आज के मॉडर्न जनरेशन में देखा जाए तो किसी के पास वक्त नहीं है चाहे वह एक कामकाजी पुरुष हो या महिला। अगर घर संभालने वाली गृहिणी है तो वह भी अपने जीवन में व्यस्त है। लेकिन इसी बिजी शेड्यूल से समय निकालकर स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए कुछ लोग ऑर्गेनिक सब्जियां, फल और फूल उगा रहे हैं और सभी के लिए उदाहरण बन रहे हैं। ऐसे लोगों की वजह से दूसरों के मन में भी यह उत्सुकता हो रही है कि हम भी यही कार्य करें जो हम सभी के लिए लाभदायक हो। जब कुछ लोग इतना बिजी शेड्यूल होते हुए भी खेती के लिए समय निकाल सकते है तो हम क्यों नहीं??? आज की यह कहानी एक गृहिणी की है जो अपना घर संभालने के साथ-साथ जैविक विधि से खेती कर सब्जियां और फूल उगा रहीं हैं। इन्होंने अपने घर को बगीचे में तब्दील किया है।
यह गृहणी है ज्योति सिंह
ज्योति सिंह (Jyoti Singh) बिहार (Bihar) राज्य की राजधानी पटना (Patna) की निवासी है। यह एक हाउसवाइफ है। इनका शुरू से ही प्रकृति से बेहद लगाव रहा है। इनका परिवार ज्यादा बड़ा नहीं है। घर में ये दोनों पति-पत्नि, बेटा, और सास-ससुर हैं। ज्योति हसमुख और शांत स्वभाव की महिला हैं जिससे यह सभी का मन मोह लेतीं हैं।
घर को किया पौधों से डेकोरेट
ज्योति जब अपने घर आई तब इनका मन था कि यह अपने घर के चारो ओर पौधें लगाएं जिससे चारों तरफ हरियाली ही हरियाली हो। अगर हरियाली होगी तो इससे सकारात्मकता उत्पन्न होगी। इसीलिए इन्होंने अपने घर के सामने जो खाली स्थान देखा वहां पौधों को लगाया। जिस कार्य से उन्हें बहुत प्रसन्नता मिली।
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मौसमी फल और सब्जियां उगाती हैं
इन्होंने अपने इस बागानी में मौसमी फल और सब्जियों को लगाया है। इस कोरो’ना-वायरस के महामारी में हर व्यक्ति अपने आहार के लिए फल और और सब्जियों की कमी को महसूस कर चुका है। लेकिन ज्योति इन दिनों अपने बागानी में लगी रही। इन्होंने अपने बागानी में अमरुद, शरीफा, और आम आदि को उगाया है। इतना ही नहीं फलों के अलावा यह धनिया, तुलसी और पुदीना भी उगाती हैं। अगर पूरे वर्ष की बात हो तो इन्हें बहुत ही कम मात्रा में बाजार से छोटी-मोटी चीजें खरीदने की आवश्यता होती है।
बनाती हैं खुद उर्वरक
उन्होंने यह जानकारी दिया कि आजकल लोग अपने आराम के लिए केमिकल युक्त खाद का उपयोग कर रहे हैं लेकिन यह हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ मिट्टी के लिए भी हानिकारक है। यह अपने किचन वेस्ट को इकट्ठा कर सड़ने के लिए छोड़ती है और फिर इसका उरवर्क बनाती हैं। जितना उर्वरक बच जाता है, उसे रख देती हैं और बाद ने आवश्यतानुसार इस्तेमाल करती हैं।
परिवार से मिली सहायता
हम कोई कार्य कर रहे हों और उसमें अगर हमारे परिवार वाले सहयोग करते हैं तो इस बात की बहुत खुशी होती है। ज्योति ने यह जानकारी दी कि यह अपने परिवार के सहयोग से यह कार्य करती है। उनके परिवार के सभी सदस्य इनका इस कार्य में मदद करते हैं। पौधों की देखभाल के साथ उन्हें समय-समय पर सिंचाई करना, कीड़ों से बचाना सभी क्षेत्र में सभी इनका हाथ बटाते हैं।
पक्षियों की आवाज से होती है सुबह, सुबह का समय बहुत ही मनोहर होता है
हमारे बुजुर्ग अक्सर यह कहा करतें थें कि हम चिड़ियों के आवाज़ से उठते थे। उनकी चहचहाहट से पता चलता था अब भोर हो चुका है। ज्योति ने जो बागानी लगाया उसमें पक्षियों का बसेरा है। ये पक्षी सुबह-सुबह अपनी आवाज से इनके परिवार को जगाते हैं और दिन के शुभारंभ का आशीष देते हैं।
अन्य व्यक्ति भी हुए प्रेरित
इनके इस कार्य से आस-पास के लोग बहुत प्रभावित हुए हैं। लोग इनके पास आते हैं ताकि वे यह सीख सके कि ज्योति किस प्रकार पौधों की देखभाल करती है और खुद ही उर्वरक बनाकर इन्हें तैयार करती है। ज्योति को भी इस बात की खुशी होगी कि इन्होंने खुद के साथ-साथ अन्य लोगों को भी प्रकृति के बेहद करीब लाने का कार्य किया है। इनकी एक दोस्त सीमा भी इनके कार्य से बहुत प्रभावित हैं। यह भी चाहती हैं कि वह अपने घर में बागानी करें। ज्योति की भी यही ख्वाहिश है कि हर व्यक्ति अपने घर में बागानी करें ताकि वह शुद्ध फल और सब्जियों का सेवन कर सके।
इनकी बागानी है लोगों को बहुत पसंद
अगर हम या आप इनके घर के बगल से गुजरेंगे तो एक बार जरूर सोचेंगे कि इनकी बागानी को देखें। इनकी बागानी में कई तरह के रंगीन फूल हैं जिन्हें देखकर मन मोहित हो जाता है और उन्हें देखने का मन बार-बार करता है। इन्होंने अपने बागानी में एक झूला भी लगाया है जो कि कि बहुत ही आकर्षक है। इनका एक डॉगी है जो इनके बगीचे में ही ज्यादा समय बिताना चाहता है।
कम जगह में भी अच्छी बागानी का निर्माण कर प्रकृति के संतुलन और अपने लाभ के लिए जो कार्य ज्योति ने किया है वह वन्दनीय है। इनसे जो भी व्यक्ति प्रेरित हुयें हैं उन्हें जागरूक करने के लिए The Logically Jyoti सिंह की प्रशंसा करता है।