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अपने इलाज के पैसे जुटाने के लिए 7 वर्षीय यह बच्ची बेच रही है नींबू पानी

7 साल की उम्र किसी भी बच्चे के लिए खेलने और पढ़ने की उम्र होती है, परंतु आज हम एक ऐसी लड़की की बात करेंगे, जो 7 साल की उम्र में माँ की बेकरी के अंदर नींबू पानी बेच रही है। अगर आपको ऐसा करने का कारण पता चलेगा तो आपकी आँखे नम हो जाएगी। उस लड़की का नाम लीज़ा स्कॉट (Lisa scott) है। कुछ दिन बाद ही उसके दिमाग की सर्जरी होने वाली है। लीज़ा की माँ एलिज़ाबेथ (Elizabeth) उसकी सर्जरी के लिए ज़्यादा परेशान ना हो इसलिए वह खुद ही पैसे जोड़ रही है।

Lija is selling nimbu pani to people for her brain treatment

लीज़ा बेकरी में नीम्बू पानी का स्टॉल लगाती हैं

लीज़ा की माँ बताती हैं कि लीज़ा के दिमाग में तीन जगह दिक्कतें हैं (इसे सेलेब्रल मैलफॉर्मेशन कहते हैं)। जिसके वजह से दिमाग का दाहिना हिस्सा हमेशा परेशानी में ही रहता है और इसके वजह से ही लीज़ा को दौरे पड़ते हैं। लीज़ा अमेरिका (America) के अलबामा में अपनी मां एलिज़ाबेथ की Savage बेकरी में नीम्बू पानी का स्टॉल लगा रही हैं। जितना लोग उनकी लेमनेड पी रहे हैं, उतना ही लीज़ा अपनी सर्जरी के करीब जा रही है।

लीज़ा को है सेरेब्रल मैलफ़ॉर्मेशन की समस्या

लीज़ा की मां बताती हैं कि करीब एक माह पहले लीज़ा को इतने ख़तरनाक़ दौरे पड़े कि वह बेहोश हो गई और उसकी मांसपेशियां खिंचने लगीं। बाद में पता चला कि उसका दिमाग ख़ास तरह का है। आमतौर पर किसी भी तरह के सेरेब्रल मैलफ़ॉर्मेशन में डॉक्टर्स एक ही तरह का मैलफ़ॉर्मेशन का अनुमान लगते हैं, लेकिन लीज़ा का केस इससे बिल्कुल अलग है। लीज़ा में डॉक्टर्स को तीन जगहों पर दिक्कतें दिखीं हैं। लीज़ा की पहली सर्जरी के लिए वह और उसकी माँ बॉस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल जाएंगे।

एलिज़ाबेथ ने बढ़ाई लीज़ा की हिम्मत

लीज़ा इतनी कम उम्र में अनेक परेशानियां झेल चुकी हैं। उसके बावजूद भी लीज़ा ने हिम्मत नहीं हारी। वह कहती हैं कि इस मुश्किल से जरूर जीत कर आएंगी। लीज़ा कहती हैं कि जब भी मुझे दिक्कत होती है या नींद नहीं आती है, तब माँ प्रार्थना करती हैं। यही मुझे ताकत देता है। एलिज़ाबेथ ने अपनी बेटी के लिए इंश्योरेंस कवर करवाई थी लेकिन ट्रैवल और होटल का ख़र्च, साथ ही दवाइयों का ख़र्च इतना है कि इससे उनका परिवार परेशान है। हमें आशा है कि लोग एलिज़ाबेथ की मदद करेंगे और लीज़ा फिर से अन्य बच्चों की तरह समान्य जीवन बिता पाएगी।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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