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मैट्रिक में फर्स्ट आने पर फुटपाथ पर रहने वाली लड़की को मध्यप्रदेश सरकार ने फ्लैट गिफ्ट किया

वह पुरानी कहावत जो हम बचपन से सुनते आ रहे है आज फिर से चरितार्थ होते दिखा , जब एक दिहाड़ी मजदूर की लड़की अपने संघर्ष से परीक्षा में अव्वल स्थान लाई ।

कर्म करो फल की चिंता ना करो ।

भारतीय खांडेकर को यह नहीं पता था कि उनके परिश्रम और लगन को एक दिन पूरे देश में सम्मान दिया जाएगा । मैट्रिक के रिजल्ट में प्रथम श्रेणी लाने पर भारती को सरकार की तरफ से एक फ्लैट गिफ्ट किया गया और साथ ही आगे की पढ़ाई के लिए मुफ्त व्यवस्था करने का आश्वासन दिया गया।

बात मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की है जहां की रहने वाली भारती खांडेकर अपने परिवार के साथ रास्ते के फुटपाथ पर रहने के लिए मजबूर थी । आर्थिक तंगी के कारण परिवार के पास घर नहीं है और हर दिन होने वाले खर्च के लिए भी परिवार को जूझना पड़ता है, लेकिन इस दयनीय हालत में भी भारती ने अपने लगन और परिश्रम से यह साबित कर दिया की गरीबी पढ़ाई में कभी बाधा नहीं बन सकती। अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो हम हर मुश्किल को लांघ कर सफल बन सकते हैं।

इन कठिनाइयों के बीच भारती ने अपना पढ़ाई जारी रखा और कुछ दिन पहले मैट्रिक की परीक्षा दी , जिसमें भारती 68% से उतीर्ण हुई और अपने परिवार का नाम रौशन किया।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार भारती के फर्स्ट डिवीजन आने पर इंदौर के कमिश्नर प्रतिभा पाल ने संज्ञान लेते हुए बताया कि भारती के परिवार को एक फ्लैट गिफ्ट दिया जाएगा और साथ में पढ़ने के लिए टेबल, कुर्सी किताब और अन्य जरूरी सामान की भी व्यवस्था की जाएगी।

भारती के पिता दशरथ खांडेकर ने बताया कि मैं और मेरी पत्नी दिहाड़ी मजदूरी पर काम करते हैं। घर खर्च चलाने के लिए हर रोज हम कमाने के लिए निकल जाते हैं । मैं मजदूरी करता हूँ जबकि मेरी पत्नी स्कूल में झाड़ू लगाती हैं। भारती का एक छोटा भाई भी है जिसका ख्याल भारती रखती है और अपनी पढ़ाई भी खुद करती है। दशरथ खांडेकर ने यह भी बताया कि हम लोग बचपन से ही अनपढ़ हैं , गरीबी ने हमें बचपन से ही कमाने के लिए मजबूर कर दिया और हम पढ़ाई नहीं कर पाए लेकिन मैं चाहता हूं कि हमारी बेटी पढ़ लिख कर एक अधिकारी बने ।

सभी कठिनाइयों को पार करते हुए भारती ने मैट्रिक की परीक्षा में 68% मार्क्स लाकर पूरे समाज को प्रेरणात्मक सन्देश दिया है। भारती के उज्ज्वल भविष्य के लिए Logically शुभकामनाएं देता है।

अंजली पटना की रहने वाली हैं जो UPSC की तैयारी कर रही हैं, इसके साथ ही अंजली समाजिक कार्यो से सरोकार रखती हैं। बहुत सारे किताबों को पढ़ने के साथ ही इन्हें प्रेरणादायी लोगों के सफर के बारे में लिखने का शौक है, जिसे वह अपनी कहानी के जरिये जीवंत करती हैं ।

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