Sunday, December 10, 2023

भारत में विदेशी वैक्सीन को मिली मंजूरी, जल्द ही टीकाकरण की प्रक्रिया में होगा इज़ाफ़ा

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में टीकाकरण (Covid vaccination drive in India) की प्रक्रिया को तेजी से बढ़ाने के लिए भारत ने विदेशी कोविड वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। सोमवार को देश के औषधि नियामक द्वारा रूस के कोविड-19 रोधी टीके ‘स्पूतनिक वी’ (Sputnik V in India) के सीमित आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली है ‘डॉक्टर रेड्डीज लैबोरोट्रीज’ देश में इस टीके का आयात करेगी। गौरतलब है कि देश में बढ़ते संक्रमण के मामलों को नियंत्रण में लाने के लिए टीकाकरण में तेजी जरूरी थी। ऐसे में भारत में निर्मित स्वदेशी कोविशिल्ड और कोवैक्सीन के अलावा अन्य विदेशी वैक्सीन की इंट्री (Foreign vaccine in India) से स्तिथि में सुधार की गुंजाइश है।

Foreign vaccine in India

विदेशी वैक्सीन का पहले 100 लोगों पर ट्रायल

शुरुआत में 100 लोगों को विदेशी वैक्सीन लगेगी। एक हफ्ते तक ये सौ लोग निगरानी में रहेंगे। इसके बाद दूसरे लोगों को विदेशी वैक्सीन दी जा सकेगी। सरकार के इस फैसले के बाद अब आने वाले दिनों में Pfizer, Moderna आदि की वैक्सीन भारत में लोगों के लिए उपलब्ध हो सकती है।

दरअसल सरकार ने तय किया है कि विदेश में बनी उन वैक्सीनों को भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी जा सकती है, जिन्हें USFDA, EMA, UK MHRA, PMDA Japan द्वारा इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है या फिर जो WHO की Emergency Use Listing में मौजूद है।

विशेष पैनल ने विदेशी टीके के लिए की गुजारिश

एक विशेषज्ञ पैनल ने सिफारिश की थी कि उन टीकों को भारत में आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी जा सकती है, जो विदेशों में विकसित किए गए या तैयार किए गए हैं और जिन्हें अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन या जापान में प्राधिकारियों ने सीमित आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी है या जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की आपात इस्तेमाल सूची में शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विशेषज्ञ पैनल के अध्यक्ष और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा कि इस फैसले से इस प्रकार के विदेशी टीकों तक भारत की शीघ्र पहुंच सुनिश्चित होगी और इससे बड़ी मात्रा में दवा सामग्री समेत विभिन्न सामग्रियों के आयात, दवा की शीशियां में खुराक भरने एवं उनकी पैकिंग करने की घरेलू क्षमता के उपयुक्त इस्तेमाल आदि को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे टीका निर्माण क्षमता और घरेलू इस्तेमाल के लिए टीकों की कुल उपलब्धता बढ़ेगी।