Wednesday, December 13, 2023

पान का पत्ता से लेकर खिलौना तक बेचे, आज अपने अनोखे आईडिया से खड़ी किये 2500 करोड़ की कम्पनी

गरीबी एक ऐसा अभिशाप है जो मनुष्य को उसके जीवन में बुरे से भी बुरे दिन दिखाता है। कभी-कभी ऐसा होता है किसी गरीब की मदद कोई नहीं करता है। आर्थिक स्थिति से कमजोर इंसान को अपनी शिक्षा का सदुपयोग करने के लिए रास्ते नहीं मिल पाते हैं लेकिन कहते हैं न जहां चाह होती है वहां राह मिल ही जाती है। यदि इन्सान के अंदर काबिलियत हो तो उसे गरीबी की कोई बन्दिश आगे बढ़ने और सफल होने से नहीं रोक सकती है। आज की यह कहानी एक ऐसे इंसान की है जिन्हें आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण ट्रेन के टॉयलेट के पास बैठ कर सफर करना पड़ा। इसके बावजूद भी उन्होंने अपनी काबिलियत के बल पर 2500 करोड़ का कारोबार खङा कर दिया।आइये जानते है वह कौन है जिसने गरीबी से अमीरी का सफर तय किया।

निखिल प्रजापति गांधी (Nikhil Prajapati Gandhi)

निखिल प्रजापति गांधी आज देश के जाने-माने उद्योगपति हैं। उनकी जीवन की राह बहुत ही कठिनाइयों से भरा था। निखिल ने 80 के दशक में 20 वर्ष की उम्र में वाणिज्य से स्नातक की उपाधि हासिल किया। उनके पास अपनी शिक्षा का सही उपयोग करने के लिए कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए किसी ने भी उनकी सहयता नहीं किया। अंततः निखिल ने अपना जीवन-यापन करने के लिए छोटा-मोटा कार्य करना आरंभ किया। काम के सम्बंध में निखिल को महीने में दो बार ट्रेन के अनारक्षित बोगी में धक्का-मुक्की के साथ मुम्बई से कोलकाता का सफर तय करना पड़ता था। निखिल कोलकाता से प्रसिद्ध बीटल के पत्ते को खरीद कर उसे मुंबई में बेचने का कार्य करते थे। कोलकाता से मुंबई के लगभग 30 घंटे के सफर को निखिल ट्रेन के शौचालय के पास बैठकर तय करते थे, ताकि वह बीटल के पत्ते पर पानी का छिड़काव कर सके।

Nikhil Prajapati Gandhi

निखिल को बीटल के पत्ते को बेच कर जो पैसे मिलते थे उससे वह खिलौने खरीद कर कोलकाता में बेचते थे। इन सब कार्यों से निखिल को लगभग 200 रुपये की आमदनी होती थी। निखिल ने कुछ सीखने की चाह में अपने कार्य को जारी रखा। निखिल ने तीन से अधिक दशकों पहले मुंबई की ओर रुख करने के निर्णय लिया। वहां जाकर निखिल को जानकारी मिली कि भारतीय नौसेना झाड़ू और सफाई के कार्य के लिए कपड़े का टुकड़ा खरीदना चाहती है। निखिल को इस बात की जानकारी से बिजनेस का उपाय सूझा और उन्होंने नौसेना को कपड़े की आपूर्तिकर्ता बनने का निर्णय किया। निखिल ने समय का ध्यान रखते हुए मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (बीपीटी) और भारतीय नौसेना को सफाई के लिए 1,00,000 कपड़े के टुकड़े और 80 हजार देशी झाड़ू की पूर्ति करने में सफल रहे। निखिल की अपने जीवन में यह पहली सफलता थी। उनकी इस सफलता ने उनके अंदर पहले की अपेक्षा अधिक हौसला और साहस भर दिया। उसके बाद वे बीपीटी के अंदर और अधिक लोगों से सम्पर्क बना कर एक थोक दवा की आपूर्तिकर्ता भी बन गए।

उस जमाने के दौर में अनुबंध व्यापार में अधिक मुनाफे होते थे। निखिल भी इस बात को बखूबी समझ चुके थे। वर्ष 1990 में निखिल को अपने पिता के जन्म स्थल जाने का अवसर प्राप्त हुआ। अपने पिता के जन्म स्थल जाने पर पुरानी यादें ताजे होने से निखिल भावुक हो गए। निखिल ने पिपाभाव नामक जगह पर खाली पड़े स्थानों पर एक पोर्ट बनाने का विचार किया। इसके लिए उन्होंने वहां के वर्तमान मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल से भेंट करके बन्दरगाह के लिए अनुमति भी ले लिया।

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निखिल अपनी खुशी का उत्सव मनाने के लिए शिरडी में पूजा-पाठ करने गए। वहां निखिल की भेंट एक राजनेता से हुईं जो निखिल की कामयाबी से बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने निखिल की सफलता से आकर्षित होकर निखिल की मुलाकात धीरुभाई अंबानी से कराई। निखिल ने अपनी प्रतिभा और योग्यता से धीरुभाई अंबनी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लिया। निखिल से प्रभावित होकर धीरुभाई ने उनको विकास उन्मुख उद्यमों को पहचानने तथा उसे वक्त क्रियान्वित करने के गुण सिखाए।

निखिल ने धीरुभाई अंबनी से बिजनेस के गुण सिखने के बाद नब्बे के दशक में भारत की पहली निजी बंदरगाह का निर्माण किया। उसके बाद उन्होंने भारतीय रेल के साथ साझेदारी करते हुए 250 KM रेल ट्रैक बिछाने की एक संयुक्त परियोजना पर भी कार्य किया। इसके अलावा निखिल ने बंदरगाह को जोड़ने के लिये 20 KM की एक 4 लेन रोड भी बनवाया। तीनों परियोजनाओं में कुल इन्वेस्ट करीब 500 मिलियन डॉलर का हुआ। वर्ष 2015 में रिलांयस ने 2,085 रुपए की नकदी में कम्पनी का आधिपत्य किया।

वर्तमान में निखिल नेपियन सी (Nepean Sea) में एक विशाल और बुलंद इमारत में रहते हैं। वह मुंबई में सबसे महंगी जगहों में से एक है। वहां ड्राइवर के साथ दुनिया की सबसे महंगी गाडियाँ बंगले के आस-पास खड़ी रहती है। निखिल ने कई वर्षों तक अपने कठिन मेहनत और कोशिश से आज 2500 करोड़ का साम्राज्य स्थापित किया। उनकी संघर्ष भरी कहानी सभी के लिए बेहद प्रेरणादायी है।

The Logically निखिल प्रजापति गांधी को उनकी कठिन मेहनत को सलाम करता है।