Wednesday, December 13, 2023

22 रुपये की पहली इनकम के बाद 5 करोड़ का टर्नओवर, IIM गोल्ड मेडलिस्ट ने सब्जी बेचकर बनाया खुद का बड़ा कारोबार

ज़िन्दगी में कुछ आम से दिखने वाले सवाल भी किसी कीमन पर गहरी छाप छोड़ जाता हैं। हमसब सब्ज़िया खाते है, खरीदते हैं और मन में यह सवाल कम ही आता होगा कि जितने दामो में हम इसे खरीद रहे हैं , क्या किसानों को भी उतना ही दाम मिलता होगा? पर यह सवाल आई.आई.एम ( IIM) अहमदाबाद के गोल्ड मेडलिस्ट युवक के मन मे आया था। यह युवक हैं बिहार के नालंदा ज़िले के कौशलेंद्र कुमार(kaushlendra kumar) .

शुरुआती जीवन

कौशलेंद्र का जन्म नालंदा ज़िले के मोम्मदपुर गांव में हुआ था । अध्यापक माता-पिता के तीन संतानों में सबसे छोटे कौशलेंद्र की शुरुआती शिक्षा सरकारी प्राथमिक विद्यालय में हुई। छठी से दसवीं तक कि पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय से हुई और बारहवीं की पढ़ाई पटना के साइंस कॉलेज से हुई। आगे की पढ़ाई उन्होंने गुजरात के इंडियन कॉउन्सिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) से एग्रिकल्चर इंजीनियरिंग की। इसके बाद 2005 में उनका दाखिल IIM अहमदाबाद में हुआ। 2007 में पढ़ाई पूरी करने के बाद जहा उनके कुछ साथी विदेश चले गए तो कुछ बड़ी कंपनियों में नौकरी करने लगे वही कौशलेंद्र गुजरात से पटना गए।

IIM Graduate kaushlendra selling vegetables

समृद्धि परियोजना की शरुआत

यहाँ कौशलेंद्र(kaushlendra kumar) ने कौशल्या फाउंडेशन(kaushlya foundation) की स्थापना की और 2008 में समृद्धि परियोजना से किसानों को अपने साथ जोड़ा। कौशलेंद्र बताते है कि जब शुरआत की तब दो-तीन किसान ही आगे आए। पहले दिन जब सब्ज़ी बेचने पटना पहुचे तब सिर्फ 22 रुपये की ही बिक्री हुई।

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समृद्धि का 5.5 करोड़ का टर्नओवर

साल 2016-17 में समृद्धि कंपनी (samridhi company) ने साढ़े पांच करोड़ का टर्न ओवर किया। कौशलेंद्र बताते है कि एक वह दिन था जब 22 रुपये की कमाई हुई थी और एक आज का दिन हैं जो करोड़ो में हैं। इसके साथ है आज कौशलेंद्र के पास लगभग 22 हज़ार किसान और 700 लोगों का स्टाफ हैं।

IIM Graduate kaushlendra

फार्म्स फ्रेश प्रोड्यूस कंपनी की स्थापना

कौशलेंद्र कुमार चाहते थे कि किसानों की एक व्यपारिक संगठन का निर्माण हो इसलिए उन्होंने फार्म्स फ्रेश प्रोड्यूस(farms fresh produce) की स्थापना की।इस कंपनी से किसान जुड़ते चले गए। पटना में एक बड़े सेन्टर पर किसानों को सब्ज़ी लाना होता है वहां से सब्ज़िया अलग-अलग जगहों पर जाती हैं। पटना में कौशलेंद्र का एक 10 टन का छोटा कोल्ड चैम्बर भी हैं। इन सब के अलावा कौशल्या फाउंडेशन(kaushlya foundation) ने पटना और नालंदा की संकरी गलियों में ताज़ी सब्ज़िया पहुचाने के लिए आइस कोल्ड पुश कार्ट(हाथ ठेला) तैयार किया हैं। फाइबर से निर्मित इस ठेले की क्षमता 200 किलो वजन तक उठाने की हैं। इसमे इलेक्ट्रॉनिक तराजू भी है । इससे ग्राहकों को ताज़ी सब्ज़िया भी मिलती है और सब्जियां बर्बाद होने से भी बच जाती हैं। इस योजना से किसानी की आय 25-50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है वही सब्ज़ी वेंडरों की आय में 50-100 प्रतिशत का इजाफा हुआ हैं। इससे सिर्फ उनकी आय में ही वृद्धि नही हुई है बल्कि उनकी मेहनत भी कम हुई है। पहले जहा वेंडरों को 14 घंटे काम करना पड़ता था वही उन्हें अब 8 घंटे काम करना पड़ता हैं।

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भविष्य की योजना

कौशलेंद्र के पास आज देश के अलग-अलग कोने से किसान उनका मॉडल जानने आते हैं। भविष्य में कौशलेंद्र समृद्धि योजना को पूरे देश मे लागू करना चाहते है जिससे देशभर के किसानों को सही कीमत प्राप्त हो सके और ग्राहकों को भी ताज़ी सब्ज़िया प्राप्त ही सके।

The Logically के लिए इस कहानी को मृणालिनी द्वारा लिखा गया है। बिहार की रहने वाली मृणालिनी अभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती हैं और साथ ही अपने लेखनी से सामाजिक पहलुओं को दर्शाने की कोशिश करती हैं!