Monday, December 11, 2023

इस अभिनेत्री की शादी में एक महिला पंडित ने पूरे किए रस्मों रिवाज़, समाज को एक नया सन्देश मिला

मशहूर से लेकर आम शादियों तक, किसी बड़े अनुष्ठान में या आमतौर पर कराए जाने वाले हवन – पाठ तक मंत्रों का उच्चारण कोई पुरुष पंडित (Male priest) ही करते हैं। हमें यह देखने की आदत हो गई है। समाज में तो ये आम है। लेकिन इस परम्परा में अगर बदलाव आए तो जाहिर है लोगों की जिज्ञासा बढ़ेगी। क्या कोई महिला पंडित भी शादी और अन्य समारोह में पूजा विधिपूर्वक करा सकती हैं ?

क्योंकि वेद पुरुष या महिला में कोई भेद नहीं करता

बीते दिनों बॉलीवुड एक्ट्रेस दिया मिर्जा (Dia Mirza wedding) ने बिजनेसमैन वैभव रेखी से शादी कर ली। दोनों की यह दूसरी शादी थी। बी टाउन से लेकर आम पब्लिक में ये शादी चर्चा का विषय बनी रही। लेकिन विषय लहंगा, ज्वैलरी या एंबिएंस नहीं था। दरअसल, दिया – वैभव को एक सूत्र में बांधने का काम एक महिला पंडित ने किया है जो सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड करने लगा। विधिपूर्वकपूजन के साथ दोनों की शादी संपन्न हुई। तो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। नेटिजेंस इसकी खूब तारीफ कर रहें हैं और इस तरह ये शादी काफी सुर्खियों में रही।

Introducing female priest in weddings

दिया ने ट्वीट कर महिला पंडित को यह कहा

दिया कि मां बंगाली हैं और पिता जर्मन। शादी के बाद दिया ने एक ट्वीट भी किया। जिसमें उन्होंने लिखा – हमारी शादी करवाने के लिए धन्यवाद शीला अत्ता। मुझे गर्व है कि हम समानता के साथ आगे बढ़ेंगे। #RiseUp #GenderEquality

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महिला पंडित पहले भी करा चुकीं हैं कई शादियां

मालूम हो कि ये पहली बार नहीं की किसी महिला पंडित ने शादी करवाई हो। ऐसा पहले भी हो चुका है और बहुत पहले से होता आया है। जाधवपुर यूनिवर्सिटी की संस्कृति प्रोफेसर नंदिनी भौमिक (Female priest Nandini Bhowmik) अपनी पूरी महिलाओं की टीम के साथ कई शादियां करवा चुकी हैं। ब्रमारंबा महेश्वरी (Female priest Bramaramba Maheswari) भी अपनी वैदिक पढ़ाई पूरी करने के बाद1995 से अबतक कई शादियां करवाती अा रही हैं।

Dia Mirza wedding

इस्लाम में भी महिलाएं पढ़ती हैं निकाह

इतना ही नहीं 2019 में मुंबई में एक्टर Shamaun और कम्युनिकेशन कंसल्टेंट माया का निकाह क़ाज़ी हकीमा खातून (Qazi Hakima Khatoon) ने करवाया था। उनका मानना है कि इस्लाम में ऐसा कही नहीं हूं कि महिला क़ाज़ी निकाह नहीं पढ़ सकती हैं।

समाज में बदलाव छोटे छोटे कदमों से ही आता है। आज ये सिलसिला बॉलीवुड और टॉप बिजनेसमैन तक ही सीमित है लेकिन को दिन भी दूर नहीं जब आम शादियों में भी महिला पंडितों को तरजीह दी जाएगी। ये बदलाव सकारात्मक है।