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गुजरात : इजराइल से खजूर की खेती सीख लाखों रुपये कमा रहे हैं, अपने उत्पाद को विदेशों में भी बेचते हैं

बहुत बार ऐसा होता है कि कोई इंसान बचपन में कुछ और सपना देखता है और बड़े होते होते वह कुछ और बन जाता है। इसी तरह ईश्वर पिंडोरिया ने भी बचपन में कमर्शियल पायलट बनने का सपना देखा था। पर आज वह एक सफल बिजनेसमैन के साथ हैं बहुत सफल किसान भी हैं। आज की कहानी ऐसी किसान की है जिन्होंने कच्छ की भूमि पर खजूर की खेती की।

ईश्वर पिंडोरिया (Ishwar Pindoria) गुजरात के कच्छ के भुज के एक गांव के रहने वाले हैं। इन्होंने अपनी पढ़ाई राजकोट से की । इनका सपना कमर्शियल पायलट बनने का था। इसके ट्रेनिंग के लिए यह बड़ौदा भी गए। पर शायद किस्मत को कुछ और मंजूर था और यह खेती की तरफ मुड़ गए। ईश्वर बताते हैं कि 2003 में इन्होंने खेती करने की योजना बनाई थी ।

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इजराइल से सीखी आधुनिक खेती का तरीका

हम सब जानते है कि आधुनिक खेती के लिये इजराइल पूरे विश्व मे प्रसिद्ध हैं । खेती की नई तकनीक सीखने ईश्वर पिंडोरिया इजराइल भी गए। वहां वह अपने दोस्तो के साथ कई मशहूर और बड़े किसानों से मिले और खेती की नई तकनीक सीखी। इजराइल में इन्होंने देखा कि रेतीली भूमि और अलग जलवायु में भी खजूर की खेती हो रही थी। यह देख इन्हें कच्छ में खजूर की खेती करने का विचार आया। इन्होंने इजराइल से कुछ पौधे लाकर अपने खेत में लगाया।

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2006 में इन्होंने 40 एकड़ जमीन पड़ खजूर, अनार, आम के पौधे लगाए। अपने फार्म को सेटअप करने के लिए इजराइल की कृषि तकनीक का इस्तेमाल किया। कैलिफ़ोर्निया से इन्होंने मिट्टी की गुणवत्ता, नमी और सिंचाई के लिए इंस्ट्रूमेंट मंगवाए। ईश्वर अपने खेतो में ड्रिप इरीगेशन सिस्टम, कैनोपी मैनेजमेंट, बैंच मैनेजमेंट , पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट, पेस्ट मैनेजमेंट और मिट्टी के न्यूट्रिशन मैनेजमेंट तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इनका खुद का कोल्ड स्टोरेज यूनिट भी हैं। अपने खेतों में ईश्वर पिंडोरिया गोबर, किचन वेस्ट, खेतो में गिरे खजूर के पत्तो का इस्तेमाल खाद के तौर पर करते हैं। ईश्वर बताते है कि वह खेती के एक-एक प्रक्रिया पर बहुत ध्यान देते हैं। अगर एक प्रक्रिया पर भी छोटी से गलती हुई तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता हैं। शुरू में थोड़ी गलती के कारण उन्हें नुकसान भी हुआ हैं।

ईश्वर के खेत मे खजूर की 2-3 वैरायटी हैं। 1 खजूर के पेड़ से 200किलो खजूर मिलता हैं। आमतौर पर खजूर 12-14g तक का होता हैं पर इनके यह खजूर 23-26g तक होता हैं। ईश्वर ने 2006 में पेड़ लगाए थे जिनपर 2008 में फल आने शुरू हो गए।

विदेशो में भी इनके फल की मांग हैं

ईश्वर पिण्डोरीया के ब्रांड का नाम हैं हेमकुंड फार्म फ्रेश (Hemkund farm fresh)। इनके फल की अच्छी गुणवत्ता के कारण इसकी मांग विदेशो में भी हैं। इनके फल भारत के बाहर निर्यात होते हैं। जर्मनी से इन्हें अच्छा फीडबैक भी मिला।

खजूर की नई किस्म बनाने की कोशिश कर रहे हैं

ईश्वर ने अपने खेतों से 10-12 पौधे चुने हैं जिनका क्रॉस पॉलिनेशन कर कर खजूर की नई किस्म लेन की कोशिश कर रहे हैं। जिन्हें उम्मीद है कि इसमें जल्द ही सफलता मिलेगी।

श्री कच्छी लेवा पटेल मंडल की स्थापना

ईश्वर पिण्डोरीया ने कुछ प्रगतिशील किसानों के साथ मिल कर श्री कच्छी लेवा पटेल मंडल की स्थापना की है। इसका उद्देश्य ज़रूरतमंद किसानों की मदद करना हैं। यह हर साल 50 किसानों को देशभर की यात्रा करवाते है ताकि उनसब को खेती की नई जानकारी मिल सके। इस संगठन ने कृषि मेला का भी आयोजन करवाया। यहां किसान कृषि यंत्र और बीजो के लिए कंपनी से सीधा संपर्क कर सकते हैं और इन सब को डिस्काउंट पर भी खरीद सकते हैं।

ईश्वर पिण्डोरीया (Ishwar Pindoria)कहते है कि उन्हें खेती करने से एक अलग सा सुकून मिलता हैं। इसके साथ ही वह लोगो को समय निकाल कर खेती करने की सलाह भी देते हैं। अगर आप भी ईश्वर पिण्डोरीया से बात कर खेती से जुड़ी जानकारी चाहते है तो hemkund.horticulture@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं।

मृणालिनी बिहार के छपरा की रहने वाली हैं। अपने पढाई के साथ-साथ मृणालिनी समाजिक मुद्दों से सरोकार रखती हैं और उनके बारे में अनेकों माध्यम से अपने विचार रखने की कोशिश करती हैं। अपने लेखनी के माध्यम से यह युवा लेखिका, समाजिक परिवेश में सकारात्मक भाव लाने की कोशिश करती हैं।

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