किसान शब्द हम जब भी सुनते हैं तो हमारे दिमाग में जो एक छवि बनती है, वह एक पुरुष की होती है। महिलाओं को पितृसत्तात्मक समाज में किसान के रूप में अभी तक तो नहीं देखा गया है। लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने पितृसत्तात्मक समाज की बेड़ियों को तोड़कर घर के चारदीवारी से बाहर कदम रखा है और अपनी एक अलग पहचान भी बनाई है। बीना देवी भी एक ऐसी ही महिला हैं, जो आज सिर्फ मशरूम की सफल खेती ही नहीं कर रही हैं बल्कि और कई महिलाओं को खेती में आने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
बीना देवी (Bina devi)की शादी मुंगेर जिले के धौरी गांव में हुई थी। जब उनकी शादी हुई उस समय महिलाओं के प्रति लोगों के मन में यह सोच थी कि महिलाएं सिर्फ घर का काम कर सकती हैं। इसी सोच के कारण बीना देवी भी बाकी महिलाओं की तरह घर के कामों में लगी रहती थी। पर कहते हैं ना कि जिसमें कुछ करने का जज्बा हो और अपनी पहचान बनाने की लगन हो उसे कोई ज्यादा दिन तक नहीं रोक सकता। कुछ ऐसा ही बिना देवी के साथ हुआ।
कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग ली
मुंगेर की कृषि विज्ञान केंद्र में बीना देवी ने कृषि की ट्रेनिंग ली। इनके हाथ में वहां की कृषि उपकरण आए तब इन्होंने खेती करने के बारे में सोचा। कृषि विज्ञान केंद्र ग्रामीण महिलाओं को जैविक खेती का प्रशिक्षण देना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए था। बीना देवी ने भी यहां से ट्रेनिंग ली। वह बताती हैं कि जब उन्होंने यहां से ट्रेनिंग की शुरुआत की तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें इसी में कुछ करना है। मशरूम की खेती के बारे में जानकर उन्हें बहुत ही आश्चर्य हुआ कि यह इतना पौष्टिक है और इसे इतनी आसानी से उगाया जा सकता है फिर भी इसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। इसकी खेती बहुत कम लोग ही करते हैं।
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पुराने पलंग के नीचे की मशरूम की खेती
बीना मशरूम की खेती करने का फैसला लिया और इसके बाद उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क किया। जहां उन्हें इसकी खेती के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद भी उन्होंने 2013 में अपने पुराने पलंग के नीचे 1 किलो मशरूम उगाने से इसकी शुरुआत की। बीना कहती है कि मशरूम बाकि फल और सब्जियों के मुकाबले बाजार में बहुत अधिक महंगा बिकता है। इसे उगाना भी बहुत आसान है। बीना सिर्फ इसकी खेती ही नहीं कर रही है बल्कि वह इसे बाजार में बेच भी रही हैं और यह सिर्फ बीना नहीं बाकी की महिलाएं भी कर रही हैं।
अन्य महिलाओं को भी इसकी ट्रेनिंग दी हैं
बीना देवी सिर्फ मशरूम की खेती ही नहीं कर रही है बल्कि अन्य महिलाओं को उसके लिए प्रोत्साहित भी करती हैं। बीना देवी आज अपने काम की बदौलत 5 ब्लॉक के 105 पड़ोसी गांव में मशहूर है। उन्होंने अब तक लगभग 10,000 महिलाओं को इसकी ट्रेनिंग दी है। जिसमें सिर्फ पंद्रह सौ महिलाएं आज मशरूम की खेती कर रही हैं।
महिलाओ को डिजिटल साक्षर बना रही
महिलाओं को डिजिटल साक्षर बनाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने अब तक लगभग 700 महिलाओं को मोबाइल का उपयोग करना सिखाया है इसके लिए उन्हें टाटा ट्रस्ट की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है वही किसानों की मदद के लिए उन्होंने 500 किसान हूं को स्वयं सहायता समूह से जुड़ा है और उन्हें खेती के लिए सिस्टम ऑफ राइस इंटफिकेशन(ISRI) की पद्धति सिखाई है
पहले लोग इन्हें पागल समझते थे
एक साधारण घरेलू महिला से मशरूम महिला बनने का बीना देवी का यह सफर आसान बिल्कुल भी नहीं था। प्रितसत्तात्मक समाज में महिलाओं को जहां घर के कामों के लिए ही समझा जाता है। वहां बीना देवी का घर के बाहर निकलकर खेती करना और आत्मनिर्भर बनना, कितनों को पसंद नहीं था। शुरू में लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे। उन्हें पागल कहा करते थे और हतोत्साहित किया करते थे। पर बीना देवी ने इन सब बातों को नजरअंदाज कर अपने काम पर ध्यान दिया।
राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित
मशरूम महिला बीना देवी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया है। बीना उस पल का जिक्र करते हुए कहती हैं कि यह उनके लिए बहुत बड़े सम्मान की बात थी कि वह देश के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित हो रही थी।
पांच साल सरपंच भी रह चुकी है
बीना देवी अपने काम के कारण टेटियाबंबर ब्लॉक की धौरी पंचायत की 5 साल तक सरपंच भी रह चुकी हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा दिया। वर्मी कंपोस्ट उत्पादन, जैविक कीटनाशक के प्रयोग जैसी चीजों के लिए उन्होंने लोगों को प्रशिक्षित किया।
अपने बच्चों को पढ़ा रही हैं
1 किलो मशरूम उत्पादन से अपना सफर शुरू करने वाली बीना देवी आज ₹90000 तक कमाते हैं और वह अपने 18 सदस्य परिवार का भरण पोषण भी कर रही हैं। वह अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठा रही हैं
बीना देवी ( Bina devi)महिला सशक्तिकरण की एक सच्ची उदाहरण है और समाज के लिए प्रेरणा भी।