कुछ लोगों का मानना है कि अगर हम किसी एक काम को मन से करें तो वह बेहतर तरीके से होगा। ऐसे ही अगर खेतों में हम एक फसल की जगह दो लगा दे तो कैसा रहेगा?? बिल्कुल सही। अगर हम किसी दूसरे कार्यों से जुड़कर और एक साथ उन्हें भी करना चाहे तो कर सकते हैं, यह हमारे कर्मशैली की ऊपर निर्भर करता है। ऐसे बहुत से व्यक्ति, युवा, महिलाएं हैं, जो ऑफिस में कार्य भी करते हैं, साथ ही पढ़ाई भी करते हैं। महिलाओं को भी अगर ऑफिस संभालना हो तो वह कार्य खत्म कर घर भी अच्छे तरह से संभालती हैं।
हमारे देश में हर कार्य सम्भव है। हमारे किसान कुछ ना कुछ नया करने और इसे दूसरों की सीखाने की ख़्वाहिश रखते हैं। यह हर सम्भव प्रयास करते हैं कि खेती में एक साथ अन्य कई फसलों को उपजाकर अधिक मुनाफा एक समय मे ही कमा सकें। हमारी यह कहानी एक ऐसे ही किसान की है जो एक ही खेत मे अन्य कई प्रकार की फसल उगा रहें है और उनसे मुनाफा कमा रहें हैं।
यह किसान है मोहन पाल
सिवनी (Siwni) जिले के केलवारी (Kelwari) विकासखण्ड में स्थित एक गांव है छुई। यहां के 37 वर्षीय किसान मोहन पाल (Mohan Pal) मौसमानुसार खेती करते हैं। मोहन जैविक तरीके से खेती करते हैं ताकि खेतों की उपज अच्छी तरह बनी रहे। यह 8 एकड़ की भूमि में टमाटर, पपीता और अदरक की खेती से अधिक मुनाफ़ा कमा रहें हैं। मोहन उन सभी किसानों के लिए मिसाल है जो एक ही समय में अन्य फसलों को उगाने को लेकर * रहते हैं। इनकी कहानी से उन किसानों को बहुत ही सहायता मिलेगी।
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ड्रिल विधि से करते हैं सिंचाई
हमारे यहां प्रकृति भी अजीब खेल खेलती है, जब खेतों को पानी की जरूरत होती है तो बारिश नहीं होती, और जब जरूरत नहीं होती तो बाढ़ आ जाते हैं। आय दिन किसानों को कोई न कोई दिक्कत लगी रहती है। कभी सिंचाई की तो कभी कुछ। हालांकि मोहन की जमीन सड़क के किनारे है तो इन्होंने वहां खेतों में जलकुपें खुदवाएं है जहां से सिंचाई होती है। इन्हें सिंचाई के लिए पानी की दिक्कत नहीं होती। लेकिन यह पानी के महत्व को समझते हुए ड्रिल पद्धति से खेतों में सिंचाई करते हैं और भविष्य को बेहतर बनाने में योगदान देते हैं।
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लगायें हैं एक साथ पपीता और आदि
पहले तो मोहन जैसे सभी किसान खेती करते थे उनके यहां वैसे कियें। उन्होंने अपने खेतों में चना और गेंहू को उगाया लेकिन प्रकृति ने उन्हें निराश किया। फिर इन्होंने 4 वर्षों तक अपने मन से एक नहीं बल्कि बदल-बदल कर खेती की। उन्हें यह सही लगा तब इन्होंने छिंदवाड़ा से अदरक लाकर 4 एकड़ में लगाएं और इसके साथ पपीते को लगाया तथा इसकी देखरेख में जुट गयें। उन्हें इस खेती से अधिक लाभ हुआ। जब उन्होंने अदरक खेतों से पूरी तरह साफ कर दियें और फायदा कमा लियें तब आगे के बारे में सोचे।
टमाटर को उगाया
जब इनके अदरक खत्म हुये तब खाली जगह बच गईं। तब इन्हें लगा कि पपीते आने में तो थोड़े समय लगेंगे तब कुछ और लगाता हूं। तब तक इन्होंने अपने इस खाली भूमि में टमाटर लगायें और पपीता के साथ इनकी भी देख-रेख शुरू कर दियें। पपीते के नीचे टमाटर लगाने के बहुत फायदे हुयें। इन पौधों को छांव मिली जिससे इन्हें धूप से राहत मिली। एक साथ उन्हें अन्य फसल लगाने के अधिक फायदे हुयें और समय की भी बचत हुई।
एक साथ अन्य फसलों को लगाकर उनकी देखभाल कर, भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखने के लिए The Logically मोहन को सलाम करता है।
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