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आसान तरीकों से उत्तम किस्म के मशरूम उगाना सीखिए, दिल्ली की गीता अपने घर पर अनेकों तरह के मशरूम उंगाती हैं

मशरुम की खेती सुनकर ऐसा तो नहीं लग रहा न कि मशरुम की तरह इसकी खेती करनी भी महंगी होगी तो इसका जवाब है बिल्कुल नही। मशरुम पोषक तत्वों से भरपूर हैं इसमे फाइबर, जिंक, प्रोटीन जैसे कई तत्व पाए जाते हैं और यह खाने में भी स्वादिष्ट होता हैं। इसी तरह इसकी खेती मे लागत और मेहनत दोनो कम लगते हैं।
आजकल तो लोग अपने घरों में ही खेती करते हैं। दिल्ली की रहने वाली गीता अरुणाचलम ( Geeta Arunachalam) भी अपने घर पर ही मशरुम की खेती करती हैं। गीता अरुणाचलम (Geeta Arunachalam) बायोलॉजी की अध्यापिका और एक रिटायर प्रिंसिपल हैं । इन्हें पेड़-पौधों से बहुत लगाव हैं। यह अपने घर मे 10-12साल से मशरुम की खेती कर रही हैं।

 mushroom farming

तीन तरह के मशरूम

गीता को मशरुम की काफी अच्छी जानकारी भी हैं। वह बताती है कि मशरूम की तीन प्रजातियां प्रचलित हैं।

  1. बटन
  2. ढींगरी(ओएस्टर)
  3. दूधिया( मिल्की)
    इनमे से लोग बटन मशरुम ज़्यादा खाते हैं पर इन तीनो में ढींगरी मशरूम ज़्यादा पौष्टिक होता है । यह स्वाद में भी बाकी दोनों के मुकाबले स्वादिष्ट होता है पर बाज़ार में यह बहुत महंगा बिकता हैं।

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गीता बताती हैं कि मशरुम की खेती के लिए आपको बहुत मेहनत की ज़रूरत नही हैं। इसे आप घर के किसी नमी और कम रोशनी वाले कोने में भी उगा सकते हैं जैसे मेज़ या अलमारी के नीचे या फिर छत पर शेड डाल कर। इसे किसी कार्डबोर्ड के डब्बे में भी उगाया जा सकता हैं। मशरुम की खेती के लिए पीले भूसे की ज़रूरत होती हैं।इसके लिए पीले भूसे को 6-7 इंच के आकार में काट ले और उसे पूरी रात पानी मे छोड़ दे उसके बाद उसे उबाल कर सूखा ले। यहाँ इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भूसे की नमी बनी रहनी चाहिए। गीता कहती है कि अगर मशरुम की खेती की शुरआत कर रहे हैं तो शुरआत में कम मशरुम उगाए। वह बताती हैं कि एक परिवार के लिए 5 kg भूसा काफी हैं भूसा जितना भी हो पर बीज उसका 2प्रतिशत ही लेना हैं जैसे 5 kg भूसे में 10g बीज। मशरूम की खेती के लिए 20 से 28 डिग्री तापमान चाहिए ।ज़्यादा तापमान होने पर पानी के छीटे मारे ।ढींगरी मशरूम की खेती के लिए दिसम्बर का महीना उपयुक्त हैं।

मशरुम के बीज रोपने के तरीके हैं

गीता के बताती हैं बीज रोपने के दो तरीके हैं

  1. भूसे में बीज मिक्स कर एक पॉलीथिन में डाल दे।
  2. एक पोलीथिन में एक लेयर भूसा डाले फिर बीज डाले उसके बाद दूसरा लेयर भूसे का बनाए और फिर मशरुम के बीज डाले। यह प्रक्रिया तब तक दोहराए जब तक बैग भर न जाए। फिर उस बैग को गांठ भांड कर नमी और कम रोशनी वाली जगह पर रख दे।

तीन दिन बाद बैग खोल कर देखे अगर भूसे की जगह सफेद जाल दिखे मतलब मशरुम लग गए है। इसे बंद कर बैग के ऊपर गीला कपड़ा या गीला बोरा डाल दे। नमी बनाए रखने के लिए समय-समय पर पानी के छींटे मारते रहे। जब भूसे में से बड दिखने लगे तो बैग को खोल दे ।मशरुम की पहली फसल तीन हफ़्तों में तैयार हो जाती हैं और पहली फसल के 10 दिन बाद दूसरी फसल और उसके 10 दिन बाद तीसरी फसल मिलती हैं। इस तरह से 1 महीने के अंदर 1 बार की ही प्रक्रिया से आपको मशरूम की तीन फसल मिल जाएगी।

उपगोग किए गए भूसे का खाद के रूप में प्रयोग

गीता बताती हैं कि भूसा जब तक काला न पड़ जाए तब तक इसका प्रयोग किया जा सकता हैं। काले पड़ गए भूसे को जैविक खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता हैं।

मशरूम को स्टोर कर के रख सकती हैं

मशरूम को फ्रिज में स्टोर कर के रखा जा सकता है या फिर इसे सूखा कर एयरटाइट डिब्बे में भी रखा जा सकता हैं।

मशरूम सेहत के लिए भी फायदेमंद है और इसकी खेती करना भी आसान हैं। इसके बीज भी आपको आसानी से नर्सरी में मिल जाएंगे। इसके बाद भी कोई परेशानी हो तो आप गीता अरुणाचलम से geeta@geetaarunachalam.com या geetaarunachalam@yahoo.com पर सम्पर्क कर सकती हैं।

मृणालिनी बिहार के छपरा की रहने वाली हैं। अपने पढाई के साथ-साथ मृणालिनी समाजिक मुद्दों से सरोकार रखती हैं और उनके बारे में अनेकों माध्यम से अपने विचार रखने की कोशिश करती हैं। अपने लेखनी के माध्यम से यह युवा लेखिका, समाजिक परिवेश में सकारात्मक भाव लाने की कोशिश करती हैं।

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