेन में बैठकर लुधियाना पहुंच गया था। जहां उसे एक सरदार ने शरण दी और अपनी ट्रांसपोर्ट कंपनी में उसे काम दिया। वहां उसने ट्रक चलाना सीख लिया और अब उसके पास खुद की ट्रक है। हरदोई के रहने वाले सरजू और सीता 6 बेटे और 1 बेटी में रिंकी चौथा बेटा था।

14 साल पहले घर छोड़कर उसने ट्रेन पकड़ी तो लुधियाना पहुंचा। वहां भारत नगर चौक पर टीएस ट्रांसपोर्ट में काम करने लगा। काम करते करते उसने ट्रक चलाना सीखा और अपनी मेहनत और लगन की बदौलत अपना ट्रक और लग्जरी कार भी खरीद ली। रिंकू वहां सरदारों के रहन सहन में रम गया (Riku turned to Sardar Gurpreet Singh) नाम गुरप्रीत सिंह रखा गया और पगड़ी भी पहनने लगा। गोरखपुर की एक लड़की जिसका परिवार लुधियाना में रहता है उससे प्रेम विवाह भी कर लिया।

सालों बाद इस तरह पहुंचा अपने घर

रिंकू के एक ट्रक का धनबाद में एक्सीडेंट हो गया था। जिसे छुड़ाने के लिए रिंकू उर्फ गुरुप्रीत अपनी लग्जरी कार से धनबाद जा रहा था। रास्ते में जब वह हरदोई पहुंचा। उसे अपने गांव और परिवार की याद आई और वो सीधा धनबाद न जाकर हरदोई के गांव के पास पहुंच गया। लेकिन अपने पिता का नाम याद नहीं था पर गांव के एक बुजुर्ग सूरत यादव का नाम याद आया।

जब 26 साल का जवान बेटा सामने आया…

सूरत यादव के पास पहुंचा तो उन्होंने रिंकू को पहचान लिया और तुरंत उसके माता पिता के पास ले गए। 26 साल के बेटे को सामने देखकर मां के आंसू नहीं रुक रहे थे। पिता को मानो सहारा मिल गया हो। रिंकू के परिवार की आर्थिक हालात ठीक नहीं है। उसके भाई मजदूरी कर के घर चलाते हैं लेकिन अब उसके लौटने से खुशियां लौट आई हैं।

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