कहते हैं शिक्षक एक मोमबती की तरह होता है जो स्वयं जलकर समाज को प्रकाशित करता है। यह बात बिल्कुल सत्य है क्योंकि एक शिक्षक ही होता है जो समाज में अंधियारा दूर करके ज्ञान रूपी प्रकाश फैलाता है। इसी कड़ी में सोशल मीडिया पर एक ऐसे ही शिक्षक की कहानी काफी वायरल हो रही है जिसे पढ़कर हर कोई काफी भावुक हो जा रहा है।
यह प्रेरणादायक कहानी ओडिशा (Odisha) के रहनेवाले नागेशु पात्रो (Nageshu Patro) की है, जो दिन में प्राइवेट कॉलेज में गेस्ट लेक्चरर के तौर पर करते हैं तथा साथ ही गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं। इसके अलावा वह रात में कूली का काम करते हैं। लोग इन्हें मास्टरजी कहकर भी पुकारते हैं। इसी क्रम में चलिए जानते हैं उनके बारें में विस्तार से-
कौन हैं मास्टरजी नागेश पात्रो?
नागेशु पात्रो, ओडिशा के मनोहर गांव में अपनी माता कारी और पिता चौधरी रमा पात्रो के साथ रहते हैं। आजिविका के लिए उनके माता-पिता भेड़-बकरियां चराते हैं। आप समझ सकते हैं कि भेड़-बकरी चराने वाले की आर्थिक स्थिति कितनी दयनीय होगी। नागेश के घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें साल 2006 में अपनी हाई-स्कूल की शिक्षा छोड़ नौकरी करनी पड़ी। ऐसा इसलिए क्योंकि भेड़-बकरी चराकर इतनी कमाई नहीं थी जिससे उनके पैरंट्स उनकी शिक्षा के ऊपर होनेवाला खर्च उठा सके।
नौकरी की खोज में नागेशु (Nageshu Patro) ओडिशा से सूरत चले गए, जहां उन्होंने 2 साल तक एक कपड़ा मील में नौकरी की। उसी दौरान उन्हें खराब स्वास्थ्य की वजह से वापस अपने घर आना पड़ा। उसके बाद जब उनकी तबीयत ठीक हुई तो वह हैदराबाद के एक मॉल में सेल्समैन की नौकरी करने लगे साथ ही साल 2011 में उन्होंने कूली (Coolie) का काम भी शुरु किया।
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कूली का काम करके पूरी की उच्च शिक्षा
नागेशु (Coolie Nageshu Patro) को पढ़ाई में काफी रुचि थी और इसी लगाव के वजह से उन्होंने कूली का काम करते हुए पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से साल 2012 में 12वीं कक्षा की परीक्षा दी। उसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की भी पढ़ाई पूरी की। आप जानकर हैरत में पड़ जाएंगे कि उन्होंने कूली का काम करके जुटाए गए पैसों से उच्च शिक्षा हासिल की है।
कोरोना महामारी में शुरु किया बच्चों को पढ़ाना
नागेशु पात्रो (Odisha’s Coolie Nageshu Patro) साल 2011 से एक रजिस्टर्ड कूली हैं, लेकिन कोविड महामारी आने के वजह से देशव्यापी लॉकडाउन लग गया जिससे सबकुछ अस्त-व्यस्त हो गया और ट्रेनें चलनी बन्द हो गई। महामारी में काम धंधा बन्द हो जाने की वजह से नागेशु का समय खाली व्यतीत होता था ऐसे में उन्होंने बेकार बैठने के बजाय 10वीं कक्षा के छात्रों को पढ़ाना शुरु किया।
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शुरु किया खुद का कोचिंग सेंटर
पढ़ाने के दौरान ही उन्होंने 8वीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए कोचिंग सेंटर की भी स्थापना की, जहां अधिकांशत: गरीब तबके के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं। वह खुद भी बच्चों को ओडिया और हिन्दी में शिक्षित करते हैं जबकी अन्य विषयों को पढ़ाने के लिए उन्होंने अपने कोचिंग सेंटर में 4 शिक्षक को नियुक्त किया है जिन्हें वह हर महीने 2-3 हजार रुपये की सैलरी देते हैं। बता दें कि, वह गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देते हैं।
कूली का काम करके शिक्षकों को देते हैं सैलरी
आपको जानकर हैरानी होगी कि, वह कूली का काम करके अपने कोचिंग सेंटर में पढ़ाने वाले शिक्षकों को सैलरी देते हैं। इसके अलावा वह प्राइवेट कॉलेज में हर गेस्ट लेक्चरर के लिए 200 रुपए मिलते हैं और इस तरह वह वह महीने महज 8 हजार रुपये की आमदनी कमा पाते हैं। आप समझ सकते हैं कि इतनी मेहनत करने के बाद भी महंगाई के इस दौर में वह मामूली रकम की कमा पाते हैं। वह चाहते हैं कि गरीब छात्र भी पढ़-लिखकर जीवन में अच्छा करें।
आजकल शिक्षा इतनी महंगी हो गई है कि गरीब बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा हासिल करना बहुत मुश्किल हो गया है। ऐसे में नागेशु पात्रो (Nageshu Patro) द्वारा की गई इस पहल से अनेकों गरीब बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होगा। The Logically उनके प्रयास की सराहना करता है।