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कैसे करें मखाना का बेस्ट उत्पादन, देश से लेकर विदेशों तक है अच्छी खासी डिमांड

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पहले की तुलना में अब बिहार हर क्षेत्र में काफी आगे बढ़ चुका हैं। पिछले कुछ समय से यहां काफी बदलाव देखा जा रहा है। एक समय ऐसा भी था जब किसान केवल पारंपरिक खेती ही करते थे, जिससे उन्हें ज्यादा मेहनत में कब मुनाफा होता था परंतु बदलते हालात के साथ उन्होंने भी कई बदलाव किए, जिसका नतीजा है कि आज बिहार में हर एक चीज की खेती हो रही है।

आज हम बिहार के दरभंगा जिले में तैयार होने वाले मखाना की बात करेंगे। मखाना इन दिनों काफी चलन में है, डाइटिशियन भी मखाना खाने की सलाह देते हैं। ऐसे में बिहार के किसान मखाना की खेती कर अपने आय को कई गुना बढ़ा चुके हैं। हम आप के समक्ष एक वीडियो शेयर करेंगे जिससे समझने में आप को आसानी होगी – In this way, you can earn a good income by producing Makhana.

  • दो प्रकार से होती है मखाना की खेती

आज हम डॉक्टर मनोज कुमार के जरिए यह जानेंगे कि मखाना कैसे बनता है और इसकी प्रोसेस क्या है। भारत में सबसे अधिक मखाना की खेती बिहार के दरभंगा और मधुबनी में ही होती हैं। डॉ. मनोज के अनुसार दो प्रकार से मखाना की खेती होती है पहला जैसे हम हमेशा से सुनते आए हैं तालाब में और दूसरा धान और गेहूं की तरह खेती में। मखाना में कई तरह के औषधीय गुण पाया जाता है, जिसकी वजह से उसका डिमांड आए दिन बढ़ती जा रही है। इस डिमांड को पूरा करने के लिए किसान तालाब के अलावा खेतों में भी मखाना का उत्पादन कर रहे हैं।

  • साल में दो बार किया जा सकता है मखाना का उत्पादन

मनोज के अनुसार हर एक खेती से ज्यादा मखाना आपको मुनाफा दे सकता हैं क्योंकि मखाना की कीमत बाजारों में 700 से 800 रूपए किलो तक या उससे भी ज्यादा है। यह किसानों के लिए अपनी आय बढ़ाने का एक अच्छा विकल्प है। बहुत से किसान मनोज के पास मखाना की प्रशिक्षण के लिए आते हैं और उनसे सीख कर अपने तालाब तथा खेत में मखाना की खेती कर रहे हैं। आमतौर पर मखाना के उत्पादन के लिए 2 सीजन बेहतर माना जाता है। हालांकि सबसे बेस्ट होता है मार्च में लगाना और अगस्त तक उसे हार्वेस्टिंग करना। इस समय में मखाना के अच्छे उत्पादन मिलते हैं। अगले बचे 6 महीने में भी आप मखाना का उत्पादन कर सकते हैं लेकिन उस समय उसकी मात्रा कम हो जाती है।

  • 1 फीट पानी में हो सकता है मखाना की खेती

मखाना की खेती के लिए पानी का होना जरूरी है, परंतु इसके लिए बहुत अधिक पानी नहीं चाहिए। मनोज बताते हैं कि एक फीट पानी में भी मखाना का उत्पादन हो सकता है। अगर मखाना की खेती आप एक हेक्टेयर यानी 55 कट्ठा जमीन में करते हैं तो आपको तकरीबन 1 लाख रूपए की लागत लगेगी, जिससे किसान आसानी से एक से डेढ़ लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं लेकिन अगर किसान जागरूक हो और वह अच्छी तरह प्रशिक्षण लेने के बाद मखाना की खेती करें तो उसे अधिक लाभ होता है क्योंकि अगर किसान घर पर ही मखाने की खेती के साथ ही उसे मार्केट तक पहुंचाने के लिए लावा बना लें तो उसे 60 से 70% तक ज्यादा लाभ हो सकता है।

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  • इस तरह तैयार होता है मखाना

इसकी हार्वेस्टिंग एक बार में पूरा नहीं हो पाता। इसके लिए दो बार या तीन बार हार्वेस्ट करना पड़ता है। शुरुआती प्रक्रिया में पानी से केवल मखाना का बीज ही बाहर आता है, जिसे आम भाषा में गुड़ी कहा जाता है। पानी से निकालने के बाद इसे अच्छी तरह धूप में सुखाया जाता है। उसके बाद इसकी रोस्टिंग करके इसे 24 या 28 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है, जिसे टेंपरिंग कहते हैं। दुबारा रोस्टेड करने के बाद इसकी पपिंग करेंगे। रोस्टेड किए गए मखाना को एक वुडन ब्रेक और लकड़ी के हेमर की मदद से इसका लावा बनाएंगे। – In this way, you can earn a good income by producing Makhana.

वीडियो यहाँ देखें:-👇👇

  • मखाना अनुसधान केंद्र की शुरूआत साल 2002 में हुई

पानी के अंदर मखाना को बोना भी एक बहुत बड़ी चुनौती का काम है क्योंकि पानी के अंदर आपको कुछ दिखता नहीं है इसलिए अंदाजे से 1 मीटर के अंदर तीन पौधा लगाना होता है। बता दें कि मखाना अनुसधान केंद्र साल 2002 में बना और वहां स्थित बिल्डिंग्स साल 2008 में तैयार हुई। पूरी दुनिया में यह एक मात्र ऐसी जगह है जहां पर मखाना के ऊपर रिसर्च किए जाते हैं और आने वाले समय में कैसे और बेहतर तरीके से उत्पादन हो इस पर कार्य किया जाता है। स्वर्ण वेधई मखाना की पहली प्रजाति है, जो इसी संस्थान के द्वारा विकसित की गई थी।

  • मखाना की खेती को बढ़ावा देने हेतु प्रयास

मखाना अनुसधान केंद्र लगातार इस पर कार्य कर रहा है कि कैसे मखाने की ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हो तथा अच्छी क्वालिटी में मखाना का उत्पादन हो सके। इसके अलावा किस तरह मखाने की खेती करने वाले किसानों को अधिक से अधिक मुनाफा हो सके, इस पर भी कार्य करते हैं। अगर आप पारंपरिक तौर पर तालाब में मखाने की खेती करते हैं, तो उसमें कुछ नहीं डालना पड़ता क्योंकि तालाब में उगाए गए मखाने की बची हुई पत्तियां तथा उसमें गली हुई पत्तियां उसके खाद का काम करता है, परंतु खेती के तौर पर ऐसा नहीं हो पाता।

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  • अनुसाधन द्वारा किसानों को दिया जाता है प्रशिक्षण

आम से खेत में किस प्रकार मखाना की क्वालिटी और क्वालिटी दोनों ही बढ़ाया जाए। इस पर यह अनुसाधन लगातार काम कर रहा है। साथ ही अनुसाधन से जुड़ने वाले किसानों को परीक्षण तथा नई-नई तकनीकों की सलाह देते हैं जिससे उनकी आमदनी बेहतर हो सके। डॉ मनोज बताते हैं कि किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए यहां ट्रेनिंग दी जाती है तथा उन्हें पहले से बेहतर करने की तकनीकों को समझाया जाता है। पिछले कुछ समय में बड़ी तादाद में किसान उनसे जुड़े हैं। उदाहरण के तौर पर वह बताते हैं कि कमतौल के रहने वाले धीरेंद्र कुमार जिन्होंने यहां से प्रशिक्षण लिया और पहले ही साल 8 बीघा जमीन में करीब 5 लाख रूपए की आमदनी की है।

  • मखाना की क्वालिटी के अनुसार होती है उसकी कीमत

बहुत से किसान मखाना के साथ और भी चीजों की खेती करते हैं जिससे उनकी आय बढ़ सके। मखाना के क्वालिटी के हिसाब से कीमत होती है और उसके मेजरमेंट सुता के हिसाब से की जाती है। अलग-अलग राज्यों में मखाने की अलग-अलग कीमत है। समझने के लिए बता दें कि आधे इंच या उससे थोड़ा छोटा मखाना का क्वालिटी सबसे बेहतर माना जाता है। अगर आप भी मखाना की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं तो मखाना अनुसधान केंद्र से मदद ले सकते हैं। – In this way, you can earn a good income by producing Makhana.

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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