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कुली की नौकरी कर ज़िन्दगी चलाते थे, आज 2500 करोड़ का विशाल साम्राज्य खड़ा कर चुके हैं

मनुष्य अगर चाहे तो वो कुछ भी कर सकता है, हर मुश्किल से लड़ सकता है। प्रयास करने वाले की कभी हार नहीं होती। इसके उदाहरण हैं एम. जी. मुथू जिसने अपने जीवन में कभी हार नहीं माना। हर कठिनाई का डट कर सामना किया और अपने जीवन में आगे बढ़े।

एम. जी. मुथू (M. G. Muthu)

मुथू का जन्म तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता जमींदारों के घर मजदूरी किया करते थे। उनके पिता का खुद का एक करोबार शुरू करने का सपना था। मुथू के परिवार की आर्थिक हालात इतनी खराब थी कि किसी तरह एक वक़्त की सूखी रोटी नसीब हो पाती थी। दूसरे बच्चों को स्कूल जाते देख मुथू ने भी अपने गाँव के सरकारी स्कूल में जाना शुरू कर दिया, लेकिन भूखे पेट पढ़ाई कर पाने में बहुत ही मुश्किल होती थी।

M. G. Muthu

पढ़ाई छोड़कर काम की शुरूआत

मुथू ने पढ़ाई छोड़ कर अपने पिता के साथ काम करना आरंभ किया। इस दौरान वह बड़े-बड़े जमींदारों के फार्म हाउस में सामानों की आवा-जाही किया करते थे। मुथू वहा दिन भर काम करते और वहीं जो बची-खुची चीज खाने को मिलती उससे गुजारा कर लेते थे।

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मुथू ने किया कुली का काम

साल 1957 में मुथू ने मद्रास पोर्ट पर कुली का काम करना शुरू कर दिया। कुछ सालों तक मुथू ने सामान लोडिंग और अनलोडिंग का काम करते हुए कुछ पैसे बचा लिए। वेंडरों के साथ अच्छे संबंध और सेविंग के कुछ रुपयों से इन्होनें खुद का एक छोटा सा लोजिस्टिक्स करोबार शुरू करने का सोंचा।

मुथू ने एमजीएम ग्रुप की स्थापना की

मुथू ने एक करोबार शुरू किया। शुरू करने के कुछ हीं दिन बाद उन्हें कुछ छोटे वेंडरों ने लोडिंग-अनलोडिंग के लिए ठेका दिया। मुथू ने इस बीच सबसे ज्यादा कोशिश अपने मौजूदा ग्राहकों को गुणवत्ता से भरपूर सर्विसेज देने में की। उनकी यह कोशिश उनके करोबार को सफलता की ऊंचाई पर पहुँचा दिया। मुथू ने अपने करोबार को एक नाम देते हुए एमजीएम ग्रुप की स्थापना की।

एमजीएम ग्रुप भारत की एक अग्रणी कंपनी बन चुका है

मुथू के प्रयास ने उन्हें लोजिस्टिक्स जगत का टाइकून बना दिया। इन्हें बड़े-बड़े क्लाइंट्स के ऑफर आने शुरू हो गए उसके बाद क्या था वह सिर्फ आगे हीं बढ़ते गए। अब एमजीएम ग्रुप भारत की एक अग्रणी कंपनी में से एक है, जो लोजिस्टिक्स से लेकर कोयला और खनिज खनन, फूड चेन और होटल के अंतरराष्ट्रीय व्यापार समेत कई अन्य क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुका है।

एमजीएम ग्रुप ने कुछ ही दिन पहले पेय पदार्थ बनाने वाली एक कंपनी को भी खरीद लिया। इस कंपनी के बैनर तले एमजीएम वोडका, सोने का मुकुट और क्लासिक फाइन व्हिस्की समेत कई अन्य विदेशी शराब (आईएमएफएल) ब्रांडों का उत्पादन होता है। एमजीएम ग्रुप कंपनी आज तमिलनाडु में एक मजबूत वोडका ब्रांड के तौर पर है और वह धीरे-धीरे पड़ोसी राज्य कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी फैल रहा है।

एमजीएम ग्रुप आज पहुँच चुका है सफलता के शिखर पर

एमजीएम ग्रुप एक मशहूर मलेशियाई आधारित हलाल प्रमाणित फास्ट फूड रेस्तरां श्रृंखला ‘मेरीब्राउन’ की भारतीय फ्रेंचाइजी भी है। यह एक बहुत बड़ी कामयाबी है। मुथू ने अपनी ईमानदारी और कठिन परिश्रम से इतनी बड़ी सफलता प्राप्त की।

The logically एम. जी. मुथू को उनके कामयाबी के लिए बधाई देता है और उम्मीद करता है कि उनके इस कहानी से अन्य लोग भी सीख लेते हुए कठिन परिश्रम करेंगे और सफलता के शिखर को छुएंगे।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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