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भारत का एक ऐसा गांव जो विश्व के लिए बना मॉडल, Wifi कनेक्शन के साथ ही CCTV से लैस है गांव

जब भी हम गांव शब्द सुनते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहले जो छवि आती है वो ऐसी जगह की होती है जहाँ लोग मूलभूत आवश्यकताओं से भी वंचित रहते हों जहां मिट्टी के बने घर हों, बिजली, पानी, टॉयलेट, स्कूल की अनुपलब्धता हो, जल निकासी की व्यवस्था न हो, गढ्ढ़ों वाली सड़कें हों और भी बहुत कुछ। लेकिन, यकीन मानें भारत में ही एक गांव ऐसा भी है जिसे ‘फर्स्ट मॉडल विलेज’ यानि पहले आदर्श गांव का दर्जा प्राप्त हैं और वह है ‘पुंसारी गांव’। 6000 लोगों की आबादी वाला पुंसारी गांव गुजरात के साबरकांठा जिले में है, जो कि अहमदाबाद से लगभग 90 किमी दूर बसा हुआ है।

2006 में पुंसारी को मॉडल विलेज बनाने की योजना शुरु हुई

पुंसारी को मॉडल विलेज बनाने की परियोजना 2006 में आरम्भ हुई थी, जब गांव के ही 23 वर्षीय युवा हिमांशु पटेल को ग्राम प्रधान चुना गया, इससे पहले पुंसारी किसी अन्य अविकसित गांव की भांति ही था। ग्रेजुएट पटेल के बारे में बात करें तो वह अपने गांव को एक कोर्पोरेट सेल्समैन की तरह तरजीह देते हैं। दरअसल, पटेल का प्रौद्धोगिक और मीडिया की ओर खासा रुझान है जिसका उपयोग वह गांव की प्रगति में करते हैं। पटेल एक 11 सदस्य समीति का नेतृत्व करते हुए गांव के प्रत्येक मामलों कों भलीभांति सुलझाने के लिए समर्पित हैं।

Ideal village Pansari

क्या था प्रधान हिमांशु का मॉडल प्लान

हिमांशु ने अपने कार्यकाल के दौरान ग्रामीणों की मूलभूत आवश्यकताओं को समझा। मीडिया को दिये इंटरव्यू में हिमांशु बताते हैं कि – पहले उन्होनें केंद्र व राज्य सरकारों की ग्राम विकास योजनाओं से प्राप्त धन का सही उपयोग करते हुए एक मिनरल वाटर प्लांट स्थापित किया। फिर छोटे वाहनों की मदद से गांव के हर घर में शुद्ध पानी की आपर्ति शुरु की, लेकिन कोई राजस्व न मिलने के मद्देनज़र उन्होने आस-पास के गांवों का एक समूह बनाया और केवल 4 रुपये में 20 लीटर पर पानी की आपूर्ति शुरु की। हाथ में राजस्व आने के साथ ही गांव के आधुनिकीकरण की तरफ काम करना शुरु कर दिया गया।

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निरंतर प्रगति कर रहा है पुंसारी गांव

गांव के हर घर में न केवल शुद्ध पानी और पक्का शौचालय है बल्कि दो प्राथमिक विधालय, एक प्राथमिक हेल्थ केयर सेंटर, स्ट्रीट लाइट और पानी निकासी की व्यवस्था भी हैं। पुंसारी की प्रगति गाथा सहीं समाप्त नही होती है वर्तमान में गांव के स्कूलों में एसी क्लासरुम हैं। पूरे गांव में वाई- फाई (wi-fi) कनेक्शन, सुरक्षा की दृष्टि से प्रत्येक निश्चित दूरी पर सीसीटीवी कैमरे, इसके साथ पूरे गांव में 140 लाउडस्पीकर लगें हैं जो कि गांव के हैड ऑफिस से जुड़े हुए हैं।

शहरीकरण किये बिना बनाया पुंसारी को आधुनिक रोल मॉडल

हिमांशु सभी आधुनिक तकनीकों को गांव में लाना चाहते थे वो भी शहरीकरण के बिना। इसके लिए उपरोक्त सभी कार्य केन्द्र और राज्य सरकारों की 14 करोड़ रुपये की लागत वाली विकास परियोजनाओं के तहत किये गए। जिसका इस्तेमाल हिमांशु ने एक सही रणनीति बनाते हुए किया और आज पुंसारी बाकी सभी गांवों के लिए आदर्श है।

पीएम मोदी भी कर चुके हैं प्रशंसा

पुंसारी ने कई पुरस्कार भी जीते हैं, जिसमें ‘आदर्श ग्राम पुरुस्कार’ भी शामिल है। इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा भी इस गांव को आधुनिक मॉडल विलेज की मान्यता मिली हुई है। 2017 में आदर्श गांव का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस गांव को पूरे भारत के लिए आदर्श कहा था। भले ही पुंसारी आज भी पंचायती राज व्यवस्था को ही मानता हो लेकिन अपनी प्रगतिशीलता के चलते इसने किसी शहर को भी पीछे छोड़ दिया है। बता दें कि वर्तमान में पुंसारी भारत के 7 लाख गांवों के लिए एक रोल मॉडल बन चुका है।

परिवहन सेवाएं प्राप्त कराने में भी आगे पुंसारी

मीडिया रिपोर्टस् की मानें तो आज पुंसारी में सीसी सड़कों का भरपूर इस्तेमाल करते हुए अटल बस सेवा आरम्भ की जो कि पुंसारी के अंदर और आसपास के हर हिस्से को जोड़नें में सक्षम है। यह बस सेवा खासतौर पर बच्चों को स्कूल लाने ले जाने और महिलाओं के लिए आरम्भ की गई थी।

कईं पुरुस्कारों से भी सम्मानित है पुंसारी

पुंसारी प्रधान हिमांशु के प्रयासों से रोल मॉडल बन चुका पुंसारी कई पुरुस्कार भी हासिल कर चुका है। जिसमें, नई दिल्ली में आरडी राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस में इसे सर्वश्रेष्ठ ग्राम सभा पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 2011 में तत्कालीन चीफ मिनिस्टर नरेन्द्र मोदी से सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत पुरुस्कार मिला। कई आदर्श ग्राम पुरुस्कार भी पुंसारी की झोली में आये। साथ ही, साल 2012 में राजीव गांधी सर्वश्रेष्ठ ग्राम पुरुस्कार भी पुंसारी को मिल चुके हैं।

विदेशों से भी मिली प्रशंसा

60 देशों के विदेशी प्रतिनिधियों ने भी पुंसारी के दौरे के समय इसके विकास मॉडल की प्रशंसा की। हाल ही में पीएम मोदी ने पुंसारी की विकास योजना का अध्ययन करने और उसे भारत के अन्य गांवों में लागू करने के लिए 300 अधिकारियों को यहां भेजा है।

अब महिला सशक्तिकरण की ओर अग्रसर है पुंसारी

वर्तमान में सुनंदबेन पटेल पुंसारी की पहली महिला सरपंच बन चुकी है। एक टीवी साक्षात्कार में सुनंदबेन ने पुंसारी के प्रति अपनी अच्छा प्रकट करते हुए कहा कि गांव की दशा वाकई बहुत अच्छी है लेकिन वह ये भी चाहती हैं कि अब यहां महिलाओं को आजीविका प्राप्त कराने और उन्हें आत्म निर्भर बनाने की दिशा में भी कदम उठाये जायें।

लॉकडाउन में पुंसारी

लॉकडाउन के चलते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए गांव में एक 60 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यू होने पर भी पुंसारी वासियों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए दिंवगत को श्रृद्धांजलि देने के लिए डिज़िटल तरीके को अपनाया। जिसके चलते मृतक के परिवार सहित 300 लोगों ने फेसबुक लाइव का इस्तेमाल करते हुए उसका शोक मनाया।

ऐसे में कहा जा सकता है कि पुंसारी गांव न केवल अन्य भारतीय गांवों के लिए एक मॉडल है बल्कि विश्व स्तर पर भी भारत का मान ऊंचा कर रहा है।

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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