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हमेशा डिमांड में रहने वाली मेहंदी की खेती शुरू करें, कम लागत में हर साल लाखों रुपये की कमाई होगी: Mehandi Ki Kheti

मेहंदी को प्राकृतिक रंग का स्त्रोत माना जाता है साथ ही धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार इसका इस्तेमाल शुभ कार्यों में भी किया जाता है। उदाहरण के लिए हमारे यहां शादी-विवाह या किसी अन्य तीज त्योहार के मौके पर औरतें इसका प्रयोग अपने हाथों और पैरों पर करती हैं। इसके अलावा यह बालों के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है, जिससे इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है।

अत्यधिक लाभदायक होने के कारण मेहंदी की खेती (Mehandi Ki Kheti) फायदे का सौदा है और मार्केट में इसकी डिमांड भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में मेहंदी की खेती करके किसान कम लागत में ही अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं। इसी कड़ी में आइए जानते हैं मेहंदी की खेती से जुड़ी सभी जानकारी।

मेहंदी की खेती (Mehandi Ki Kheti)

ऐसे अनेकों पौधें होते हैं जिन्हें अधिक नमी की जरुरत होती है, लेकिन मेहंदी का पौधा गर्म जलवायु वाले क्षेत्र का पौधा है। इसके विकास के लिए अधिक पानी और अधिक नमी की जरुरत नहीं होती है। यही कारण है राजस्थान का पाली जिला जो गर्म जलवायु का इलाका है, मेहंदी की खेती अधिक होती है। यहां के मार्केट्स में भी ऐसे कई कारखाने मौजूद हैं, जहां इसका पाउडर और तरह-तरह के उत्पाद तैयार किया जाता है।

मेहंदी की खेती के लिए मिट्टी तैयार करना (Mehandi Ki Kheti Kaise Kare)

उत्तर भारत के किसान इसकी खेती करके बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी खेती के लिए लगभाग 1 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होती है। इसके लिए सबसे पहले खेत की मिट्टी से जंगल और झाड़ियों को साफ करके उसे भुरभुरा किया जाता है। उसके बाद 2 से 3 बार खेत की जुताई करके 10 से 15 खाद मिलाया जाता है, ताकि मिट्टी उपजाऊ हो सके और फसल की पैदावार अच्छी हो सके।

खेत तैयार करने के बाद मेहंदी के पौधें को रोपाई के लिए तैयार किया जाता है। यदि आप चाहें तो मेहंदी का फसल बीज या पौधें की सहायता से भी तैयार कर सकते हैं।

mehandi  plant grown in pot
Mehandi Ka Paudha

कैसे करें बीज की बुवाई (Mehandi Cultivation)?

बता दें कि, 6 हेक्टेयर जमीन पर इसकी खेती (Henna Cultivation) करने के लिए 6 kg बीज की जरुरत होती है। बीज को खेत में बोने से एक सप्ताह पहले उसे पानी में भीगोकर रखा जाता है, ताकि बीज नरम हो सके और बुवाई के बाद वह जल्द अंकुरित हो सके। बीज को भिगाते समय यह विशेष ध्यान रखें कि उसका पानी प्रतिदिन बदलना जाएं। इससे बीज बदबू नहीं देते और सुरक्षित रहते हैं।

अब अंकुरित हुए बीजों को एक इंच गहरा मिट्टी में बुवाई करें। ऐसा करते समय ध्यान रखें कि इसके बीजों को एक सीधी पंक्ति में बोया जाएं। इस प्रकार आप चाहें तो खेत में 30 से 50 सेंटीमीटर की दूरी पर बीजों की बुवाई कर सकते हैं। उसके बाद सीमित मात्रा में पानी का छिड़काव किया जाता है।

यदि आप भी इसकी खेती या पौधें लगाना चाहते हैं तो इसके पौधें को नर्सरी से खरीद सकते हैं। वहां अच्छे किस्म के पौधें आसानी से मिल जाते हैं। अब पौधों की जड़ को मिट्टी में अच्छी तरह से दबाकर 30 से 50 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करें।

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एक वर्ष में तैयार हो जाता है पौधा

मार्च से अप्रैल का महीना मेहंदी का फसल लगाने के बेहतर समय होता है, इससे पौधों को विकसित होने के लिए सिंचाई योग्य पानी उचित मात्रा में मिल जाता है। मेहंदी का पौधा एक साल में तैयार हो जाता है और बड़े होने पर छोटे पेड़ का रूप ले लेता है। इस प्रकार एक वर्ष बाद अप्रैल के महीने में पौधों पर फूल आने शुरु हो जाते हैं और बाद में पहली फसल तैयार हो जाती है।

फसल की देखभाल

चूँकि, मेहंदी के पौधें को अधिक पानी की जरुरत नहीं होती है, इसलिए मानसून के मौसम के बाद फसल की सिंचाई कुछ महिनों का गैप करके भी की जाएं तो उससे पौधों पर कोई असर नहीं पड़ता है।

आमतौर पर जिस प्रकार वर्षा ऋतु में अन्य पौधें पर कीड़े लगने लगते हैं जिससे पौधें खराब हो जाते हैं। ठीक उसी प्रकार बरसात के मौसम में मेहंदी के पौधें की पत्तियों को भी कीड़े खाने लगते हैं। इसके अलावा पानी की अधिक मात्रा होने के कारण पौधें की जड़े सड़ने लगती है। ऐसे में पौधों को सुरक्षित रखने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है तथा साथ ही जल-जमाव की निकासी के लिए नाली का निर्माण किया जाता है।

Mehandi Ka Paudha

मेहंदी की खेती से करें सालाना लाखों रुपये की आमदनी

मेहंदी की फसल (Mehandi Farming) का पहला पैदावार लागत की तुलना में 5 से 10% ही हो पाता है, क्योंकि पौधें अभी छोटे होते है। लेकिन जैसे-जैसे पौधें पुराने होते जाते हैं उत्पादन बढ़ता जाता है। (Mehandi Ki Kheti) जानकारी के लिए बता दें कि, मेहंदी का पौधा बहुवर्षीय होता है। एक बार इसे लगाने के बाद 20 से 25 वर्षों तक इसका पौधा या झाडियाँ जिन्दा रहती है। इस प्रकार देखा जाएं तो प्रतिवर्ष किसान भाई फसल तैयार करने के बाद बाजार में बिक्री करके अच्छी कमाई कर सकते हैं।

एक बार मेहंदी की फसल तैयार करने के बाद जैसे-जैसे समय व्यतीत होता है, उसमें अधिक मेहनत की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में पौधों के बीचों-बीच अन्य छोटे पौधें की खेती किया जा सकता है। उदाहरण के लिए दाल और सब्जियां, धनिया, पुदिना और मिर्च जैसे अन्य पौधें उगाएं जा सकते हैं।

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एक हेक्टेयर खेत से होता है 25 क्विंटल मेहंदी का उत्पादन

यदि आप एक हेक्टेयर भूमि पर मेहंदी की खेती (Mehandi Ki Kheti) कर रहे हैं तो इससे प्रति वर्ष लगभग 15 से 20 क्विंटल का उत्पादन होता है। उसके बाद उसके पत्तों को तोड़कर धूप में सुखाया जाता है और फिर उसे सुखाकर मार्केट में बेच दिया जाता है।

मेहंदी के पाउडर से तैयार होता है कई प्रकार के प्रोडक्ट्स

बता दें कि, मेहंदी के पत्तों के पाउडर का बाजार मूल्य 120 से 150 रुपये तक है। इसके पाउडर का प्रयोग कई प्रकार के उत्पाद बनाने में किया जाता है, जैसे हाथों पर लगाने के लिए मेहंदी का पेस्ट, बालों को रंगने के लिए हिना कलर आदि बनाया जाता है। इसके अलावा यदि मेहंदी के पत्तों का लेप लगाकर बालों पर इस्तेमाल किया जाएं तो इससे बालों से डैन्ड्रफ और खुजली की समस्या से राहत मिलती है।

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