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हिमालय क्षेत्र में मौजूद “कंकाल झील” का क्या है रहस्य? भयावह होने के बाद भी नंदा देवी जाने वाले यहां जरूर आते हैं

घूमना किसे नहीं पसंद ? परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए लोग खास समय निकालकर ट्रिप प्लान करते हैं। लेकिन ये ट्रिप अक्सर ऐतिहासिक, धार्मिक या मनोरंजक स्थानों तक सीमित होती है। इसके विपरीत कुछ यायावर (घुमक्कड़) लोग भी होते हैं जो आम जगहों के बजाय एडवेंचर और थ्रिल (Adventurous places in India) को ज्यादा तवज्जो देते हैं। ऐसे लोगों के लिए आज हम उनकी मनपसंद जगह के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

इसलिए रहस्यमयी है लोनार और रूपकुंड झील

भारत में कई मशहूर झील (Lakes in India) हैं जिनकी खूबसूरती का बखान कवियों और शायरों ने शब्दों में पिरोया है। साथ ही कुछ ऐसी भी झीलें है जिन्हें हम जानते तक नहीं। इसका कारण है रहस्य! वो रहस्य जो हम में से ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता। कुछ ऐसी ही झील भारत में मौजूद है जो वैज्ञानिकों और हजारों सैलानियों के लिए आज भी एक रहस्यमयी है। महाराष्ट्र के बुलढाना जिले (Lonar lake in Maharashtra) में स्थित ‘लोनार झील’ का पानी कभी गुलाबी तो कभी हरा हो जाता है।

Roop kund Lake

इसी तरह उत्तराखंड के हिमालय में स्थित ‘रूपकुंड झील’ (Roop kund Lake in Uttarakhand) भी एक रहस्यमयी झील बना हुआ है। कई लोगों का कहना है कि यह एक “कंकालों की झील” (Lake of skeleton) है, जहां 10 वीं शताब्दी के कई कंकाल आज भी मौजूद है।

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यह सब कुछ जानकर आप यहां जाना चाहेंगे?

समुद्र तल से लगभग 5,029 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रूपकुंड झील त्रिशूली शिखर के बीच में मौजूद है। कहा जाता है कि यह जगह तक़रीबन छह माह बर्फ से ढकी रहती है। इस झील को लेकर कुछ चर्चा होती आई है। कहा जाता है कि इस झील के आसपास नरकंकाल, अस्थियां, गहने, बर्तन, चप्पल और विभिन्न उपकरण आज भी बिखरे हुए हैं, जिसे देखर कंकाल झील’ और ‘रहस्यमयी झील भी कहा जाने लगा है। इस झील में लगभग 200 से अधिक कंकाल आज भी मौजूद है।

वैज्ञानिकों की राय भी जान लीजिए

इस झील में मिले कंकाल (Skeleton in lake) को देखकर कई जानकारों और शोधकर्ताओं के अलग-अलग विचार सामने आए। किसी का कहना है कि यह एक कब्रगाह है, जो भारतीय हिमालय क्षेत्र (Indian Himalayan region) में लगभग 400 साल से भी अधिक पुरानी है। ये कंकाल पूर्वी भूमध्यसागर के लोग हो सकते हैं। किसी का कहना है कि यह कंकाल किसी एक समय का नहीं बल्कि दो घटनाओं में मारे गए कुछ लोग हो सकते हैं। किसी का कहना है कि ये 400 साल से भी अधिक पुरानी और बताया जाता है कि ये अवशेष किसी तीर्थ यात्री दल के हैं।

जांच के बात यह बात सामने आई

रेडियो कॉर्बन विधि (Radiocarbon dating method) द्वारा परीक्षण के बाद बताया गया कि यह कंकाल लगभग चार से छह सौ साल से भी अधिक पुरानी है। इन कंकालों में ऊन से बने बूट, लकड़ी के बर्तन, घोड़े की हड्डियां और सूखा चमड़ा आदि भी मिले हैं। नंदा देवी (Nanda Devi tourism) घूमने के लिए जो भी जाता है, वो यहां घूमने के लिए ज़रूर जाता है।

कई और कहानियां भी हैं प्रचलित

कहा जाता है कि सबसे पहले इस झील को एक ब्रिटिश यात्री फॉरेस्‍ट गार्ड ने देखा था। जिनका मानना था कि यह कंकाल द्वितीय विश्‍व युद्ध (Second World War) के दौरान हताहत हुए सैनिक हो सकते हैं। वहीं कुछ जानकारों का मानना है तिब्‍बत के युद्ध (Tibbat War) कुछ सैनिक लौट रहे थे लेकिन, ख़राब मौसम की चपेट में आ गए थे। एक अन्य कहानी इस झील को लेकर यह है कि एक राजा अपने पत्नी और सैनिकों के साथ जा रहा था लेकिन, बर्फिली आंधी में फंस गया, जिकसी वजह से उनकी मौत हो गई।

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