हम कुछ-कुछ समय के अंतराल पर अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, और जो भी चीज़ हमारे काम की नहीं होती उसे कबाड़ी वाले के हाथों बेच देते हैं। इससे हमारे घर की सफाई भी हो जाती है और कुछ पैसे भी आ जाते हैं।
ऐसा लोग कहते हैं कि टैलेंट (Talent) किसी के छुपाने से नहीं छुपती। हमें जो रद्दी लगता है, वह भी किसी के लिए सोना बन जाता है। कुछ व्यक्ति अपने कला-कौशल और टैलेंट (Talent) से कुछ ऐसा बना देते हैं, जिसकी तुलना में सोना भी सस्ता पड़ जाता है।
श्रीनिवास पादकंदला को जानिए (Srinivasa Padakandala)
विजयवाड़ा (Vijayawada) के मारूति नगर के रहने वाले श्रीनिवास पादकंदला (Srinivasa Padakandala) ऑटोमोबाईल मेटल स्क्रैप (Automobile Metal Scrap) से मूर्तियां बनाने का काम करते हैं। श्रीनिवास गुंटूर के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्टर एंड प्लानिंग (University College of Architecture and Planning) में फ़ाइन आर्ट्स (Fine Arts) के हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट के पद पर नियुक्त हैं।
Upcycling को दे रहे बढ़ावा
आर्ट गैलरीज़ (Art Galleries) में ज़्यादा लोग दिलचस्पी नहीं लेते। एक ख़ास तबके के लोग ही इसे समझते हैं और इसका लुत्फ़ उठाते हैं। श्रीनिवास इसमें बदलाव लाने के लिए अपनी कलाकृतियां किसी आर्ट गैलरी में नहीं लगाते बल्कि उसका पब्लिक डिस्प्ले करते हैं। वह Upcycling को बढ़ावा देने के लिए ऐसा करते हैं।
श्रीनिवास के मेटल स्कल्पचर्स देखना है आसान
श्रीनिवास एक इंटरव्यू के दौरान कहते हैं कि आम आदमी बड़े होटल और एक्ज़ीबिशन सेन्टर (Exhibition Centre) में लगने वाले आर्ट्स और मेटल आर्ट्स को देखने नहीं जा सकते इसलिए श्रीनिवास, जो मेटल स्कल्पचर्स (Metal Sculptors) बनाते हैं। वह उन्हें म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की मदद से पब्लिक पार्क्स में लगाते हैं ताकि बच्चे से लेकर बूढ़ों तक हर कोई उसे देख सके।
श्रीनिवास की टीम से मिलिए
श्रीनिवास की मदद के लिए उनके पास जूनियर्स, सब-जूनियर्स और छात्रों की एक टीम है। उनका कहना है कि ऑटोमोबाईल स्क्रैप को आर्ट में बदलने में ज़्यादा समय नहीं लगता। उनके मुताबिक 15 फ़ीट के एक मॉडल को बनाने में 1 हफ़्ते का समय लगता है। श्रीनिवास और उनकी टीम स्थानीय अधिकारियों के साथ एग्रीमेंट करती है और 5 साल तक मॉडल के मेन्टेनेन्स का दायित्व भी लेती है।
श्रीनिवास कई प्रतियोगिताओं में ले चुके हैं हिस्सा
श्रीनिवास साल 2007 और 2018 में अपनी कलाकृतियां All India Stone Carving Camp में दिखा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने साल 2016 में आंध्र प्रदेश के शिल्पारामाम में ऑटोमोबाईल स्कल्पचर वर्कशॉप में भी हिस्सा लिया था। साल 2016 और 2018 में विजयवाड़ा म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने शहर के सौंदर्यीकरण की पूरी ज़िम्मेदारी प्रोफ़ेसर श्रीनिवास को दी गई थी। इसके अलावा 2017 में गुंटूर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, थोट्टूकुडी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, साल 2018 में अनंतपुर और हिन्दुपूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी, साल 2019 में ग्रेटर चेन्नई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने अपने-अपने शहरों में उनके मॉडल लगाए।
श्रीनिवास स्रीरामुलू तेलुगू यूनिवर्सिटी के फ़ैकल्टी मेम्बर भी रहे चुके हैं
रिपोर्ट के अनुसार श्रीनिवास ने साल 1995 में विशाखापटनम से ग्रैजुएशन पूरा किया। उसके बाद उन्होंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (Banaras Hindu University) से साल 1998 में फ़ाइन आर्ट्स इन स्कल्पचर में मास्टर्स किया है। साल 2007 से 2010 के दौरान वह दराबाद के पोट्टी स्रीरामुलू तेलुगू यूनिवर्सिटी (Potti Sreeramulu Telugu University) के फ़ैकल्टी मेम्बर भी रह चुके हैं। Upcycling अब हर किसी के लिए ज़रूरत बन चुकी है। साथ ही हर किसी को इसका प्रयोग भी करना चाहिए।