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कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़ गौशाला शुरू किए , सलाना इनकम है 2 करोड़ रुपये

पूरे देश में हजारों नहीं बल्कि लाखों की संख्या में लोग नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं ! नौकरियों की इतनी कमी है की लोग छोटे-छोटे अवसरों की तलाश में इधर-उधर हाथ-पांव मार रहे हैं और नए तरीकों से अपनी रोजी-रोटी कमाने का जरिया ढूंढ रहे हैं ।

ऐसी परिस्थिति में संतोष शर्मा ने अपनी कॉर्पोरेट की अच्छी खासी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर गांव में डेरी का काम शुरू किया और अब उनका सालाना मुनाफा 2 करोड़ से भी अधिक है। गांव में रहकर वहां के लोगों को छोटे-मोटे काम से जोड़ना और उनके लिए भी आर्थिक रूप से अवसर बनाना संतोष शर्मा के लिए एक मकसद बन गया और अब वह अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब होते हुए गांव में रहकर ही करोड़ों रुपए कमा रहे हैं।

संतोष के पिता बिहार के छपरा जिले से सम्बद्ध रखते हैं और संतोष के जन्म के बाद ही उन्होंने अपनी नौकरी से रिटायरमेंट लेकर गांव आने का निर्णय लिया जबकि इनकी मां ने जमशेदपुर में ही रहकर अपने बच्चों के शिक्षा-दीक्षा देने का कार्यभार संभाला।
अपनी स्कूल के दिनों को याद करते हुए संतोष बताते हैं कि-घर चलाने के लिए वह दूध बेचा करते थे और अपने स्कूल जाने के पहले इस काम को निपटा कर स्कूल जाते थे कभी-कभी वह स्कूल के यूनिफॉर्म में भी दूध देने लोगों के घर जाते थे।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संतोष ने अलग-अलग कम्पनियों में काम किया। शुरुआती दिनों में कार डीलर की नौकरी की, और फिर एयर इंडिया में 15 साल बतौर असिस्टेंट मैनेजर काम किए। अपने खाली वक्त में संतोष एंटरप्रेन्योर्स को प्रेरित करने के लिए लिखा करते थे , 2014 में उन्होंने एक किताब लिखा जिसका नाम Dissolve The Box था । इस किताब को काफी सराहना मिली, यहां तक कि सचिन तेंदुलकर के साथ साथ दुनियाभर के 50 कंपनीयों के CEO’s ने इनके पुस्तक को सराहा और फिर इन्हें इंडिया के टॉप बिज़नेस स्कूल में लेक्चर देने का मौका भी मिला।

बदलाव की बयार
वर्ष 2013 में एक ऐसे ही मीटिंग के दौरान संतोष की मुलाकात भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से हुई जिन्होंने संतोष को बहुत प्रेरित किया और गांव में एक प्रोजेक्ट पर काम करने की सलाह दी,जिससे भारत के 40 करोड़ लोगों को प्रेरणा मिल सकता था । काफी कुछ सोच विचार करने के बाद संतोष ने गांव में डेयरी उद्योग पर काम करने का निर्णय लिया, और 2016 में इनकी पहली डेयरी उद्योग शुरू हो गई । अपनी जमा पूंजी का लगभग 80 लाख रुपए खर्च कर संतोष ने 8 गायों के साथ इस काम की शुरुआत की। संतोष झारखंड में रहते थे तो उन्होंने डालमा वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी में ही अपने डेयरी उद्योग की शुरुआत की जो पहले से एक माओवादी प्रभावित क्षेत्र था। इस निर्णय को लेने से संतोष के दोस्तों ने इन्हें बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन सन्तोष अपनी जिद पर अड़े रहे ।

लगभग 4 साल की मेहनत के बाद अभी संतोष के डेयरी में 100 से भी अधिक गाय हैं और इन्होंने वहां रहने वाले 100 लोगों को इस प्रोजेक्ट में नौकरी दी है, साथ ही प्रोजेक्ट का सालाना इनकम 2 करोड़ रुपए से भी अधिक है।

शुरुआती दिनों में डेयरी में केवल दूध बेचे जाते थे लेकिन अब दूध के साथ साथ पनीर, घी और बटर भी बनाया जाता है हर महीने इनके डेयरी से लगभग 15000 लीटर दूध प्रति महीने बेचा जाता है।

इस कार्य को करने के लिए संतोष को विभिन्न अवार्ड भी मिल चुके हैं । 2013 में इन्हें स्टार सृजन अवार्ड से नवाजा गया साथ ही 2014 में टाटा ने इन्हें अलंकार अवार्ड से सम्मानित किया।

एक अच्छी खासी नौकड़ी को छोड़कर संतोष ने ग्रामीण क्षेत्रों मैं अवसर ढूंढने की कवायद की और उसमें सफल भी हुए । संतोष के प्रयास को Logically नमन करता है और देश के अन्य हुनरमंद युवाओं से ग्रामीण क्षेत्रों को सुदृढ़ बनाने की अपील करता है।

अंजली पटना की रहने वाली हैं जो UPSC की तैयारी कर रही हैं, इसके साथ ही अंजली समाजिक कार्यो से सरोकार रखती हैं। बहुत सारे किताबों को पढ़ने के साथ ही इन्हें प्रेरणादायी लोगों के सफर के बारे में लिखने का शौक है, जिसे वह अपनी कहानी के जरिये जीवंत करती हैं ।

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